साल 2025 में वर्ल्ड लीडर्स के पास क्या होंगे ग्लोबल चैलेंज? भारत के पास क्या रहेंगी चुनौतियां

एशिया देशों में इस वर्ष कुछ ऐसे विषय रहेंगे जो सरकारों के लिए चुनौती बन सकते हैं, जिनका समाधान करना उनके लिए जरूरी हो सकता है. दुनिया के बड़े और शक्तिशाली देशों जैसे कि अमेरिका, रूस, चीन, ब्राजील, भारत, ब्रिटेन आदि को 2025 में अपने देश से संबंधित एक अनूठी राजनीतिक या आर्थिक चुनौती का सामना करना पड़ेगा.;

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Edited By :  निशा श्रीवास्तव
Updated On : 2 Jan 2025 9:05 AM IST

Global Issues 2025: दुनिया भर के देशों ने बड़ी धूमधाम से साल 2025 का स्वागत किया. हर ओर रौनक देखने को मिली और लोग जश्न मनाते नजर आए. बीते साल में बहुत से ऐसे मुद्दे रहे जिन पर साल भर चर्चा हुई. नए साल में भी वैश्विक स्तर पर युद्ध, जलवायु परिवर्तन, सीमा विवाद जैसे अनेक मुद्दे हैं जो दुनिया भर की सरकारों के लिए एक चुनौती बन सकते हैं.

जानकारी के मुताबिक, जनवरी यानी इस महीने डोनाल्ड्र ट्रम्प अमेरिका के नए राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे. एशिया देशों में इस वर्ष कुछ ऐसे विषय रहेंगे जो सरकारों के लिए चुनौती बन सकते हैं, जिनका समाधान करना उनके लिए जरूरी होगा. दुनिया के बड़े और शक्तिशाली देशों जैसे कि अमेरिका, रूस, चीन, ब्राजील, भारत, ब्रिटेन आदि को 2025 में अपने देश से संबंधित एक अनूठी राजनीतिक या आर्थिक चुनौती का सामना करना पड़ेगा. दुनिया एक साथ कई संकटों से जूझ रही है, जिनके लिए तत्काल और ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है.

युद्ध पर विराम

पिछले कुछ समय से यूक्रेन-रूस, इजरायल-हिजबुल्लाह, हमास-इजरायल, ईरान, समेत अन्यों में जंग देखने को मिल रही है. दोनों ओर से हमले में सैंकड़ों लोगों की जान चली गई. युद्ध पर विराम लगाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन सहमति नहीं बन पा रही है. इन युद्ध के कारण वहां के देशों की अर्थव्यवस्था पर भी असर देखने को मिल रहा है. ग्लोबल पॉलिसी एंड मल्टीलेटरल इनिशिएटिव्स के कार्यकारी निदेशक जॉर्ज हैम्पटन के अनुसार, 'दुनिया के वर्तमान युद्ध क्षेत्रों में भयानक मानवीय त्रासदियां हुई हैं और यह महत्वपूर्ण है कि "ये संघर्ष नए साल में समाधान और पुनर्निर्माण के एक नए चरण में प्रवेश करें.'

विकासशील देशों का वित्तपोषण

दुनिया भर में अमेरिका, चीन, जापान जैसे विकसित हैं बाकी देशों के हालात भी पहले से बेहतर हो रहे हैं, लेकिन कुछ ऐसे देश भी हैं जहां पर लोग अभी भी संसाधनों के अभाव में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं. 2025 में अफ्रीका और एशिया के कुछ हिस्सों में विकास करने के लिए कुछ अहम कदम उठाने की आवश्यकता है. इसके लिए इस वर्ष जून-जुलाई में स्पेन में विकास के लिए वित्तपोषण पर चौथा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (FfD4) आयोजित किया जाएगा. बता दें कि विश्व बैंक, आईएमएफ और अन्य वित्तीय संस्थानों में सुधार के लिए लंबे समय से चर्चा और बहस चल रही है ताकि विकासशील देश इन संस्थानों से आसानी से धन प्राप्त कर सकें.

जलवायु

इस वर्ष जलवायु संरक्षण भी अहम मुद्दा होगा. पहाड़ों, महासागरों, भूमि और नदियों के चरित्र को अपरिवर्तनीय रूप से बदल देखे गए हैं. हमारी हवा, पर्यावरण और भोजन पर बुरा असर पड़ा है. आने वाले वर्ष में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन लक्ष्यों को संशोधित किया जाना चाहिए, कृषि नवाचारों और टिकाऊ खाद्य प्रणालियों को पिछले वर्षों या दशकों की तुलना में बेहतर करने की आवश्यकता है.

लैंगिक समानता

अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के आने के बाद वहां महिलाओं और पुरुषों के लिए लगातार सख्त नियम जारी किए जा रहे हैं. लड़कियों की शिक्षा पर तालिबान का प्रतिबंध या उन्हें रोजगार से वंचित करना लैंगिक समानता पर एक निराशाजनक बयान है. विश्व के नेताओं को इस मुद्दे को उठाने की आवश्यकता है. स्वतंत्रता, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा के अधिकार जैसे कठिन परिश्रम से प्राप्त लाभों को बर्बाद नहीं होने दिया जा सकता.

भारत के लिए चुनौती

भारत के लिए 2025 एक चुनौतियों से भरा साल लग रहा है. इस साल भारत क्वाड नेताओं के शिखर सम्मेलन और भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा. इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एससीओ बैठक के लिए चीन की यात्रा कर सकते हैं. इसके अलावा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भी नई दिल्ली आने की उम्मीद है. इस साल की शुरुआत में राष्ट्रपति-चुनाव डोनाल्ड ट्रम्प के साथ पीएम मोदी की बैठक हो सकती है. भारत के पास 7 से 8 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि को बनाए रखने, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और विनिर्माण को बढ़ाने, रोजगार पैदा करने और चीन के साथ व्यापार संबंधों को बेहतर बनाने की अपनी चुनौतियां भी होंगी.

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