Mahakumbh 2025 : ऐसा रहा Adah Sharma का अनुभव, मंच पर किया शिव तांडव स्त्रोतम
अदा शर्मा अपनी हालिया महाकुंभ यात्रा के बारे में बात की, जो उनकी पहली यात्रा है और कैसे लोगों और उनकी आस्था का संगम हमारे देश की सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाता है. पिछले कुंभ में एक्ट्रेस की मां 40 दिनों तक रुकी थीं, लेकिन इस बार अदा के लिए यह पहली बार था. उन्होंने प्रज्ञाराज (उत्तर प्रदेश) में एक कार्यक्रम में एक मंच पर शिव तांडव स्त्रोतम का लाइव पाठ किया.

'द केरला स्टोरी फेम एक्ट्रेस अदा शर्मा (Adah Sharma) ने महाकुंभ से अपना पहला अनुभव शेयर किया. जहां वह बिना मोबाइल फोन के गई थी क्योंकि एक्ट्रेस को महाकुंभ कैमरे के माध्यम से नहीं अपने खुद के नजरिए से देखना और महसूस करना चाहती थी. हिन्दुस्तान टाइम्स के साथ बातचीत में एक्ट्रेस ने कहा, ' इस बार, मैंने सोचा कि चलो इसे अलग तरीके से करते हैं और हालांकि मैंने लोगों को अपने साथ सेल्फी लेने की इजाजत दी. लेकिन मैंने अपना फोन अपने पास नहीं रखने का फैसला किया. मैं उस पल में मौजूद रहना चाहती थी और मुझे लगा कि फोन मेरा ध्यान भटकाएगा, जब हमारे पास फोन होता है, तो हम फोन कैमरे के माध्यम से चीजों को देखना शुरू कर देते हैं.'
पिछले कुंभ में एक्ट्रेस की मां 40 दिनों तक रुकी थीं, लेकिन इस बार अदा के लिए यह पहली बार था. उन्होंने प्रज्ञाराज (उत्तर प्रदेश) में एक कार्यक्रम में एक मंच पर शिव तांडव स्त्रोतम का लाइव पाठ किया. वहां बहुत सारे लोग थे... शायद लाखों. भगवान शिव से अपने अटूट रिश्ते के बारें में बताते हुए अदा कहती है, 'भगवान शिव के साथ मेरा संबंध कुछ ऐसा है जिसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है. कुछ भावनाओं का बयां करने वाले शब्द, विशेषण और वाक्य न्याय नहीं करते हैं. लेकिन अगर मुझे भगवान शिव के साथ अपने संबंध का वर्णन करना हो तो भगवान शिव यह एक अंतर्ज्ञानी, अनियोजित, अप्रचलित, बिना किसी एजेंडे के है.'
ये एक सुंदर भावना है
लोगों और उनकी आस्था के इस संगम के बारे में जिस बात ने उन्हें सबसे ज्यादा प्रभावित किया, वह है डाइवर्सिटी. यह देखना अद्भुत है कि हमारे देश और विदेशों से भी लोग कुंभ में आते हैं. यह हमारे देश की विविधता में एकता और आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समृद्धि की एक सुंदर भावना है. जर्मनी और रूस से मेरे दोस्त हैं जो कुंभ में आएंगे और रहेंगे 20 दिनों तक मैं गंगा आरती में प्रदर्शन की तैयारी कर रही यंग गर्ल्स से मिली, मैं असम के कल्चरल डांसर्स से भी मिली, जो अपनी परफॉरमेंस के लिए लगन से प्रैक्टिस कर रही थी. मैंने एक सत्संग में भाग लिया और स्वादिष्ट खाना खाया अखाड़ों के साथ-साथ मैं अपनी टीम के साथ कोलकाता के कारीगरों से भी मिली जो स्ट्रक्चर बनाने आए थे.'
हमें इसका आभारी होना चाहिए
अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए, शर्मा ने कहा, 'महाकुंभ में पैमाना इतना बड़ा है और सब कुछ इतनी सावधानी और शांति से किया जाता है. इतने सारे पुलिसकर्मी, कार्यकर्ता, गैर सरकारी संगठनों के स्वयंसेवक सब कुछ व्यवस्थित करने के लिए भाग लेते हैं. ये पर्दे के पीछे के लोग हैं जो करोड़ों लोगों को सुनिश्चित करते हैं. लोगों को खाना खिलाया जाता है, रहने की जगह और बाथरूम जैसी जरूरी चीजें मिलती हैं. कपड़े, थर्माकोल और अलग-अलग सामग्रियों से बनी बहुत सारी संरचनाएं हैं जिन्हें कुंभ खत्म होने के बाद तोड़ दिया जाएगा. यह हमें सिखाता है कि कैसे अस्थायी जीवन है और हमें जीवित रहने और इसका अनुभव करने के लिए कितना आभारी होना चाहिए.'