26/11 के 5 सूरमा, जो AK-47 के सामने सीना तान कर रहे खड़े; एक ने तो कसाब को जिंदा पकड़वाया
26 नवंबर 2008 को मुंबई पर आतंकी हमला हुआ था. इसमें कई लोगों ने अपनी जान गंवाई, जिसमें पुलिस कर्मी और सेना के जवान भी शामिल थे. आज हम 26/11 के 5 सूरमाओं के बारे में जानेंगे, जो सिर्फ नाम नहीं, वो शौर्यगाथाएं हैं, जो भारतीय इतिहास में अमर हो चुकी हैं. ये वो वीर थे, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर देश और नागरिकों की रक्षा की. आइए, एक-एक करके इन पांच वीरों के बारे में विस्तार से जानते हैं...

26/11 Mumbai Terror Attack Martyrs: 26 नवंबर 2008 को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई आतंकी हमलों से दहल उठा था. पाकिस्तान से आए आतंकियों ने आम लोगों पर जमकर गोलियां बरसाईं. उन्होने किसी को जिंदा नहीं छोड़ा. करीब17 साल पहले हुए इस आतंकी हमले को याद कर आज भी लोग सिसक उठते हैं. इस घटना का जिक्र आज इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि इस हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को आज अमेरिका से भारत लाया गया है. उसे अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) कोर्ट में पेश कर तिहाड़ जेल में रखा जाएगा.
मुंबई आतंकी हमले में आम लोगों के साथ सुरक्षा बलों के जवानों को भी अपनी जान गंवानी पड़ी है. लोगों की रक्षा करते हुए ये जवान शहीद हो गए. आइए. आपको उन पांच सूरमाओं के बारे में बताते हैं, जो मुंबई हमले का जिक्र आते ही सबसे पहले याद आते हैं. इनमें एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे, एनकाउंटर स्पेशलिस्ट विजय सालस्कर, जॉइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस अशोक काम्टे, पुलिस कांस्टेबल तुकाराम ओंबले और एनएसजी कमांडो मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का नाम शामिल है. आइए, इनके बारे में विस्तार से जानते हैं...
1. हेमंत करकरे (Hemant Karkare)
हेमंत करकरे प्रमुख, एंटी टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) थे. उनका जन्म 12 दिसंबर 1954 को हुआ था. वे 1982 बैच के महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस अधिकारी थे. आतंकवाद के खिलाफ भारत की जंग में वे एक प्रखर योद्धा थे. 26/11 की रात, जब पहली बार गोलीबारी की सूचना मिली, तो वे तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने अपनी बुलेटप्रूफ जैकेट पहनकर आतंकियों का सामना किया, लेकिन दुर्भाग्यवश, कसाब और इस्माईल ने कामा हॉस्पिटल के पास उन पर हमला कर दिया. वे शहीद हो गए. मरणोपरांत उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित।
2. विजय सालस्कर (Vijay Salaskar)
विजय सालस्कर इंस्पेक्टर और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट थे. उनका जन्म 1960 को हुआ था. वे मुंबई के सबसे चर्चित एनकाउंटर स्पेशलिस्ट थे. उन्होंने करीब 75 एनकाउंटर्स किए थे. वे करकरे और अशोक काम्टे के साथ एक ही जीप में थे, और आतंकियों का पीछा कर रहे थे. आतंकियों की गोलीबारी में वे भी वीरगति को प्राप्त हुए. मरणोपरांत उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया.
3- अशोक काम्टे (Ashok Kamte)
अशोक काम्टे एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस (ईस्ट ज़ोन), मुंबई थे. उनका जन्म 23 फरवरी 1965 को हुआ. वे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से स्नातक थे. वे अपनी सूझबूझ और शांति से निर्णय लेने के लिए जाने जाते थे. 26/11 को, उन्होंने तेजी से निर्णय लिया और करकरे-सालस्कर के साथ मिलकर ऑपरेशन शुरू किया. दुर्भाग्यवश वे भी कसाब की गोलीबारी में शहीद हो गए. मरणोपरांत उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया.
4. तुकाराम ओंबले (Tukaram Omble)
तुकाराम ओंबले असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर, मुंबई पुलिस थे. उनका जन्म 1954 को हुआ था. 26/11 की रात, जब कसाब और इस्माईल एक मारुति कार में भाग रहे थे, ओंबले ने उन्हें रोकने की कोशिश की. कसाब के पास AK-47 थी. ओंबले ने निहत्थे होकर कसाब को पकड़ा और तब तक उसकी बंदूक की नाल पकड़े रखी, जब तक अन्य पुलिसवालों ने कसाब को काबू नहीं किया. उन्हें दर्जनों गोलियां लगीं और वहीं शहीद हो गए, लेकिन कसाब को जिंदा पकड़ने का श्रेय उन्हें जाता है. उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया.
5. मेजर संदीप उन्नीकृष्णन (Major Sandeep Unnikrishnan)**
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन एनएसजी कमांडो, 51 स्पेशल एक्शन ग्रुप थे. उनका जन्म 15 मार्च 1977 को हुआ. वे NSG की टीम के कमांडर थे, जो ताज होटल में फंसे लोगों को बचाने के लिए भेजे गए थे. उन्होंने एक-एक फ्लोर क्लियर किया. जब उनके साथी कमांडो जख्मी हुए, वे अकेले ही आतंकियों के पीछे गए. आखिरी बार रेडियो पर बोले थे: Don't come up, I will handle them. और फिर वे शहीद हो गए. मरणोपरांत उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया.
इन पांच सूरमाओं की गाथा न केवल साहस की मिसाल है, बल्कि हर भारतीय के दिल में देशभक्ति की चिंगारी भी जगाती है. 26/11 सिर्फ एक हमला नहीं था, वह भारत की अस्मिता पर चोट थी और इन वीरों ने अपने लहू से उस अस्मिता की रक्षा की.