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J&K ELECTION: पांच साल पहले केंद्र सरकार के फैसले ने पाकिस्तान की तोड़ी थी कमर, अब विधानसभा चुनाव का क्या होगा नतीजा?

जम्मू कश्मीर में अगर किसी को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है तो वो वहां की क्षेत्रीय पार्टियों को हुआ है। अब यहां विधानसभा चुनाव होना है और इसके लिए सभी पार्टियों ने तैयारी पूरी कर ली है। आर्टिकल 370 हटने के बाद वहां कई कंपनियों ने अपनी फैक्ट्री खोली जिसमें हजारों कश्मीरी लोग काम कर रहे हैं, इससे रोजगार और आए के श्रोत बढ़ें हैं।

J&K ELECTION: पांच साल पहले केंद्र सरकार के फैसले ने पाकिस्तान की तोड़ी थी कमर, अब विधानसभा चुनाव का क्या होगा नतीजा?
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नवनीत कुमार
by: नवनीत कुमार

Published on: 13 Sept 2024 4:30 PM

5 अगस्त 2019 का स्वर्णिम दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया जब खबर आई कि केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रभाव को खत्म कर दिया, साथ ही राज्य को 2 हिस्सों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया। एकसाथ दो केंद्र शासित प्रदेश बनने से लोगों में खुशी थी।

इसके बाद केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 23 अर्जियां दी गई। इन सभी अर्जियों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने फैसला सुनाया।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रपति को आर्टिकल 370 हटाने का हक है और आर्टिकल 370 हटाने का फैसला संवैधानिक तौर पर सही था। भारतीय संविधान के सभी प्रावधान जम्मू कश्मीर पर लागू होते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के पक्ष में बोलते हुए कहा कि ये फैसला जम्मू कश्मीर के एकीकरण के लिए था। इसके पीछे कोई दुर्भावना नहीं थी। साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि लद्दाख को अलग करने का फैसला सही है।

आखिर इसके हटाने की वजह क्या थी?

दरअसल सदियों से पाकिस्तान अलग कश्मीर की मांग करते हुए आ रहा है। साथ ही कश्मीर में लोगों के साथ हो रहे जुल्म की झूठी कहानी दुनिया को सुनाते आ रहा है। ये बात हर बार यूएन में भी उठाया जाता है और भारत की तरफ से कहा जाता है कि ये हमारा आंतरिक मामला है।

पिछले कई वर्षों से हम कश्मीर में आतंकी हमले, पत्थरबाजी और घुसपैठ का सामना कर रहे थे। आर्टिकल 370 हटने से इसमें बेतहाशा कमी आई है। जिस लाल चौक पर पाकिस्तान का झंडा लगा रहता था और जो हटने की कोशिश करता था उसे मौत के घाट उतार दिया जाता था, आज हम वहां शान से तिरंगा फहरा रहे हैं।

साथ ही हमारे कश्मीरी भाइयों को बरगलाकर आतंकी संगठनों में भर्ती कराया जाता था जो हमारे खिलाफ ही लड़ते थे और निर्दोष लोगों और सेना के जवान की जान लेते थे, उसमें काफी कमी आ गई है। बात विकास की करें तो आर्टिकल 370 हटने के बाद वहां कई कंपनियों ने अपनी फैक्ट्री खोली जिसमें हजारों कश्मीरी लोग काम कर रहे हैं। इससे रोजगार और आए के श्रोत बढ़ें हैं। साथ ही दुनिया का सबसे ऊंचा रेल ब्रिज भी यहीं पर मौजूद है।

इस पूरे मामले अगर किसी को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है तो वो वहां की क्षेत्रीय पार्टियों को हुआ है। कांग्रेस पार्टी, महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, फारुख अब्दुल्ला और भी बड़े नेताओं के इरादों पर पानी फिर गया। वो पहले खुलकर पाकिस्तान का समर्थन करते थे और वहां की पीढ़ी दर पीढ़ी को बरगलाने की कोशिश सब बेकार हो गई। यही सब सोचकर गुलाम नबी आजाद ने भी कांग्रेस का दामन छोड़कर अपनी नई पार्टी बनाई थी कि हम वहां के लोगों को अपनी विचारधारा की तरफ मोड़ लेंगे लेकिन उनका भी दांव उल्टा पड़ गया।

खैर अब जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव होना है और इसके लिए सभी पार्टियों ने तैयारी पूरी कर ली है। उम्मीद है यहां की जनता अपने विकास का सोचकर एक मजबूत, सजग और बढ़िया सरकार बनाएगी।

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