बेटे की मौत से टूटे, पहली निर्देशित फिल्म ने किया दिवालिया,कैलेंडर बनकर खूब हंसाया; कुछ ऐसे थे Satish Kaushik
1979 में, कौशिक अपने बॉलीवुड सपनों को पूरा करने के लिए मुंबई चले गए, उन्होंने छोटी भूमिकाओं से शुरुआत की, 1981 की फिल्म चक्र में एक एक्टर के रूप में शुरुआत की, जिसमें उन्होंने बूट पॉलिशर की भूमिका निभाई, जिसके लिए उन्हें 500 रुपये मिले.
बॉलीवुड दिग्गज सतीश कौशिक भले आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी अमिट छाप और उनके जीवन से प्रेरित कई यादें हैं. 13 अप्रैल सतीश की बर्थ एनिवर्सरी है. सतीश कौशिक ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत 1983 में आई फिल्म 'जाने भी दो यारों' से की थी, लेकिन उन्हें असली पहचान फिल्म 'मिस्टर इंडिया' में 'कैलेंडर' के किरदार से मिली.
13 अप्रैल, 1956 को महेंद्रगढ़, हरियाणा में जन्मे और दिल्ली के करोल बाग में पले-बढ़े कौशिक एक मिडिल क्लास परिवार में पले-बढ़े, जहां उन्हें कहानी सुनाने और थिएटर का शौक था. एक्टिंग में उनका इंट्रेस्ट दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज में अपने कॉलेज के सालों के दौरान जगी, जहां वे थिएटर ग्रुप प्लेयर्स में शामिल हो गए.
500 थी पहली फीस
1979 में, कौशिक अपने बॉलीवुड सपनों को पूरा करने के लिए मुंबई चले गए,1981 की फिल्म 'चक्र' में एक एक्टर के रूप में शुरुआत की, जिसमें उन्होंने बूट पॉलिशर की भूमिका निभाई, जिसके लिए उन्हें 500 रुपये मिले. उन्होंने इस का जश्न कोल्ड ड्रिंक की दो बोतलें खरीदकर मनाया था. कौशिक को सफलता 1987 की फ़िल्म 'मिस्टर इंडिया' से मिली, जिसमें उन्होंने बेस्ट कॉमिक करैक्टर कैलेंडर की भूमिका निभाई, जो एक रसोइया था, जिनका “कैलेंडर, खाने दो” जैसे कॉमिक डायलॉग फेमस हो गए. एनएसडी और एफटीआईआई से ट्रेनिंग के बाद एक्टर ने सौ फिल्मों में काम किया जिसमें उन्होंने बतौर राइटर और डायरेक्टर भी काम किया.
डायरेक्टर ने धक्के मारकर निकाला बाहर
कोमल नाहटा को दिए इंटरव्यू में कौशिक ने शेयर किया था कि कैसे डायरेक्टर अमित खन्ना ने उन्हें ऑफिस धक्के मारकर बाहर निकाला था. सतीश बतौर एक्टर खुद को स्टैब्लिश करने से पहले एक कपड़ा मील में काम करते थे. लेकिन उनका पूरा मन हिंदी सिनेमा की तरफ लगा होता था. एक बार उन्होंने अपने दोस्त राजा बुंदेला से कहा, 'यार तुम्हारा ठीक है कम से कम से तू फिल्म स्टार्स से मिलता तो हैं मैं तो यहीं इसी मील में बैठे रहता हूं.' फिर क्या था बुंदेला ने कहा चलो मैं तुम्हें अमित खन्ना से मिलवाता हूं. जब वे उनके ऑफिस पहुंचे तो कुछ देर बार उन्होंने अमित खन्ना को अपने आंखों सामने आते हुए पाया. सतीश आगे बढ़कर गए और कहा, 'हम एनएसडी से.' लेकिन इतना सुनते ही अमित खन्ना ने उन्हें कहा गेट आउट यहां से बहार निकल जाओ. सिर्फ इतना ही अमित खन्ना ने सतीश और उनके दोस्त को धक्के मारकर बाहर निकल दिया. जिसके बाद सतीश खूब रोयें और कहा इससे अच्छा तो मेरा कपड़ा मील है. हालांकि जब अमित खन्ना ने पद्मनी कोल्हापुरी के साथ 'शीशे का महल' बनाया तो उन्होंने सतीश बतौर विलेन कास्ट किया.
आता था आत्महत्या का ख्याल
क्विंट के साथ एक इंटरव्यू में एक और अनकही कहानी सामने आई, जिसमें कौशिक ने अपने निर्देशन की पहली फिल्म 'रूप की रानी चोरों का राजा' (1993) की असफलता के बाद आत्महत्या के ख्याल बारे में बताया. फिल्म के भारी वित्तीय नुकसान ने उन्हें इतना निराश कर दिया कि उन्होंने हैदराबाद में एक होटल की खिड़की से कूदने के बारे में सोचा. उन्होंने हार मान कर अपनी पत्नी शशि को फोन किया. हालांकि साल 2003 में सतीश ने सलमान खान और भूमिका चावला को कास्ट करते हुए 'तेरे नाम' बनाई जो उस साल ब्लॉकबस्टर साबित हुई.
बेटे के मौत से टूट गए थे सतीश
इसके अलावा, फिल्मफेयर के साथ एक इंटरव्यू में, कौशिक ने श्रीदेवी के साथ अपने रिश्ते के बारे में एक इमोशनल कहानी शेयर की. उनके जीवन के दो सबसे बुरे दौरों- 'रूप की रानी' की फ्लॉप फिल्म और 1996 में अपने दो साल के बेटे शानू को खोने के दौरान- श्रीदेवी ने शांत लेकिन अटूट समर्थन दिया। 2012 में सरोगेसी के ज़रिए उनकी बेटी वंशिका का जन्म हुआ, तो श्रीदेवी ने उन्हें मंत्रों के साथ ओम की एक पेंटिंग भेंट की, जिससे वह बहुत प्रभावित हुए.
खास फिल्में
सतीश को 'जमाई राजा'(1990), 'प्रेम' (1995), 'मिस्टर एंड मिसेज खिलाड़ी' (1997), 'हम आपके दिल में रहते हैं' (1999), 'छलांग' (2020), 'खाली पीली' (2020), 'बागी 3' (2020), 'भारत' (2019), 'नमस्ते इंग्लैंड' (2018), 'यमला पगला दीवाना फिर से' (2018), सूरमा (2018), 'वीरे की वेडिंग' (2018), रांची डायरीज़ (2017), कमांडो 2 (2017), मिलेंगे मिलेंगे (2010), रोड, मूवी (2010), तेरे संग (2009), लव का तड़का (2009) और साजन चले ससुराल जैसी फिल्मों के लिए जाने जाते हैं.
हार्ट अटैक से निधन
सतीश कौशिक का 9 मार्च, 2023 को 66 वर्ष की आयु में गुरुग्राम, भारत में निधन हो गया। देर रात एक मित्र के फार्महाउस पर जाते समय उन्हें दिल का दौरा पड़ा। उनके ड्राइवर ने उन्हें फोर्टिस अस्पताल पहुंचाया, लेकिन सीपीआर के प्रयासों के बावजूद उन्हें 1:45 बजे मृत घोषित कर दिया। बाद में उनके पार्थिव शरीर को मुंबई ले जाया गया, जहां 10 मार्च को वर्सोवा में उनका अंतिम संस्कार किया गया, जिसमें अनुपम खेर, सलमान खान और रणबीर कपूर जैसी बॉलीवुड हस्तियाँ शामिल हुईं।





