बॉलीवुड एक्ट्रेस संजना संघी ने यूनाइटेड नेशन्स में फ्यूचर समिट को लेकर कही ये बात
संजना संघी ने बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत इम्तियाज अली की फिल्म रॉकस्टार से की थी. इसके बाद उन्होंने दिल बेचारा और कड़क सिंह जैसी फिल्मों में काम किया है. हाल ही में वह यूनाइटेड नेशन्स में फ्यूचर समिट का हिस्सा बनी थीं.

हाल ही में बॉलीवुड एक्ट्रेस संजना सांघी को न्यूयॉर्क में फ्यूचर एक्शन डेज़ समिट की ओपनिंग सेरेमनी के दौरान युवाओं की आवाज़ के रूप में संयुक्त राष्ट्र महासभा हॉल में भाषण देने का मौका मिला. इस पर संजना कहती हैं ''यहां एकमात्र भारतीय महिला के रूप में खड़े होना और संयुक्त राष्ट्र द्वारा युवाओं की आवाज़ बनने का काम सौंपा जाना एक ऐसा एहसास था जिसे मैंने पहले कभी महसूस नहीं किया था. घाना, नाइजीरिया और भारतीय लड़कियों ने कहा कि आखिरकार उन्हें सुना गया. उनकी सारी मेहनत और कोशिश काम आई है. यह पल बेहद अहम था."
संजना का नाम उस लिस्ट में शामिल है, जिसमें पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और अभिनेता लियोनार्डो डि कैप्रियो भी हैं. जब संजना से इस बात पर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा ''मैं खुद को रोक नहीं पा रही हूं और बहुत मुस्कुरा रही हूं. मैं अभी भी अपने इमोशंस को समझने की कोशिश कर रही हूं, क्योंकि ऐसे कई पल होते हैं, जिनके बारे में आपने कभी नहीं सोचा होता है कि यह संभव हो सकते हैं, और यह मेरे लिए बिल्कुल वैसा ही है''.
संजना एक यूएनडीपी यूथ चैंपियन भी हैं. उन्हें बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा प्रस्तुत गोलकीपर्स समिट में बोलने और द गोल्स हाउस में लड़कियों को प्रभावित करने वाले मेंटल हेल्थ क्राइसिस पर अपने आइडिया शेयर करने के लिए बुलाया गया था.
हेमा समिति की रिपोर्ट
इस दौरान संजना हेमा समिति रिपोर्ट पर भी बोलीं. मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट के निष्कर्षों के बाद भारतीय फिल्म उद्योग आत्मनिरीक्षण मोड में चला गया है. क्या यह उनके मेंटल हेल्थ को भी प्रभावित करता है, यह देखते हुए कि वह भी असहज स्थितियों के अधीन हो सकती है? “मैं उन चुनौतियों को जानती हूं, जिनका सामना महिलाएं कर सकती हैं. साथ ही, यह जानना निराशाजनक है कि विभिन्न क्षेत्रों में अभी भी काम का माहौल असुरक्षित है. मेरा मानना है कि यह जरूरी है कि शक्ति गतिशीलता के बारे में बातचीत जारी रहे ताकि हर कोई सुरक्षित और सशक्त माहौल में काम कर सके.”
फिल्मों में महिलाओं की स्थिति
फिल्मों में महिलाओं के लिए समय की आवश्यकता के बारे में अपनी राय बताते हुए संजना कहती हैं, “आज फिल्म उद्योग में महिलाओं के लिए सबसे बड़ी जरूरत समानता है, चाहे वह अवसरों, सैलरी या अलग-अलग रोल के बारे में हो. हम एक लंबा सफर तय कर चुके हैं और हम उस बदलाव को होते हुए देख सकते हैं, लेकिन एक अधिक संतुलित और समावेशी उद्योग बनाने की दिशा में अभी भी काम किया जाना बाकी है.”