शराब पियो और टेबल पर डांस करो... ऑस्ट्रेलियाई संसद में मुस्लिम सीनेटर से बदतमीजी; जानें कौन है फातिमा पैमान
ऑस्ट्रेलिया की पहली हिजाबधारी मुस्लिम सांसद फैटिमा पेमन ने एक सहकर्मी पर शराब पीने और टेबल पर नाचने का दबाव डालने का आरोप लगाया है. यह मामला सिर्फ यौन दुर्व्यवहार नहीं, बल्कि धार्मिक असहिष्णुता और इस्लामोफोबिया की गंभीर तस्वीर पेश करता है. पहले भी संसद में यौन उत्पीड़न के मामले सामने आ चुके हैं, जो सिस्टम की गहरी खामियों को उजागर करते हैं.;
ऑस्ट्रेलिया की सीनेटर फैटिमा पेमन ने हाल ही में ऐसा खुलासा किया जिसने देश की संसद की कार्यसंस्कृति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. वह हिजाब पहनने वाली पहली मुस्लिम सांसद हैं. पेमन ने बताया कि एक पुरुष सहकर्मी ने उनसे शराब पीने और टेबल पर नाचने को कहा. उन्होंने इसे न केवल असहज, बल्कि जबरदस्ती और सांस्कृतिक असंवेदनशीलता का मामला बताया. यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब ऑस्ट्रेलियाई संसद पहले से ही कार्यस्थल पर महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न के मामलों को लेकर जांच के घेरे में है.
पेमन का यह अनुभव केवल एक महिला के साथ हुआ दुर्व्यवहार नहीं, बल्कि धार्मिक पहचान का भी अपमान है. एक मुस्लिम महिला के तौर पर, जिन्होंने सार्वजनिक रूप से शराब से परहेज और हिजाब पहनने की अपनी धार्मिक मान्यता जताई है, उनके साथ ऐसा व्यवहार करना धार्मिक असहिष्णुता और इस्लामोफोबिया का संकेत देता है. पेमन ने इस दबाव को अपने मूल्यों और आस्था के खिलाफ बताया, जो ऑस्ट्रेलिया में धार्मिक स्वतंत्रता के वादों पर एक कटाक्ष जैसा है.
कौन था जिम्मेदार? जवाबदारी से बचता तंत्र
हालांकि पेमन ने मामले की औपचारिक शिकायत दर्ज की है, लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि आरोपी सहकर्मी कौन था और यह घटना कब की है. इस गोपनीयता ने सत्ताधारी तंत्र की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं. क्या यह राजनीतिक रसूख के कारण दबा दिया जाएगा? या फिर इसे गंभीरता से लेकर कार्रवाई की जाएगी? इस अनिश्चितता ने न केवल पेमन, बल्कि अन्य अल्पसंख्यक और महिला सांसदों के लिए भी असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है.
कौन है फातिमा पेमन?
फातिमा पेमन अफगानिस्तान में जन्मी एक प्रवासी महिला हैं, जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया की राजनीति में एक ऐतिहासिक पहचान बनाई. तालिबान शासन से बचकर उनका परिवार पहले पाकिस्तान और फिर 2003 में ऑस्ट्रेलिया पहुंचा. पर्थ में बसने के बाद पेमन ने इस्लामिक स्कूलिंग से शुरुआत की और फिर वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी से मानवविज्ञान, समाजशास्त्र और फार्मास्युटिकल साइंस में उच्च शिक्षा प्राप्त की.
2022 में बनी सीनेटर
राजनीति में कदम रखते हुए उन्होंने 2014 में ऑस्ट्रेलियन लेबर पार्टी (ALP) का दामन थामा और यूनियन एक्टिविस्ट के रूप में सक्रिय भूमिका निभाई. यूनाइटेड वर्कर्स यूनियन में आयोजक और यंग लेबर WA की अध्यक्ष बनने के बाद, 2022 में वह पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया से सीनेटर चुनी गईं. इसी के साथ वह ऑस्ट्रेलियाई संसद में हिजाब पहनने वाली पहली महिला सीनेटर बनीं, जो धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान के साथ-साथ सामाजिक न्याय की मुखर आवाज़ भी बन गईं.
2024 में बनाई अपनी पार्टी
2024 में पेमन ने गाजा पर इजरायली हमलों को नरसंहार कहकर ALP की आधिकारिक नीति के विरुद्ध जाकर फिलिस्तीन को मान्यता देने का समर्थन किया. इससे उन्हें पार्टी कॉकस से निलंबित कर दिया गया, जिसके बाद उन्होंने ALP छोड़ते हुए 'ऑस्ट्रेलिया की आवाज़' नामक अपनी स्वतंत्र राजनीतिक पार्टी की स्थापना की. पेमन आज ऑस्ट्रेलियाई राजनीति में अल्पसंख्यकों और महिलाओं के अधिकारों की एक निर्भीक प्रतिनिधि मानी जाती हैं.
पुरानी दरारें फिर सतह पर
यह घटना पहली बार नहीं है जब ऑस्ट्रेलिया की संसद में कार्यस्थल की संस्कृति पर उंगलियां उठी हों. 2021 में ब्रिटनी हिगिंस के मामले ने पूरे देश को झकझोर दिया था जब उन्होंने आरोप लगाया कि संसद भवन के भीतर ही उनके साथ बलात्कार हुआ था. उस घटना के बाद संसद में भारी विरोध-प्रदर्शन हुए और एक समीक्षा में खुलासा हुआ कि वहां शराब पीने, बदसलूकी और यौन उत्पीड़न की संस्कृति गहराई से फैली हुई है. पेमन का मामला इसी पुरानी समस्या की नई कड़ी बन गया है.
महिलाओं के लिए चेतावनी की घंटी
फैटिमा पेमन का यह अनुभव न केवल ऑस्ट्रेलियाई संसद की कार्यसंस्कृति के लिए चुनौती है, बल्कि यह मुस्लिम महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के लिए भी एक चेतावनी है. यह दर्शाता है कि उच्च पदों पर बैठने के बावजूद महिलाएं धार्मिक या सांस्कृतिक आधार पर अपमानित की जा सकती हैं. यह घटना एक बड़ा सवाल खड़ा करती है: क्या बहुसांस्कृतिक समाजों में अल्पसंख्यकों को वाकई समान सम्मान और अवसर मिल रहे हैं?