रामायण की सफलता ने दिया सम्मान, मगर छीन ली करियर की उड़ान, पर्सनल लाइफ में भी भारी पड़ा मां सीता का किरदार
दीपिका चिखलिया को सीता को रामानंद सागर की निभाए मां सीता के किरदार के लिए जाना जाता है. दीपिका को 'सीता' की भूमिका ने जबरदस्त लोकप्रियता तो दिलाई, लेकिन इसके साथ ही उनके करियर पर कुछ नकारात्मक प्रभाव भी पड़ा.

दीपिका चिखलिया (Deepika Chikhalia) एक फेमस भारतीय एक्ट्रेस और पूर्व सांसद हैं, जिन्होंने अपनी बेहतरीन अदाकारी से भारतीय टेलीविजन और फिल्म जगत में अमिट छाप छोड़ी है. उन्हें सबसे ज़्यादा पहचान 1987 में प्रसारित रामानंद सागर के ऐतिहासिक धारावाहिक 'रामायण' में देवी सीता की भूमिका निभाने से मिली. इस धारावाहिक ने देशभर में खभ न खत्म होने वाली पॉपुलैरिटी हासिल की और दीपिका को घर-घर में एक आदर्श, पूजनीय इमेज बनाई.
उनकी मासूम मुस्कान, काइंडनेस और डीप एक्टिंग स्किल ने दर्शकों के दिलों में सीता माता की एक जीवंत तस्वीर बना दी. 'रामायण' की सफलता के बाद दीपिका चिखलिया भारतीय संस्कृति और धार्मिक भावनाओं का प्रतीक बन गईं, और लोग उन्हें असल जिंदगी में भी श्रद्धा और सम्मान के साथ देखने लगे. आइये नजर डालते हैं दीपिका के निजी जीवन और करियर पर.
मां सीता ने दिलाई पहचान
उनका जन्म 29 अप्रैल 1965 को मुंबई, महाराष्ट्र में जन्मी दीपिका ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत 1983 में फिल्म 'सुन मेरी लैला' से की थी, जिसमें उन्होंने राज किरण के साथ मुख्य भूमिका निभाई थी. इसके बाद उन्होंने 'भगवान दादा' (1986), 'काला धंधा गोरे लोग' (1986) और 'दूरी' (1989) जैसी फिल्मों में सपोर्टिव भूमिकाएं निभाईं. उन्होंने 'चीख' (1986) और 'रात के अंधेरे में' (1987) जैसी हॉरर फिल्मों में भी काम किया. लेकिन दीपिका को वो मुकाम नहीं मिला जो रामानंद सागर की रामायण ने उन्हें बतौर मां सीता के किरदार ने दिया. 'रामायण' के बाद, दीपिका ने 'लव कुश' (1988) और 'टीपू सुल्तान की तलवार' (1989) 'घर का चिराग' (1989) और 'रुपये दस करोड़' (1991) जैसी फिल्मों में राजेश खन्ना के साथ स्क्रीन शेयर किया. इसके अलावा, उन्होंने कन्नड़, तमिल, मलयालम, बंगाली और गुजराती फिल्मों में भी काम किया.
सीता की छवि ने पहुंचाया नुकसान
दीपिका को 'सीता' की भूमिका ने जबरदस्त लोकप्रियता तो दिलाई, लेकिन इसके साथ ही उनके करियर पर कुछ नकारात्मक प्रभाव भी पड़ा. रामायण' में देवी सीता का किरदार इतनी गहराई से दर्शकों के दिलों में बस गया था कि लोग उन्हें किसी और भूमिका में स्वीकार नहीं कर पा रहे थे. उन्हें सिर्फ पवित्र, आदर्श और धार्मिक करैक्टर के लिए ही सही माना जाने लगा, जिससे उनका रोल चुनने का दायरा बहुत सीमित हो गया. अगर वह कोई ग्लैमरस या मॉडर्न महिला का रोल करना चाहतीं, तो दर्शक उसे स्वीकार नहीं कर पाते थे. दीपिका ने खुद कई इंटरव्यू में कहा कि लोग उन्हें असल ज़िंदगी में भी देवी की तरह देखना चाहते थे. उन्हें मॉडर्न कपड़े पहनने पर भी आलोचना का सामना करना पड़ता था. जबकि उन्होंने अपने फैंस से अनुरोध किया था कि सीता के किरदार के आलावा उनकी अपनी एक पर्सनल लाइफ है. उन्होंने कहा, 'सीता माता बनना मेरे लिए सौभाग्य था, लेकिन इसके कारण मेरे करियर के अन्य रास्ते बंद हो गए. मैं एक एक्ट्रेस के तौर पर बहुत कुछ करना चाहती थी, लेकिन लोग मुझे सिर्फ देवी के रूप में ही देखना चाहते थे.
राजनीति में आने के बाद शादी
हालांकि सीता के किरदार के बाद दर्शकों ने उन्हें अन्य किसी भी रोल में पसंद नहीं किया. जो उनके करियर के लिए काफी मुश्किल भी रहा. जिसके बाद दीपिका ने फिल्मों से दूरी बनाई लेकिन 1990 के दशक के दौरान उन्होंने बीजीपी ज्वाइन कर लिया. राजनीति में आने के बाद दीपिका बिजनेसमैन हेमंत टोपीवाला वाला आए जिनसे उन्होंने साल 1991 में शादी कर ली और उनकी दो बेटियां हैं. से शादी भी कर ली थी, और फिर अपना ध्यान परिवार और राजनीति की ओर केंद्रित कर लिया.