सेट पर होने वाले भेदभाव पर बोलीं दिल्ली क्राइम फेम Shefali Shah, कहा-चांद तारे नहीं बस टॉयलेट ही तो मांग रही हूं
शेफाली कहती हैं, 'अब मैं बेसिक चीजें मांगने की हिम्मत जुटा पा रही हूं – जैसे एक अच्छी वैनिटी वैन जिसमें अपना टॉयलेट हो, या फिर ठीक-ठाक काम के घंटे हों. पहले मैं ये सब मांगने में भी हिचकिचाती थी. अब ये कॉन्फिडेंस आया है, लेकिन इसके साथ थोड़ा अपराधबोध भी आता है कि इतने साल क्यों चुप रही.'
बॉलीवुड एक्ट्रेस शेफाली शाह (Shefali Shah) इन दिनों अपनी पॉपुलर वेब सीरीज 'दिल्ली क्राइम सीजन 3' से फिर सुर्खियों में हैं. इस सीरीज में वो एक बार फिर डीसीपी वर्तिका चतुर्वेदी के दमदार किरदार में नजर आ रही हैं. इसी रोल के लिए उन्होंने इंटरनेशनल एमी अवॉर्ड भी जीता था. फैंस उनकी एक्टिंग के फिर से दीवाने हो रहे हैं. हाल ही में एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में शेफाली शाह ने बॉलीवुड और ओटीटी की दुनिया में एक्ट्रेस के साथ होने वाले भेदभाव और खराब बर्ताव पर खुलकर बात की.
उन्होंने बताया कि उन्हें अपनी बुनियादी जरूरतें मांगने में पूरे 50 साल लग गए. हाल ही में एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में शेफाली शाह ने बॉलीवुड और ओटीटी की दुनिया में एक्ट्रेसेज के साथ होने वाले भेदभाव और खराब बर्ताव पर खुलकर बात की. उन्होंने बताया कि उन्हें अपनी बुनियादी जरूरतें मांगने में पूरे 50 साल लग गए. 52 साल की उम्र में आकर अब जाकर उनमें इतना हिम्मत और कॉन्फिडेंस आया है कि वो प्रोड्यूसर्स और डायरेक्टर्स के सामने बिना डरे अपनी बात रख सकती हैं.
मैं कोई चांद-तारे तो नहीं मांग रही
शेफाली कहती हैं, 'अब मैं बेसिक चीजें मांगने की हिम्मत जुटा पा रही हूं – जैसे एक अच्छी वैनिटी वैन जिसमें अपना टॉयलेट हो, या फिर ठीक-ठाक काम के घंटे हों. पहले मैं ये सब मांगने में भी हिचकिचाती थी. अब ये कॉन्फिडेंस आया है, लेकिन इसके साथ थोड़ा अपराधबोध भी आता है कि इतने साल क्यों चुप रही.' उन्होंने आगे बताया कि सौभाग्य से ज्यादातर उन्होंने अच्छे और संवेदनशील लोगों के साथ काम किया है, जो उनका सम्मान करते हैं. लेकिन इंडस्ट्री में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कलाकार कुछ मांगे तो सुनते जरूर हैं, 'बाद में देखते हैं...कहकर टाल देते हैं और फिर कभी उस बात को याद ही नहीं करते।शेफाली ने साफ कहा, 'मैं तो चांद-तारे नहीं मांग रही हूं, बस बुनियादी सुविधाएं मांग रही हूं अब मैं उस दौर में नहीं हूं कि टॉयलेट तक न हो और फिर भी मुझे काम करना पड़े. अब मैं स्पष्ट कह सकती हूं अगर मेरी बेसिक जरूरतें पूरी नहीं होंगी, तो मैं उस प्रोजेक्ट के साथ काम नहीं करूंगी.'
कौन हैं शेफाली शाह?
शेफाली शाह की यह खुली बातचीत यह दिखाती है कि भले ही वो आज कितनी भी बड़ी कलाकार बन गई हों, लेकिन एक्ट्रेसेस के तौर पर उन्हें भी लंबे समय तक बेसिक सम्मान और सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ा. उनकी यह हिम्मत आज की नई जनरेशन की एक्ट्रेसेज के लिए एक मिसाल है कि अपनी आवाज उठाना जरूरी है. शेफाली ने 1993 में टीवी सीरीज से शुरुआत की. वे गुजराती थिएटर की लीड एक्ट्रेस रहीं और हिंदी टीवी शोज जैसे 'राहें' (1999) में लीड रोल किया. उन्होंने 1995 में 'रंगीला' में छोटी भूमिका से बॉलीवुड में कदम रखा. लेकिन 1998 की क्राइम थ्रिलर 'सत्या' में विद्या (भिकू म्हात्रे की पत्नी) का रोल उनकी पहचान बना. इसकी वजह से उन्हें फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवॉर्ड फॉर बेस्ट एक्ट्रेस और बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का नॉमिनेशन मिला.
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