Begin typing your search...

शराब नहीं सफलता का चढ़ा था नशा! 27 साल बाद 'Satya' देख Ram Gopal Verma हुए भावुक

पिछले सप्ताह साल 1998 में आई फिल्म 'सत्या' को थिएटर में रिलीज किया गया. इसे देखकर वर्मा खुद रो पड़े. उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पोस्ट में अपना एक्सपीरियंस शेयर किया है. उन्होंने कहा कि जब मैनें फिल्म को दोबारा देखा तो मेरा गला भर आया और मेरी आंखों से आंसू बहने लगे. इस दौरान मुझे फिक्र नहीं थी कि कोई देखेगा या नहीं.

शराब नहीं सफलता का चढ़ा था नशा! 27 साल बाद Satya देख Ram Gopal Verma हुए भावुक
X
( Image Source:  Ram Gopal Verma instagram )

Ram Gopal Verma: डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा की साल 1998 में आई 'सत्या' फिल्म ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. इसे दर्शकों का खूब प्यार मिला. पिछले सप्ताह फिल्म को थिएटर में रिलीज किया गया. इसे देखकर वर्मा खुद रो पड़े. उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पोस्ट में अपना एक्सपीरियंस शेयर किया है.

जानकारी के अनुसार, राम गोपाल वर्मा ने कहा कि वह शराब के नशे में नहीं बल्कि अपनी सफलता और अहंकार के नशे में थे. यह एहसास उन्हें 27 साल बाद 'सत्या' देखने के बाद हुआ. उन्होंने कहा कि जब मैनें फिल्म को दोबारा देखा तो मेरा गला भर आया और मेरी आंखों से आंसू बहने लगे. इस दौरान मुझे फिक्र नहीं थी कि कोई देखेगा या नहीं.

सत्या देख रो पड़े गोपाल वर्मा

डायरेक्टर ने अपनी पोस्ट में लिखा कि सत्या देखते वक्त मेरे आंसू सिर्फ फिल्म के लिए नहीं थे, बल्कि जो हुआ उसके लिए थे. फिल्म बनाना एक बच्चे को जन्म देने जैसा है, जो जुनून की भावना से भरा है, बिना यह महसूस किए कि मैं किस तरह के बच्चे को जन्म दे रही हूं. क्योंकि एक फिल्म को टुकड़ों में बनाया जाता है.

उन्होंने कहा कि बिना यह जाने कि क्या बनाया जा रहा है और जब यह तैयार हो जाती है तो ध्यान इस बात पर होता है कि दूसरे इसके बारे में क्या कह रहे हैं और उसके बाद, चाहे यह हिट हो या न हो, मैं आगे बढ़ने के प्रति इतना जुनूनी हो जाता हूं कि जो मैंने खुद बनाया है उसकी सुंदरता को दिखाया और समझने का समय ही नहीं रहता.

राम गोपाल वर्मा ने लिखा, सत्या की स्क्रीनिंग के बाद मैं होटल वापस आ गया और अंधेरे में बैठकर मैं यह नहीं समझ पाया कि अपनी समझ और आइडिया के बावजूद मैंने इस फिल्म को भविष्य में जो कुछ भी करना चाहिए, उसके लिए एक बेंचमार्क क्यों नहीं बनाया. फिर मुझे महसूस हुआ कि मैं सिर्फ उस फिल्म में हुई त्रासदी के लिए नहीं रोया था, बल्कि मैं अपने उस रूप के लिए खुशी से भी रोया था. मैं उस सभी लोगों के साथ विश्वासघात के अपराध बोध से भी रोया था. उन्होंने सत्या के कारण मेरे पर यकीन किया था.

फिल्म हीट होने से मैं अंधा हो गया- वर्मा

उन्होंने आगे कहा कि रंगीला या सत्या फिल्म के हीट होने से मैं अंधा हो गया. फिर मैं अपनी ज्यादा सक्सेस पाए और नाम कमाने के लिए फिल्में बनाने में भटक गया, जो निरर्थक थीं. मैं एक सरल और सामान्य सत्य को भूल गया था कि तकनीक किसी दिए गए विषय को ऊपर उठा सकती है, लेकिन उसे आगे नहीं ले जा सकती. वर्मा ने कहा, मेरे शानदार नजरिए ने मुझे सिनेमा में कुछ नया करने के लिए प्रेरित किया, उसने मुझे अपने काम के मूल्य से भी अंधा कर दिया और मैं आसमान में उड़ने लगा और जमीन को भूल गया. यही मेरी गरिमा में आई गिरावट की वजह बन गई.

खुद से किया वादा

उन्होंने कहा कि जो कुछ हो गया उसे मैं बदल नहीं सकता, लेकिन मैं खुद से वादा करता हूं कि अब से मैं जो भी फिल्म बनाऊंगा, वह उस सम्मान के साथ बनाऊंगा जिसके लिए मैं निर्देशक बनना चाहता था. पोस्ट के आखिरी में उन्होंने लिखा कि जब मैंने कसम खा ली है कि मेरे जीवन का जो भी थोड़ा सा समय बचा है, मैं उसे ईमानदारी से बिताऊंगा और सत्य जैसा कुछ अच्छी बनाना चाहता हूं और इस सत्य की मैं सत्य पर कसम खाता हूं.

bollywood
अगला लेख