आतंकी हमलों में एक ही देश का नाम क्यों आता है... आतंकिस्तान को लेकर UN में क्या-क्या बोले डॉ. एस. जयशंकर?

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने भारत का पक्ष रखते हुए आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर जोर दिया. उन्होंने सीमा पार आतंकी हमलों को लेकर कड़ा संदेश दिया और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता बताई. साथ ही वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, सप्लाई चेन संकट और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों पर चिंता जताई. जयशंकर ने सवाल उठाया कि क्या संयुक्त राष्ट्र इन समस्याओं पर ठोस असर दिखा पा रहा है.;

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Edited By :  नवनीत कुमार
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संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने भारत की ओर से संबोधन किया. उन्होंने कहा कि यह संस्था केवल युद्ध रोकने का मंच नहीं है, बल्कि शांति स्थापित करने और हर मानव की गरिमा बनाए रखने का प्रतीक है. 80 वर्षों की यात्रा में संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक चुनौतियों और अवसरों को दिशा दी है.

जयशंकर ने अपने भाषण की शुरुआत भारत की जनता की ओर से सभी प्रतिनिधियों को नमस्कार कहकर की. उन्होंने कहा कि आज दुनिया वैश्वीकरण, जलवायु संकट, स्वास्थ्य सुरक्षा और विकास लक्ष्यों जैसी चुनौतियों से जूझ रही है. ऐसे में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका और भी अहम हो जाती है.

उपनिवेशवाद से वैश्वीकरण तक

विदेश मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद उपनिवेशवाद का अंत हुआ और विविधता को अपनाने का दौर शुरू हुआ. सदस्य देशों की संख्या तेजी से बढ़ी और संगठन का दायरा भी व्यापक हो गया. वैश्वीकरण के समय में संयुक्त राष्ट्र ने विकास लक्ष्यों को प्राथमिकता दी, व्यापार को प्रोत्साहन दिया और जलवायु परिवर्तन व खाद्य सुरक्षा को वैश्विक मुद्दों से जोड़ा.

आतंकवाद पर भारत का सख्त रुख

जयशंकर ने आतंकवाद पर भारत की स्थिति स्पष्ट करते हुए पड़ोसी देश पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद से ही भारत आतंकवाद की चुनौती झेल रहा है क्योंकि उसका पड़ोसी देश आतंकवाद का केंद्र बना हुआ है. अंतरराष्ट्रीय आतंकी हमलों की जड़ें उसी से जुड़ी हैं और संयुक्त राष्ट्र की आतंकी सूची में उस देश के नागरिकों के नाम दर्ज हैं.

सीमा पार हमलों का उदाहरण

उन्होंने पहलगाम में अप्रैल 2025 में निर्दोष पर्यटकों की हत्या का जिक्र किया. जयशंकर ने कहा कि यह सीमा पार से की गई बर्बरता का ताजा प्रमाण है. भारत ने अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए जिम्मेदार अपराधियों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया.

वैश्विक सहयोग की आवश्यकता

विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए साझा खतरा है और इसे हराने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग जरूरी है. जब कोई देश आतंकवाद को राज्य नीति बना लेता है और जब आतंकवादियों का महिमामंडन खुलेआम होता है, तो इसकी स्पष्ट निंदा होनी चाहिए.

आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस

जयशंकर ने साफ कहा कि भारत की नीति जीरो टॉलरेंस पर आधारित है. इसमें मजबूत सीमा सुरक्षा, वैश्विक साझेदारी को बढ़ावा और विदेशों में भारतीय समुदाय की रक्षा शामिल है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत हमेशा स्वतंत्र सोच बनाए रखेगा और ग्लोबल साउथ की आवाज़ के रूप में कार्य करता रहेगा.

आर्थिक चुनौतियां और सप्लाई चेन

अपने संबोधन में उन्होंने आर्थिक अस्थिरता पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि टैरिफ में अस्थिरता, सीमित आपूर्ति स्रोत, तकनीकी नियंत्रण और खनिजों पर पकड़ जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं. इसके अलावा समुद्री मार्गों की सुरक्षा और वैश्विक कार्यस्थल पर पाबंदियां भी गंभीर चुनौती बन रही हैं.

संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर सवाल

अंत में जयशंकर ने सवाल उठाया कि इन चुनौतियों से निपटने में क्या हम वास्तव में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ा रहे हैं. उन्होंने पूछा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठन ने इन मुद्दों पर क्या ठोस बदलाव लाया है और क्या यह संस्था अपने मूल उद्देश्यों को पूरा करने में सफल रही है.

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