'NRC नहीं तो आधार नहीं', सीएम हिमंत का बड़ा एलान, असम में जनसंख्या से अधिक मिले आधार कार्ड
Asam News: असम के तीन जिलों में जनसंख्या से ज्यादा हुए आधार कार्ड होने का खुलासा हुआ है. मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा इसे लेकर एक्शन में दिख रहे हैं.

Asam News: असम से एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आ रहा है. जहां राज्य के तीन जिलों में जनसंख्या से अधिक आधार कार्ड सामने आए हैं और ये आंकड़ा बिना फर्जीवाड़ा के असंभव है. इसे लेकर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने शनिवार को घोषणा की है कि सरकार उन लोगों को अब आधार कार्ड जारी नहीं करेगी, जिन्होंने 2014 में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) का हिस्सा बनने के लिए आवेदन नहीं किया था.
हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि यह निर्णय असम सरकार की ओर चलाए जा रहे एक बड़े अभियान का हिस्सा है और उन्होंने धुबरी , बारपेटा और मोरीगांव का उदाहरण दिया , जहां जारी किए गए आधार कार्डों की कुल संख्या इन जिलों की अनुमानित जनसंख्या से काफी अधिक पाई गई है.
'तीनों जिले हैं मुस्लिम बहुल' -सीएम हिमंत
सीएम हिमंत ने कहा कि ये तीनों जिले अनुमानित जनसंख्या के आंकड़ों के अनुसार जारी किए गए आधार कार्डों का प्रतिशत धुबरी में 103%, बारपेटा में 103% और मोरीगांव में 101% है. ये तीनों मुस्लिम बहुल इलाके हैं. उन्होंने कहा कि इसलिए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि इन जिलों में संदिग्ध घुसपैठियों ने भी आधार कार्ड फर्जीवाड़ा कर बनवाया है.
उन्होंने कहा कि इसके कारण राज्य सरकार ने भविष्य में आधार कार्ड जारी करने के लिए एक मानक संचालन प्रोटोकॉल जारी करने का निर्णय लिया है, जिसके तहत किसी भी व्यक्ति के लिए अपना एनआरसी आवेदन नंबर देना अनिवार्य होगा. जो उन्हें 2015 में आवेदन करते समय प्रदान किया गया था.
एनआरसी की प्रक्रिया 2019 में अंतिम एनआरसी के प्रकाशन के बाद से असम में असमिया नागरिकता पंजीकरण प्रक्रिया अधर में लटकी हुई है. इस प्रक्रिया के लिए आवेदन मार्च से अगस्त 2015 के बीच किए गए थे और 3,30,27,661 लोगों ने आवेदन किया था. अगस्त 2019 में प्रकाशित अंतिम एनआरसी में इनमें से 19 लाख आवेदकों को बाहर रखा गया था. हालांकि, उस एनआरसी को अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया है.