कौन थी 60 के दशक की लीडिंग लेडी Kamini Kaushal? 98 की उम्र में ली अंतिम सांस
कामिनी कौशल ने अपने करियर में एक से बढ़कर एक शानदार फिल्में की. उन्हें साल 1947 की फिल्म ‘दो भाई’, 1948 की 'शहीद', 'ज़िद्दी' और 'नदिया के पार' (1948) जैसी फिल्मों में लीड एक्ट्रेस के रूप में बहुत ज्यादा पसंद किया गया.
हिंदी सिनेमा की दुनिया से एक बहुत ही दुख भरी खबर आई है. पुराने जमाने की मशहूर एक्ट्रेस कामिनी कौशल (Kamini Kaushal) का 98 साल की उम्र में निधन हो गया है. उन्होंने बुधवार को अपनी आखिरी सांस ली. कामिनी कौशल हिंदी फिल्मों की उन बड़ी-बड़ी एक्ट्रेस में से एक थीं, जिन्होंने 1940 के दशक से लेकर 1960 के दशक तक फिल्मों में मुख्य भूमिकाएं निभाईं. इस समय में उन्होंने दिलीप कुमार और देव आनंद जैसे बड़े सितारों के साथ रोमांटिक सीन्स किए. बाद में उन्होंने सपोर्टिव रोल में भी दर्शकों के दिलों पर गहरा असर डाला.
उनके जाने से पूरे बॉलीवुड में शोक की लहर फैल गई है. कामिनी कौशल जी के निधन की पुष्टि एक करीबी सूत्र ने की है. परिवार की ओर से लोगों से प्राइवेसी का सम्मान करने की अपील की गई है. बताया जाता है कि उनका परिवार हमेशा से ही मीडिया की चकाचौंध और लाइमलाइट से दूर रहता आया है. कामिनी कौशल जी ने अपनी शानदार और दमदार अदाकारी से फिल्म इंडस्ट्री में एक मजबूत जगह बनाई. उन्होंने साल 1946 से लेकर 1963 तक फिल्मों में लीड एक्ट्रेस के रूप में काम किया. उस समय वे इंडस्ट्री की सबसे बुजुर्ग जीवित एक्ट्रेस थीं और सिर्फ दो साल बाद अपनी जिंदगी के 100 साल पूरे करने वाली थी.
इन फिल्मों में निभाई मुख्य भूमिकाएं
कामिनी कौशल ने अपने करियर में एक से बढ़कर एक शानदार फिल्में की. उन्हें साल 1947 की फिल्म ‘दो भाई’, 1948 की 'शहीद', 'ज़िद्दी' और 'नदिया के पार' (1948) जैसी फिल्मों में लीड एक्ट्रेस के रूप में बहुत ज्यादा पसंद किया गया. दिलीप कुमार के साथ उनकी जोड़ी को दर्शकों ने खूब सराहा. इसके अलावा, साल 1958 की फिल्म 'नाइट क्लब' और मशहूर लेखक मुंशी प्रेमचंद के नॉवेल पर बनी फिल्म 'गोदान' (1963) में उनका एक्टिंग उनके पूरे करियर का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन माना जाता है. इन फिल्मों ने उन्हें स्टार बना दिया.
1963 के बाद शुरू हुई दूसरी पारी
साल 1963 के बाद कामिनी कौशल ने लीड रोल्स छोड़कर सपोर्टिव रोल्स निभाने लगीं. इन किरदारों में भी उन्हें जबरदस्त सफलता और तारीफ मिली. खास तौर पर साल 1965 की फिल्म 'शहीद' में निभाया गया उनका रोल क्रिटिक्स ने बहुत पसंद किया. इसके अलावा वे ‘दो रास्ते’ (1969), 'प्रेम नगर' (1974), 'महा चोर' (1976) और 'अनहोनी' (1973) जैसी कई पॉपुलर फिल्मों में नजर आईं. इन सबमें उनकी एक्टिंग दर्शकों को याद रह गया. कामिनी कौशल को आखिरी बार शाहिद कपूर की 'कबीर सिंह' और उसके बाद आमिर खान की 'लाल सिंह चड्ढा' में देखा गया था.
कौन हैं कामिनी कौशल
हिंदी सिनेमा की सुनहरे दौर कामिनी कौशल का जन्म 16 जनवरी 1927 को लाहौर (अब पाकिस्तान) में हुआ था. वे 1940 के दशक से 1960 के दशक तक बॉलीवुड की लीडिंग लेडी रहीं. उनकी नीचा नगर (1946) – यह भारत की पहली अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराही गई फिल्म थी. उन्होंने 1937 से 1940 तक लाहौर में रेडियो के लिए 'उमा' नाम से एक बाल कलाकार के रूप में काम किया. बाल कलाकार के रूप में उनका काम रेडियो में था, स्क्रीन पर नहीं, और बाद में चेतन आनंद द्वारा खोजे जाने के बाद उन्होंने 'नीचा नगर' (1946) में एक प्रमुख भूमिका से अपना फिल्मी करियर शुरू किया. जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खूब सरहाना मिली थी. वे दिलीप कुमार की सबसे पसंदीदा को-एक्टर्स में से एक थी. दोनों ने कई सफल फिल्में साथ की देव आनंद के साथ उनकी जोड़ी भी युवा दर्शकों की फेवरेट थी. उन्होंने बी.आर. चोपड़ा के भाई रवींद्र कौशल से शादी की थी हालांकि उनका परिवार हमेशा से लाइमलाइट से दूर रहा.





