Tihar Jail Break: तिहाड़ जेल ब्रेक के ‘रिहर्सल’ को हमने 26 जनवरी का दिन चुना ताकि.... EXCLUSIVE
तिहाड़ जेल ब्रेक की इनसाइड स्टोरी (Tihar Jair Break Inside Story) का सिलसिला स्टेट मिरर पर जारी है. इसी कड़ी में इस बार कुछ और अंदर के ‘राज’ से पर्दा उठा रहे हैं अजय कुमार सिंह. अजय कुमार सिंह चार्ल्स शोभराज सहित उस दिन भागे 5 कैदियों में से खुद भी एक थे.

“इन दिनों ‘ब्लैक-वारंट’ किताब और वेब-सीरीज के बारे में तिहाड़ जेल ब्रेक (Tihar Jail Break) को लेकर जो कुछ मेरे सुनने में आ रहा है, उसमें से अधिकांश तो ‘झूठ के तड़के” से भरा हुआ है. किताब लिखने वाले किसी पूर्व जेल अफसर को भला, तिहाड़ जेल तोड़कर भागने वाले कैदियों से ज्यादा अंदर की इनसाइड स्टोरी या सच कैसे पता हो सकता है? इसी झूठ के पुलिंदे के के दमखम पर पैसा कमाने के लिए ‘वेब-सीरीज’ (Tihar Jail Break Web Series) तक बना या बनवा डाली गई है. जोकि सरासर गलत है.
लिहाजा ऐसे में सच सामने लाने के लिए और समाज में तिहाड़ जेल ब्रेक को लेकर, पूर्व में फैल चुकी व अब फैलाई जा रही ऊट-पटांग बातों को विराम देना जरूरी है. किताब लिखने वाले तिहाड़ जेल के पूर्व अफसर अपने बारे में लिखने तक सीमित रहते तो सही था. अब से 39 साल पहले तिहाड़ जेल 16 मार्च 1986 को कैसे टूटी? इस सवाल का माकूल जवाब तो मेरे पास है न. क्योंकि घटना वाले दिन बिकिनी किलर (Bikini Killer) लेडी किलर (Lady Killer), चार्ल्स शोभराज भागा तो मेरे ही साथ था तिहाड़ जेल तोड़कर. किताब लिखने वाले पूर्व जेल अफसर को उस षडयंत्र की उतनी ही तो जानकारी हो सकती है, जितना उन्होंने फाइलों में पढ़ा होगा. वे कोई उस जेल फरारी कांड के चश्मदीद गवाह या खुद तो हिस्सा नहीं थे न.”
ब्लैक वारंट किताब और वेब सीरीज से सावधान!
तिहाड़ जेल ब्रेक की इनसाइड स्टोरी (Tihar Jair Break Inside Story) के जरिए यह तमाम दो टूक खरी-खरी और, अंदर के ‘राज’ से पर्दा उठा रहे हैं अजय कुमार सिंह. अजय कुमार सिंह चार्ल्स शोभराज सहित उस दिन भागे 5 कैदियों में से खुद भी एक थे. 'स्टेट मिरर हिंदी' के एडिटर क्राइम (मैने) ने भागीरथ-प्रयासों के बाद तलाशा है अजय कुमार सिंह को. ताकि ‘ब्लैक-वारंट’ (Black Warrant) वेब सीरीज (Black Warrant Web Series) में उस जेल ब्रेक (Jail Break) को लेकर दिखाए जा रहे तमाम तथ्यों का झूठ-सच सामने आ सके. और इस काम के लिए भला उस दिन चार्ल्स शोभराज को लेकर तिहाड़ जेल से अपने साथियों के साथ फरार हुए किसी पूर्व विचाराधीन कैदी से ज्यादा और कौन विश्वासी हो सकता है?
तिहाड़ तोड़ने में बृजमोहन-राजू भटनागर मुख्य
उस जेल ब्रेक कांड पर ‘स्टेट मिरर हिंदी’ के पॉडकास्ट में बेबाक बात करते हुए अजय कुमार सिंह बताते हैं कि, चार्ल्स शोभराज की इतनी औकात नहीं थी जो वह तिहाड़ जेल कभी जिंदगी में ‘ब्रेक’ कर लेता. यह तो तिहाड़ जेल नंबर तीन के वार्ड-13 में (जो अब जेल नंबर पांच हो चुकी है) में कैद उस जमाने के खूंखार अपराधी (अगस्त 1991 में मथुरा में पुलिस एनकाउंटर में मारे जा चुके) बृजमोहन शर्मा और उनके साथी, अपराधियों (लक्ष्मी नारायण सिंह, राजू भटनागर, देव कुमार त्यागी) का ही दमखम-दिमाग था, जो जेल ब्रेक करके वे सब भागने में कामयाब हो सके.
एक सवाल के जवाब में अजय कुमार सिंह कहते हैं, ‘चार्ल्स शोभराज चूंकि फ्रेंच (विदेशी) और शातिर दिमाग था. वो बहुत खुराफाती दिमाग भी था. इसीलिए उसके ऊपर तिहाड़ जेल प्रशासन की नजरें बहुत पैनी रहती थीं. दूसरे, चार्ल्स शोभराज को अंग्रेजी आती थी. जबकि तिहाड़ जेल से किसी कैदी को भागने के लिए हिंदी का आना बेहद जरूरी था. राजू भटनागर ने जब तिहाड़ जेल में मेरी ही बैरक(वार्ड) नंबर-13 और जेल नंबर-3 में बंद, अपने दोस्त बृजमोहन शर्मा-लक्ष्मी नारायण सिंह को भगाने की प्लानिंग की. तो यह बात राजू भटनागर ने चार्ल्स शोभराज से भी लीक कर दी. क्योंकि दिसंबर 1985 तक राजू भटनागर खुद भी चार्ल्स शोभराज के साथ तिहाड़ में बंद रह चुका था. इसलिए चार्ल्स शोभाराज और राजू भटनागर दोस्त थे.’
जेल ब्रेक की कहानी अभी तो शुरू हुई है...
16 मार्च 1986 को तिहाड़ जेल ब्रेक की आपबीती मुंहजुबानी सुनाते हुए उस कांड में उन सबके साथ भागने वाले अजय कुमार सिंह कहते हैं, “राजू भटनागर जब षडयंत्र के तहत जेल में बंद अपने साथी बृजमोहन शर्मा-लक्ष्मी नारायण सिंह को जेल-ब्रेक करके छुड़ाने के लिए दिसंबर 1986 में कोर्ट से जान-बूझकर अपनी जमानत कराके जेल से बाहर चला गया. तो बाहर से ही उसने चार्ल्स शोभराज को मैसेज भिजवा दिया कि, अगर वो भी (चार्ल्स शोभराज) जेल से फरार होना चाहे तो, वह अपना ट्रांसफर जेल स्टाफ से मिलकर अपनी तिहाड़ जेल नंबर-1 से जेल नंबर तीन में करा ले. जिसमें बृजमोहन शर्मा, मैं, बजरंग, लक्ष्मी नारायण सिंह पहले से ही बंद थे. जेल से निकल भागना तो चार्ल्स भी चाहता था मगर उसके चूंकि बूते की बात नहीं थी. इसलिए जैसे ही उसे जेल के बाहर मौजूद राजू भटनागर ने जेल से बृजमोहन शर्मा, लक्ष्मी नारायण सिंह के भागने की योजना चार्ल्स शोभराज से लीक की. वो रातों रात अपनी जेल नंबर-1 से हमारी जेल नंबर 3 में आ गया.”
मुझसे पहले चार्ल्स को ‘लीक’ हो गया षडयंत्र
आगे की कहानी के मुताबिक, “हालांकि मुझे और बजरंग को भी जेल ब्रेक करने की भनक एकदम अंतिम दिनों में ही लगी थी. लक्ष्मी नारायण सिंह और बृजमोहन शर्मा और राजू भटनागर को सब पता था क्योंकि षडयंत्र रचने के मास्टरमाइंड तो वे ही तीनों थे. चूंकि उन सबको डर था कि अगर चार्ल्स शोभराज, लक्ष्मी नारायण, बृजमोहन शर्मा के साथ, मैं और बजरंग भी जेल से उस दिन नहीं भागे, तो जांच एजेंसियां, तिहाड़ जेल प्रशासन और दिल्ली पुलिस मुझसे और बजरंग से सब कुछ कबूलवा लेंगीं. लिहाजा उनके साथ न चाहकर भी बजरंग और मेरा उस दिन तिहाड़ से भागना मजबूरी बन गया था. अब ऐसे में अगर कोई यह कहे कि तिहाड़ जेल ब्रेक करने वाला तो मास्टरमाइंड चार्ल्स शोभराज था. यह बात मैं कैसे और क्यों मान लूं? ब्लैक वारंट सीरीज में बेची जा रही ऊट-पटांग कहानी को कैसे और क्यूं आंखें बंद करके बर्दाश्त करूं? जोकि सिर्फ और सिर्फ बकवास और झूठ के सिवाए कुछ नहीं है. गलत को गलत कहना कौन सा जुर्म है? और क्यों है जुर्म सच को सच कहना?”
जेल ब्रेक रिहर्सल को 26 जनवरी इसलिए चुनी
‘स्टेट मिरर हिंदी’ के एक्सक्लूसिव पॉडकास्ट की इस कड़ी में अजय कुमार सिंह एक सवाल के जवाब में बताते हैं, ‘तिहाड़ जेल तोड़कर भागने की रिहर्सल के लिए हमने 26 जनवरी 1986 का ही दिन चुना था. क्योंकि उस दिन पूरे जेल में एक अलग ही देश-भक्ति से ओतप्रोत वातावरण होता है. जेल के अंदर कैदी-मुजरिम-जेल स्टाफ सब पर देशभक्ति आजादी का खुमार चढ़ा होता है. ऐसे में जेल स्टाफ और अफसरान उस जमाने में अपनी नजरों का पैनापन कैदियों के ऊपर से हल्का कर लेते थे. इस बात को हम सब जानते थे.
लिहाजा हमने 26 जनवरी 1986 को ट्रायल कहिए या फिर रिहर्सल के लिए बाहर से जेल में एक टैंपू भरकर फल वगैरह मंगाए. वे हमने पहले जेल अस्पताल में मौजूद जेल स्टाफ, कैदियों और जुविनाइल जेल में बंटवाए. इससे हमें यह तय करना था कि, हमारे उस कदम से जेल में किसी को हम पर शक तो नहीं हो रहा है. और क्या जेल स्टाफ हम पर इतना विश्वास, हमारे जेल तोड़कर भागने वाले दिन तक भी करता रहेगा, जितना और जिस तरह से 26 जनवरी 1986 को हमारे द्वारा रिहर्सल के लिए बाहर से फल से लदा टैंपू, जेल के भीतर मंगवाने के दौरान किया था? उस रिहर्सल में हम लोग “पास” हो गए.’....
39 साल पहले तिहाड़ जेल ब्रेक की सच को बयान करतीं मगर बेहद चौकाने वाली स्टोरी से भरी ‘स्टेट मिरर हिंदी’ की यह सीरीज अभी हमारे पाठकों को आगे भी रोजाना पढ़ने को मिलेगी. इससे संबंधित पॉडकास्ट की कड़ियां देखने के लिए हमारे यूट्यूब चैनल को इस लिंक https://www.youtube.com/@statemirrornews/featured पर क्लिक करके सब्स्क्राइब करें, और स्टोरी पढ़ने के लिए इस लिंक पर पहुंचें https://www.statemirror.com/