जिसने भी चीन से मिलाया हाथ, वो हुआ कंगाल, क्या बांग्लादेश का भी हो जाएगा श्रीलंका जैसा हाल?

चीन ने अपनी विस्तारवादी नीति के तहत नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों को अपने कर्ज जाल में फंसाया है. इन देशों की अर्थव्यवस्थाएं और राजनीतिक स्थिति अस्थिर हो चुकी हैं. बांग्लादेश, जो पहले भारत का करीबी था, अब चीन से रिश्ते बढ़ा रहा है, लेकिन इस जाल में फंसने से उसे भी गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है.;

Curated By :  नवनीत कुमार
Updated On : 1 April 2025 3:46 PM IST

चीन ने अपनी आर्थिक और राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल करके नेपाल से लेकर बांग्लादेश तक के देशों में गहरी पैठ बना ली है. पाकिस्तान, श्रीलंका और अन्य देशों के उदाहरण दिखाते हैं कि जहां भी चीन का प्रभाव बढ़ा, वहां सामाजिक और आर्थिक समस्याएं उत्पन्न हुईं. चीन के इस प्रभाव से बांग्लादेश भी अब प्रभावित हो रहा है, और उसका भविष्य भी संकट में नजर आ रहा है. चीन ने इन देशों को अपनी कर्ज नीति और रणनीतिक रिश्तों के जाल में फंसा लिया है, जिसका नतीजा कई देशों में राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता के रूप में सामने आया है.

बांग्लादेश, जो एक समय तक भारत का करीबी साझीदार था, अब चीन के साथ रिश्ते बढ़ाने की दिशा में बढ़ रहा है. मोहम्मद युनुस ने हाल ही में चीन के साथ द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने का समर्थन किया और इसे बांग्लादेश के लिए लाभकारी बताया. हालांकि, यह सब तब हो रहा है जब बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट का सामना कर रही है. चीन के साथ संबंधों को मजबूत करने की प्रक्रिया में बांग्लादेश ने भारत से अपने रिश्तों को बिगाड़ लिया है, और अब उसे समझ में आ रहा है कि चीन के साथ बढ़ी हुई दोस्ती से उसे गंभीर खतरे का सामना हो सकता है.

कमजोर देशों को भारी कर्ज देता है चीन

चीन का उद्देश्य बांग्लादेश को अपनी कर्ज नीति के तहत और ज्यादा कर्ज में डुबोने का है. चीन की इस रणनीति को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि वह कमजोर देशों को भारी कर्ज प्रदान कर उन्हें अपने काबू में कर लेता है. श्रीलंका और अफ्रीकी देशों के उदाहरण इस बात का प्रमाण हैं कि चीन की कर्ज नीति से इन देशों की अर्थव्यवस्थाएं कमजोर हो गईं. बांग्लादेश ने पहले ही चीन से 7.5 अरब डॉलर का कर्ज लिया है, और अब वह और कर्ज लेने की योजना बना रहा है. इस स्थिति में बांग्लादेश को खतरा है कि वह भी श्रीलंका और पाकिस्तान की तरह चीन के कर्ज जाल में फंस सकता है.

श्रीलंका और पाकिस्तान का हुआ बुरा हाल

चीनी कर्ज नीति से न केवल देशों की अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित होती हैं, बल्कि उनकी राजनीतिक स्थिति भी अस्थिर हो जाती है. श्रीलंका ने 2022 में आर्थिक संकट का सामना किया, जब उसकी विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आने के कारण महंगाई बढ़ गई और राजनीतिक संकट उत्पन्न हुआ. चीन ने श्रीलंका को भारी कर्ज देकर उसे अपनी पकड़ में लिया और इस प्रक्रिया में श्रीलंका को 7 अरब डॉलर का नुकसान हुआ. पाकिस्तान की स्थिति भी अब और खराब हो गई है, जहां बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में चीन विरोधी आंदोलन बढ़ रहे हैं. पाकिस्तान अब चीनी प्रभाव से उबरने की कोशिश कर रहा है, लेकिन स्थिति विकट होती जा रही है.

कई अफ्रीकी देश हो चुके हैं बर्बाद

नेपाल, जो पहले से ही चीन के बढ़ते प्रभाव से परेशान है. अब इस प्रभाव से बाहर निकलने के लिए संघर्ष कर रहा है. कई अफ्रीकी देशों की तरह, बांग्लादेश भी अब चीन के प्रभाव से घिर चुका है. वह चीन के कर्ज जाल में फंसने से पहले इससे बचने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अब उसने चीन के साथ आर्थिक और तकनीकी सहयोग बढ़ाने का कदम उठाया है. इस तरह, बांग्लादेश भी अब उसी राह पर बढ़ रहा है, जिस पर पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देश पहले चल चुके हैं.

बांग्लादेश करे नीतियों में बदलाव

अगर बांग्लादेश ने अपनी नीतियों में बदलाव नहीं किया, तो वह जल्द ही पाकिस्तान और श्रीलंका जैसी स्थिति का सामना कर सकता है. चीन का यह फरेब-तंत्र उसकी दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है, जिसका शिकार कई देशों को बनना पड़ा है. बांग्लादेश के लिए यह समय बेहद संवेदनशील है, और अगर वह चीन के प्रभाव से बाहर नहीं निकला, तो उसे भी आर्थिक और राजनीतिक संकटों का सामना करना पड़ सकता है.

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