'सभी का खून है शामिल यहां...', दिलजीत दोसांझ ने क्यों सुनाई राहत इंदौरी की शायरी?
पंजाबी सिंगर दिलजीत दोसांझ इन दिनों इंदौर में अपने कॉन्सर्ट को लेकर सुर्खियों में हैं. बजरंग दल द्वारा उनके कॉन्सर्ट को रद्द करने की मांग और विरोध प्रदर्शनों के बीच, दिलजीत ने अपने इंदौर के शो को एक खास तरीके से समर्पित किया. दिलजीत ने इंदौर में अपने कार्यक्रम के दौरान राहत इंदौरी की एक और मशहूर ग़ज़ल का ज़िक्र किया,साथ ही ब्लैक में बिक रही टिकट वाली बात का भी जवाब दिया.

पंजाबी सिंगर और बॉलीवुड अभिनेता दिलजीत दोसांझ इन दिनों इंदौर में अपने कॉन्सर्ट को लेकर सुर्खियों में हैं. बजरंग दल द्वारा उनके कॉन्सर्ट को रद्द करने की मांग और विरोध प्रदर्शनों के बीच, दिलजीत ने अपने इंदौर के शो को एक खास तरीके से समर्पित किया. उन्होंने अपने कार्यक्रम को मशहूर उर्दू शायर राहत इंदौरी को समर्पित किया, जिनका निधन अगस्त 2020 में हो गया था. दिलजीत ने इंदौरी की फेमस गजल "किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है" का जिक्र करते हुए यह संदेश दिया कि हिंदुस्तान किसी एक व्यक्ति की संपत्ति नहीं है, बल्कि यह सबका है.
“अगर खिलाफ़ हैं होने दो, जान थोड़ी है. ये सब दुआ है आसमां थोड़ी है. सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में/ किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है हिंदुस्तान किसी की जागीर नहीं है)”.
बजरंग दल का विरोध
इंदौर में दिलजीत के कार्यक्रम को लेकर बजरंग दल ने विरोध प्रदर्शन किया और इस कार्यक्रम को रद्द करने की मांग की. बजरंग दल के नेताओं ने आरोप लगाया कि दिलजीत दोसांझ ने किसानों के आंदोलन के दौरान देश विरोधी बयान दिए थे और वह खालिस्तान समर्थक हैं. इस कारण वे इंदौर में किसी भी हाल में उनका कार्यक्रम नहीं होने देना चाहते थे.
बजरंग दल के नेता अविनाश कौशल ने कहा, "हम दिलजीत को अहिल्या की नगरी में कार्यक्रम नहीं करने देंगे. हमने प्रशासन से आवेदन देकर कार्यक्रम रद्द करने की मांग की है. अगर कार्यक्रम होता है, तो हम अपना विरोध जारी रखेंगे." वहीं, इंदौर बजरंग दल के नेता तन्नू शर्मा ने बताया, "हम इस कॉन्सर्ट के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि हम इस कार्यक्रम में ड्रग्स और शराब के सेवन के खिलाफ हैं, जो हमारी संस्कृति के खिलाफ है."
ब्लैक टिकट पर दिलजीत का जवाब
दिलजीत दोसांझ ने कार्यक्रम के दौरान बजरंग दल के विरोध का सीधे तौर पर तो कोई ज़िक्र नहीं किया, लेकिन उन्होंने उन आरोपों का जवाब दिया जिनमें कहा जा रहा था कि उनके कॉन्सर्ट के टिकट ब्लैक में बेचे जा रहे थे.
दिलजीत ने कहा, "लंबे समय से लोग कह रहे हैं कि दिलजीत के कॉन्सर्ट के टिकट ब्लैक में बिक रहे हैं. यह मेरी गलती नहीं है कि टिकट 10 रुपये का 100 रुपये में बिक रहा है. यह एक कलाकार की गलती कैसे हो सकती है?"
राहत इंदौरी की ग़ज़ल से विरोधियों को करारा जवाब
दिलजीत ने इंदौर में अपने कार्यक्रम के दौरान राहत इंदौरी की एक और मशहूर ग़ज़ल का ज़िक्र किया. उन्होंने ग़ज़ल का कुछ हिस्सा गाया, जिसमें इंदौरी ने कहा था, "मेरे हुजरे में नहीं और कहीं पर रख दो, आसमां लाए हो ले आओ ज़मीन पर रख दो..." यह ग़ज़ल एक राजनीतिक और सामाजिक संदेश देती है कि कोई भी व्यक्ति किसी स्थान या सत्ता का मालिक नहीं होता, और सब कुछ जनता का है.
दिलजीत ने इस गजल के माध्यम से यह संदेश दिया कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, और यहां हर किसी को अपनी बात रखने का अधिकार है. दिलजीत दोसांझ ने अपने शो में यह भी कहा कि यह भारतीय संगीत का समय है और इस दौरान कुछ परेशानियां आएंगी ही. उन्होंने कहा, "यह स्वतंत्र संगीत का समय है. जब विकास होगा तो परेशानियां भी आएंगी. हम काम करते रहेंगे और सभी स्वतंत्र कलाकार अपनी मेहनत दोगुनी कर दें. यह भारतीय संगीत का समय है. पहले विदेशी कलाकार आते थे और उनके टिकट लाखों में बिकते थे. अब भारतीय कलाकारों के टिकट ब्लैक में बिकते हैं. इसे ही 'वोकल फॉर लोकल' कहते हैं."