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जनरल डॉन्ग से लेकर मोगेम्बो तक, Amrish Puri के ये 5 आइकॉनिक किरदार जो बसे है फैंस के दिल में

अमरीश पुरी ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1971 में की थी. उनकी पहली फिल्म 'रेशमा और शेरा' थी, जिसमें उन्होंने एक नकारात्मक भूमिका निभाई थी. हलांकि उन्हें सफलता और पहचान 1987 में आई फिल्म 'मि. इंडिया' से मिली, जिसमें उन्होंने मोगेम्बो का किरदार निभाया.

जनरल डॉन्ग से लेकर मोगेम्बो तक, Amrish Puri के ये 5 आइकॉनिक किरदार जो बसे है फैंस के दिल में
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रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 12 Jan 2025 7:30 AM IST

अमरीश पुरी भारतीय सिनेमा के एक दिग्गज एक्टर्स में से एक हैं, जिनकी दमदार डायलॉग और यादगार किरदार के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा. उन्होंने अपने करियर में कई स्ट्रांग और प्रभावशाली किरदार निभाए. उन्हें 'मिस्टर इंडिया', 'दिल वाले दुल्हनियां ले जाएंगे', 'नगीना', 'कोयला' समेत अन्य शानदार फिल्मों के लिए जाना जाता है.

अमरीश पुरी ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1971 में की थी. उनकी पहली फिल्म 'रेशमा और शेरा' थी, जिसमें उन्होंने नेगेटिव रोल किया था. हलांकि उन्हें सफलता और पहचान 1987 में आई फिल्म 'मिस्टर इंडिया' से मिली, जिसमें उन्होंने मोगेम्बो का किरदार निभाया, जो आज भी एक आइकॉनिक विलेन के रूप में जाना जाता है. आइये नजर डालते हैं उनके 5 आइकॉनिक किरदार पर.

मिस्टर इंडिया में मोगेम्बो

यह फिल्म भारतीय सिनेमा का एक ऐतिहासिक हिस्सा बन चुकी है. अमरीश पुरी ने इस फिल्म में मोगेम्बो का किरदार निभाया, जो एक बेहद यादगार और आइकॉनिक विलेन है. इस फिल्म उनका सबसे फेमस डायलॉग 'मोगेम्बो खुश हुआ' आज भी सिनेमा प्रेमियों के दिलों में बसा हुआ है. 'मिस्टर इंडिया' (1987) एक भारतीय साइंस फिक्शन-ड्रामा फिल्म है, जो श्रीराम राघवन की निर्देशित और बोनी कपूर की प्रोड्यूस्ड है. इस फिल्म में अनिल कपूर और श्रीदेवी मुख्य भूमिका में थे.

दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे में बलदेव सिंह

दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे फिल्म में अमरीश पुरी ने एक सख्त लेकिन प्यार करने वाले पिता का किरदार निभाया. बलदेव सिंह भारतीय पिता हैं, जो अपनी बेटी सिमरन की शादी उसके बचपन के दोस्त से करवाना चाहते हैं. लेकिन जब सिमरन को राज से प्यार हो जाता है, तो उनके सामने एक नैतिक और भावनात्मक संघर्ष खड़ा होता है. इस फिल्म में उनके डायलॉग 'जा सिमरन, जी ले अपनी ज़िंदगी' हिंदी सिनेमा के सबसे फेमस डायलॉग्स में से एक है.

तहलका में जनरल डॉन्ग

फिल्म तहलका (1992) में अमरीश पुरी ने जनरल डॉन्ग का किरदार निभाया था, जो हिंदी सिनेमा के सबसे मनोरंजक और रंगीन खलनायकों में से एक था. जनरल डॉन्ग एक तानाशाह है, जो अपने 'डॉन्ग' साम्राज्य का नियंत्रण अपने हाथों में रखता है और दुनिया पर राज करने का सपना देखता है. इस किरदार की सबसे बड़ी खासियत थी उसका अनूठा अंदाज, डरावना लेकिन हास्यप्रद व्यक्तित्व, और उसका मशहूर डायलॉग 'डॉन्ग कभी रॉन्ग नहीं हो सकता' अमरीश पुरी का यह कैरेक्टर आज भी लोगों के बीच फेमस है.

घायल में बलवंत राय

फिल्म घायल (1990) में अमरीश पुरी ने बलवंत राय का किरदार निभाया, जो हिंदी सिनेमा के सबसे निर्दयी और प्रभावशाली खलनायकों में से एक है. बलवंत राय का व्यक्तित्व घमंडी, क्रूर और चालाक है. वह अपनी ताकत और प्रभाव का उपयोग अपने अपराधों को छिपाने और अपने रास्ते में आने वाले लोगों को कुचलने के लिए करता है. फिल्म की कहानी तब मोड़ आता है जब वह अजय मेहरा (सनी देओल) के बड़े भाई को अपने जाल में फंसाकर मार डालता है. उनका डायलॉग 'यह बलवंत राय का घर है' और 'जिनके घर शीशे के होते हैं, वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकते' काफी फेमस हुआ था.

मेरी जंग में ठकराल

फिल्म मेरी जंग (1985) में अमरीश पुरी ने ठकराल का किरदार निभाया, जो एक चालाक और निर्दयी वकील है. ठकराल एक ऐसा शख्स है जो अपने स्वार्थ और पैसों के लिए किसी भी हद तक जा सकता है. वह निर्दोष लोगों को फंसाने से भी नहीं चूकता. वह फिल्म के नायक अनिल कपूर के पिता को झूठे आरोपों में फंसा देता है और उन्हें फांसी तक पहुंचा देता है. फिल्म में उनका डायलॉग 'अगर जुर्म साबित करने के लिए झूठ बोलना पड़े, तो मैं वो भी करूंगा' ने उनके नेगेटिव कैरेक्टर को काफी फेमस किया.

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