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गंजेपन का बना मजाक, 27 दिन काटे प्लेटफार्म पर, एक्टिंग छोड़ने की मिली सलाह, ऐसे शुरु हुआ था Anupam Kher का करियर

दर्शकों और मेकर्स के बीच स्टार बने रहने के लिए अनुपम ने अलग-अलग भूमिकाएं निभाईं. उन्होंने 'कर्मा' में डॉ. डांग, 'चालबाज' में त्रिभुवन दास की भूमिका निभाई और फिर 'दिल', 'बेटा', 'शोला और शबनम' और 'वक्त हमारा है' में अपनी कॉमेडी से लोगों का दिल जीत लिया.

गंजेपन का बना मजाक, 27 दिन काटे प्लेटफार्म पर, एक्टिंग छोड़ने की मिली सलाह, ऐसे शुरु हुआ था Anupam Kher का करियर
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( Image Source:  Instagram )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 7 March 2025 6:29 AM IST

बॉलीवुड दिग्गज एक्टर अनुपम खेर (Anupam Kher) जिन्होंने अपने करियर में 500 से ज्यादा फिल्में की. उन्होंने 'हम आपके हैं कौन', 'तेजाब', 'सूर्यवंशम', 'विवाह', 'संसार' समेत उनकी कई हिट फिल्मों के लिए जाना जाता है. उनका करियर और पर्सनल लाइफ अच्छे-बुरे, उतार-चढ़ाव और मीठी और कड़वी यादों का मिश्रण है.

कभी एक दौर ऐसा भी था जब अनुपम खेर को एक्टर बनने का सपना छोड़ने को कहा गया था क्योंकि कुछ लोग उनके लुक का मजाक बनाते थे. कई बार एक्टर का मजाक उड़ाया गया, उसे डिस्करज्ड किया गया और नीचे गिराया गया. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी मेहनत के दम पर साबित कर दिया वह सिर्फ एक एक्टर ही नहीं बल्कि वह सितारा बन सकते हैं जिसके कदमों में आज दुनिया है.

निभाया दुगनी उम्र का किरदार

हालांकि उनका एक्टर बनना इतना असान नहीं है. उन्होंने अपने करियर में आसमान की बुलंदियों को छूने से पहले खाने के लिए पैसे न होने से लेकर रेलवे प्लेटफॉर्म पर सोने तक, उन्होंने सब कुछ देखा है. महेश भट्ट की फिल्म 'सारांश' में 29 साल के अनुपम ने 60 वर्षीय पिता का किरदार निभाकर अपने करियर की शुरुआत करने वाले एक्टर को बॉलीवुड में अपनी योग्यता साबित करने के लिए कई बार संघर्ष करना पड़ा.

गंजेपन का उड़ा मजाक

साल 2024 के नवंबर में, अनुपम ने गोवा में इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (IFFI) में एक मास्टरक्लास का आयोजन किया, और वहां उन्होंने अपने संघर्ष को याद किया. जब अनुपम मुंबई आए तो वे गंजेपन की समस्या से जूझ रहे थे. पतले बालों और सिर पर धब्बे होने के कारण जब अनुपम फिल्मों में काम मांगते थे तो कई बार उनका मजाक उड़ाया जाता था. खेर ने कहा कि उस समय लोग उन्हें सलाह देते थे कि वे राइटर या असिस्टेंट डायरेक्टर बन जाएं क्योंकि वे एक्टर बनने के लायक नहीं हैं.

27 दिनों प्लेटफार्म पर बिताए दिन

दिग्गज स्टार ने इस फिल्म फेस्टिवल में शेयर किया कि जब वह काम के लिए स्ट्रगल कर रहे थे तब उनके लिए खाना और रहने के लिए जगह भी नहीं थी. जिन लोगों का कभी खेर ने साथ दिया था एक समय आने पर उन लोगों ने उनके बुरे समय में साथ छोड़ दिया था. खेर ने यह भी स्वीकार किया कि जब उन्हें सोने के लिए जगह नहीं मिली, तो उन्होंने रेलवे प्लेटफ़ॉर्म पर सोने का फैसला किया. अनुपम ने कहा कि वह 27 दिनों तक बांद्रा रेलवे स्टेशन पर एक बेंच पर सोए.

हिमाचल से हैं अनुपम

अनुपम खेर का जन्म 7 मार्च 1955 को शिमला, पटियाला और पूर्वी पंजाब राज्य संघ भारत (अब हिमाचल प्रदेश में) में एक कश्मीरी पंडित परिवार में हुआ था. उनके पिता पुष्कर नाथ खेर हिमाचल प्रदेश के वन विभाग में क्लर्क थे और उनकी मां दुलारी खेर एक हाउस वाइफ थी. उनकी एजुकेशन शिमला के डी. ए. वी. स्कूल में हुई. उन्होंने शिमला में हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के गवर्नमेंट कॉलेज, संजौली में इकोनॉमिक्स में स्टडी किया, लेकिन पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ में भारतीय थिएटर का पढाई करने के लिए पढ़ाई छोड़ दी.

एफटीआईआई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा

खेर ने ओम जय जगदीश (2002) के साथ निर्देशन में कदम रखा और उस फिल्म के प्रोड्यूसर भी रहे. उन्होंने फिल्म 'मैंने गांधी को नहीं मारा' (2005) का निर्माण और एक्टिंग भी की. अक्टूबर 2003 से अक्टूबर 2004 तक, उन्होंने भारतीय फिल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. उन्होंने पहले सेंट्रल फिल्म सर्टिफिकेशन बोर्ड और भारत में नेशनल ड्रामा स्कूल के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है. खेर को अक्टूबर 2017 में भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. भारतीय जनता पार्टी को उनके सपोर्ट को देखते हुए उनकी नियुक्ति विवादास्पद थी. एक साल बाद, उन्होंने अमेरिकी टीवी शो 'न्यू एम्स्टर्डम' के लिए अपनी वर्क कमिटमेंट्स का हवाला देते हुए एफटीआईआई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.

अलग-अलग भूमिकाओं के लिए जाने जाते हैं अनुपम

दर्शकों और मेकर्स के बीच स्टार बने रहने के लिए अनुपम ने अलग-अलग भूमिकाएं निभाईं. उन्होंने 'कर्मा' में डॉ. डांग, 'चालबाज' में त्रिभुवन दास की भूमिका निभाई और फिर 'दिल', 'बेटा', 'शोला और शबनम' और 'वक्त हमारा है' में अपनी कॉमेडी से लोगों का दिल जीत लिया. 500 से ज़्यादा फिल्मों में एक्टिंग करने के बाद, उन्होंने 'द कश्मीर फाइल्स' के साथ अपनी पहली 300 करोड़ रुपये की कमाई वाली फ़िल्म दी. विवेक अग्निहोत्री की फ़िल्म के दौरान, खेर 67 साल के थे. उन्हें आखिरी बार 'विजय 69' में देखा गया था.

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