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बुझ गई शोले के 'वीरू' की चिंगारी! कहानी पंजाब दा पुत्तर धर्मेंद की, पढ़ें Struggle से Stardom तक का ही-मैन का सफर

89 साल की उम्र में ‘ही-मैन’ ने अंतिम सांस ली, पर उनसे जुड़ी यादें, उनका अपनापन, उनकी मुस्कान और उनका वही ठेठ देसी व्यक्तित्व- ये सब अब अमर हो चुके हैं। वह सिर्फ एक अभिनेता नहीं थे, वह संस्कार थे, संस्कृति थे, दिलों में बसने वाली एक गर्माहट थे. हंसते-मुस्कुराते, जमीन से जुड़े, और दिल से 'पंजाब दा पुत्तर'…धर्मेंद्र सिर्फ एक एक्टर नहीं थे, बल्कि करोड़ों दर्शकों के लिए एक एहसास थे. वो इंसान, जो पर्दे पर जितना मजबूत दिखता था, पर्दे के बाहर उतना ही नरम, उतना ही संवेदनशील, उतना ही शायराना था.

बुझ गई शोले के वीरू की चिंगारी!  कहानी पंजाब दा पुत्तर धर्मेंद की, पढ़ें  Struggle से Stardom तक का ही-मैन का सफर
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सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 24 Nov 2025 6:30 PM IST

24 नवंबर दोपहर 1 बजे के बाद खबर आती है कि भारतीय सिनेमा के सबसे चमकते सितारे शोले के वीरू की चिंगारी अब बुझ गई है और धर्मेंद्र अब नही रहे. वो नाम, जिसने परदे पर ताक़त भी दिखाई, इश्क़ भी दिखाया और ज़िंदगी को शायरी की तरह जिया. आज जब उनके जाने की ख़बर आई, तो ऐसा लगा जैसे किसी ने हिंदी सिनेमा के इतिहास से एक पूरा अध्याय फाड़कर हवा में उड़ा दिया हो. 89 साल की उम्र में हिंदी फिल्मों के ही-मैन ने दुनिया को अलविदा कह दिया. लेकिन उनसे जुड़ी यादें, उनका अपनापन, उनका मुस्कुराता चेहरा, उनका देसी ठाठ- ये सब हमेशा के लिए हमारे दिलों में दर्ज हो चुका है.

हंसते-मुस्कुराते, जमीन से जुड़े, और दिल से 'पंजाब दा पुत्तर'…धर्मेंद्र सिर्फ एक एक्टर नहीं थे, बल्कि करोड़ों दर्शकों के लिए एक एहसास थे. वो इंसान, जो पर्दे पर जितना मजबूत दिखता था, पर्दे के बाहर उतना ही नरम, उतना ही संवेदनशील, उतना ही शायराना था. सोशल मीडिया आज धर्मेंद्रमय है-हर तरफ बस उनकी तस्वीरें, उनका सफर, उनकी शायरी-जैसी मुस्कान. हर पोस्ट, हर कमेंट, हर श्रद्धांजलि-एक ही बात कह रही है कि वो चले गए, लेकिन पीछे ऐसी विरासत छोड़ गए जिसे कोई मिटा नहीं सकता. 1973 में रिलीज़ हुई उनकी क्लासिक फिल्म ‘यादों की बारात’ की तरह, आज पूरा देश उनकी यादों की बारात में शामिल है. आइए इन्फोग्राफिक की मदद से उनका पूरा सफर जानते हैं....

यादों की बारात-

एक सफर… जो शुरू हुआ, पर कभी ख़त्म नहीं होगा.

धर्मेंद्र का शुरुआती सफर

पंजाब की मिट्टी से उठता एक सपना… और उसी मिट्टी को साबित करने का जज़्बा. “बड़ा आदमी वो नहीं होता जिसके पास पैसा होता है… बड़ा आदमी वो होता है जिसके पास दिल हो.”

Struggle से Stardom तक

जब बॉलीवुड को एक सच्चा He-Man चाहिए था, धर्मेंद्र ने अपनी हिम्मत से रास्ता बनाया- “मर्द बनने के लिए शरीर नहीं… हिम्मत चाहिए.”

छोटे किरदारों से लेकर बड़े पर्दे की शान बनने तक, उनके अंदर था सिर्फ जुनून. “मुझे लोगों ने हीरो बनाया…पर मैं तो बस इंसान बनना चाहता हूँ.”

Action का नया चेहरा

60s–70s में Action का मतलब उन्हीं से था- इरादा, जोश और हिम्मत. “जो डर गया… समझो मर गया.”

लेकिन दिल के अंदर नर्मी भी उतनी ही थी- 'Is story mein emotion hai, drama hai, tragedy hai.'- Sholay, और तकदीर पर उनका भरोसा- “अगर तकदीर में मौत लिखी है तो कोई बचा नहीं सकता… अगर ज़िंदगी लिखी है तो कोई माई का लाल मार नहीं सकता.'

The He-Man Era

He-Man बनना सिर्फ ताकत से नहीं, दिल से होता है- “मर्द बनने के लिए शरीर नहीं… हिम्मत चाहिए.”-

और जब बात न्याय या चुनौती की हो- “एक-एक को चुन-चुन के मारूँगा… चुन-चुन के मारूँगा.”

Attitude & Integrity

उनका Attitude ही उनकी पहचान था- सीधा, सच्चा और मज़बूत. “ना मैं गिरता हूँ… ना मुझे कोई गिरा सकता है. मैं इंसान हूँ, पत्थर नहीं.” - लोफर

Romance का अलग रंग

रोमांस हो या दर्द-धर्मेंद्र हर लम्हे को खूबसूरत बना देते थे. “मैं शराबी नहीं हूँ… बस थोड़ा दर्द पीता हूँ.”- Sharafat और दिल की सच्चाई- “दिल भी है, दर्द भी है… और दोनों के बीच मैं हूँ.”- Dream Girl

Dosti, Daring & Dilerpan

उनकी ऑन-स्क्रीन दोस्तियाँ आज भी बेमिसाल हैं- “हम दोस्ती में बात करते हैं… दुश्मनी में नहीं.”- Yakeen

ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ ना छोडेंगे - शोले

The Sholay Fire

Veeru की आवाज़ आज भी सिनेमाई इतिहास में जिंदा है- “कुत्ते… कमीने! मैं तेरा खून पी जाऊँगा!”

“बसंती, इन कुत्तों के सामने मत नाचना!” ये डायलॉग्स नहीं, संस्कृति का हिस्सा हैं.

Legacy Lives On

एक्टर, शायर, जज़्बाती इंसान… धर्मेंद्र सिर्फ पर्दे पर नहीं, हमारी रूहों में बसते हैं. हर डायलॉग — एक याद. हर फिल्म -एक जश्न. “यादों की Baaraat… हमेशा चलती रहेगी.”

धर्मेंद्रSunny DeolBobby Deol
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