क्या बांग्लादेश फिर से बन जाएगा ईस्ट पाकिस्तान, फिर तख्तापलट के छा रहे बादल? दबाव में युनुस सरकार
साल 2024 के अंतिम दिन ढाका के सेंट्रल शहीद मीनार पर हजारों छात्रों की भीड़ इकट्ठा हुई. छात्रों के गुट ने इस बार मोहम्मद युनुस की अंतरिम सरकार के खिलाफ आवाज उठाई. इस दौरान बांग्लादेश में कट्टरता को बढ़ावा देने और इस्लामिक राज्य स्थापित कराने वाले कई नारे लगाए गए.

बांग्लादेश में कभी शेख हसीना की सरकार को गिराने वाले छात्र एक बार फिर से एक्टिव हो गए हैं. इस बार वो मौजूदा युनुस सरकार के खिलाफ सड़क पर आ गए हैं. बताया जाता है कि इस बार वो युनुस सरकार के फैसलों से खुश नहीं हैं. आंदोलन करने वाले छात्र आंदोलन में मारे गए छात्रों के लिए न्याय दिलाने की मांग उठा रहे हैं.
साल 2024 के अंतिम दिन ढाका के सेंट्रल शहीद मीनार पर हजारों छात्रों की भीड़ इकट्ठा हुई. छात्रों के गुट ने इस बार मोहम्मद युनुस की अंतरिम सरकार के खिलाफ आवाज उठाई. इस दौरान बांग्लादेश में कट्टरता को बढ़ावा देने और इस्लामिक राज्य स्थापित कराने वाले कई नारे लगाए गए.
संविधान और नाम बदलने का है प्लान
छात्र नेता बांग्लादेश के संविधान में संशोधन करने की योजना बना रहे हैं. उनका दावा है कि उनकी पहली कोशिश बांग्लादेश का नाम बदलने की होगी. बांग्लादेश का नाम बदलकर 'इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ बांग्लादेश' या 'इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईस्ट पाकिस्तान' किया जा सकता है. साथ ही, देश में सुन्नत और शरीया कानून लागू करने की बात कही गई है. इसके अलावा, राष्ट्रपति और सेना प्रमुख से जबरन इस्तीफा लेने की संभावना है. और मोहम्मद युनुस को बांग्लादेश का नया राष्ट्रपति बनाया जा सकता है.
क्यों हो रही संविधान बदलने की मांग?
1972 में बनाए गए बांग्लादेश के संविधान को 'मुजीबिस्ट चार्टर' कहते हुए छात्रों ने इसे पूरी तरह समाप्त करने की बात कही. उनका कहना था कि इस संविधान ने भारत को बांग्लादेश पर शासन करने का मौका दिया है. हालांकि, बांग्लादेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी इस विचार से सहमत नहीं है. खालिदा जिया के नेतृत्व वाली बीएनपी ने कहा कि अगर संविधान में कोई कमी है तो उसमें संशोधन किया जा सकता है, लेकिन इसे पूरी तरह नष्ट कर देना उचित नहीं है.
शेख हसीना की पार्टी लड़ेगी चुनाव?
बांग्लादेश के मुख्य चुनाव आयुक्त एएमएम नसीरुद्दीन ने कहा कि अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग पर यदि सरकार या न्यायपालिका प्रतिबंध नहीं लगाती तो पार्टी चुनाव लड़ सकती है. समाचार पत्र ‘ढाका ट्रिब्यून’ की एक खबर के अनुसार, मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ने चटगांव सर्किट हाउस में चुनाव अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान यह बात कही. नसीरुद्दीन ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग पूरी तरह स्वतंत्र है और उस पर कोई बाहरी दबाव नहीं है. उन्होंने कहा कि हम निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
नाबालिग दे सकते हैं वोट!
बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस की ओर से नाबालिगों को भी वोट देने का अधिकार देने की सिफारिश की गई है. अगर इस प्रस्ताव को मान लिया गया तो बांग्लादेश में नाबालिग यानी 18 साल से कम उम्र के लोग भी वोट देने के लिए पात्र होंगे. हालांकि, बांग्लादेश की नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि मतदान की न्यूनतम आयु घटाकर 17 साल की जानी चाहिए.