Begin typing your search...

Manisha Koirala को मिली थी मणिरत्नम की 'बॉम्बे' न करने की सलाह, खुद को यूं मनाया था एक्ट्रेस ने

मनीषा कोइराला ने बताया कि उनके आस-पास के कई लोगों ने उन्हें 'बॉम्बे' में स्क्रीन पर मां की भूमिका निभाने को लेकर संदेह जताया था और चेतावनी दी थी कि ऐसा करने से उन्हें टाइपकास्ट किया जा सकता है. हालांकि, एक सलाह ने आखिरकार फिल्म के प्रति उनका नजरिया बदल दिया और वह फिल्म का हिस्सा बनने को तैयार हो गई थी.

Manisha Koirala को मिली थी मणिरत्नम की बॉम्बे न करने की सलाह, खुद को यूं मनाया था एक्ट्रेस ने
X
( Image Source:  Instagram : m_koirala )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Published on: 6 Nov 2024 5:07 PM

मनीषा कोइराला (Manisha Koirala) की 1995 की फिल्म 'बॉम्बे' (Bombay) को क्रिट्क्स से मिली तारीफों के बाद यह फिल्म एक कल्ट क्लासिक बन गई. लेकिन हाल ही में ANI को दिए एक इंटरव्यू में एक्ट्रेस ने बताया कि शुरुआत में वह शैला बानू की अपनी की भूमिका निभाने से हिचकिचा रही थीं.

उन्होंने बताया कि उनके आस-पास के कई लोगों ने स्क्रीन पर मां की भूमिका निभाने को लेकर संदेह जताया और चेतावनी दी कि ऐसा करने से उन्हें टाइपकास्ट किया जा सकता है.

इमेज में फंस जाऊंगी

हालांकि, एक सलाह ने आखिरकार फिल्म के प्रति उनका नजरिया बदल दिया. मनीषा ने याद करते हुए कहा, 'जब बॉम्बे मेरे पास आई, तो मैं थोड़ी भोली थी और मेरे आस-पास लोग मुझे यह भूमिका न लेने की चेतावनी दे रहे थे क्योंकि मैं दो बच्चों की मां का किरदार निभा रही थी.' उन्होंने आगे कहा कि एक बार जब मैं मां का किरदार निभा लूंगी, तो मैं उसी इमेज में फंस जाऊंगी और मुझे लीड एक्ट्रेस की भूमिकाएं नहीं मिलेंगी. लेकिन सिनेमैटोग्राफर अशोक मेहता ने तब मुझे मणिरत्नम के काम के बारे में खुद को शिक्षित करने और उनके साथ काम करने के अवसर का लाभ उठाने के लिए कहा.'

ह कुछ अलग बना रहे हैं

निर्देशक मणिरत्नम से मिलने के बाद उन्होंने इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने का फैसला पक्का कर लिया. उन्होंने बताया, 'जब मैं मणि सर से मिली, तो मैं उनकी इंटेलिजेंस, हंबल नेचर और उनकी क्रिएटिविटी ने मुझे बहुत प्रभवित किया. मैं फिल्म के मैसेज से भी प्रभावित हुई जिसमें एकता और एक परिवार के रूप में एकजुट होने का मैसेज था. अपने लुक टेस्ट के दौरान मुझे एहसास हुआ कि वह कुछ अलग बना रहे हैं.' बॉम्बे ने बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद 1992-93 में हुए बॉम्बे दंगों की पृष्ठभूमि में अंतरधार्मिक विवाह के संवेदनशील मुद्दे को उठाया. अपने सेंसटिव सब्जेक्ट के कारण कुछ विवादों के बावजूद, फिल्म को व्यापक रूप से सराहा गया और इसने सालों तक प्रभाव छोड़ा.

इस साल इस सीरीज में आईं नजर

बता दें कि इस साल की शुरुआत में मनीषा को संजय लीला भंसाली की डेब्यू ओटीटी सीरीज 'हीरामंडी : द डायमंड' बाजार में देखा गया था. जिसमें एक्ट्रेस ने लाहौर की मशहूर तवायफ मलिका जान की भूमिका निभाई है. इससे पहले उन्हें कार्तिक आर्यन की 'शहजादा' में देखा गया था.

अगला लेख