कौन है मुल्ला याकूब, जिससे मिले भारत के दूत? कहानी तालिबान में दिख रहे नए एंगल की

अपने पिता के प्रभाव और तालिबान की कट्टरपंथी विचारधारा के साथ बड़े होने के बावजूद, याकूब ने एक ऐसा मार्ग चुना जो तालिबान की शक्ति को बनाए रखने के साथ-साथ उसे आधुनिक भी बनाता है. उन्होंने तालिबान की सेना को आधुनिक हथियारों और तकनीकों से लैस करने की दिशा में कदम उठाए और अफगानिस्तान की सैन्य और राजनीतिक स्ट्रैटेजी को बनाया.;

( Image Source:  afghanislamicpress )
Curated By :  नवनीत कुमार
Updated On : 8 Nov 2024 1:52 PM IST

मुल्ला याकूब तालिबान के शीर्ष नेताओं में से एक हैं और वर्तमान में अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के रक्षा मंत्री हैं. वह तालिबान के संस्थापक और प्रमुख नेता रहे मुल्ला उमर के बेटे हैं, जिन्हें तालिबान के सबसे कुख्यात नेताओं में गिना जाता है. मुल्ला उमर ने 1994 में तालिबान का गठन किया था और इसके पीछे की विचारधारा को बढ़ावा दिया था. मुल्ला उमर का IC184 हाइजैक से भी कनेक्‍शन रहा है. कंधार हाईजैक के समय वह तालिबान का प्रमुख था और उसने भारत का साथ नहीं दिया था.

मुल्ला उमर की छवि एक उग्र नेता की थी जिसने अफगानिस्तान में कट्टरपंथी विचारधारा का प्रसार किया और 1996 से 2001 तक एक सख्त शासन स्थापित किया. याकूब का बचपन इसी माहौल में गुजरा, जहां उनके पिता के चरित्र और विचारधारा का प्रभाव हर ओर फैला हुआ था. मुल्ला याकूब होटक जनजाति के एक जातीय पश्तून हैं. उन्होंने कराची और पाकिस्तान में कई मदरसों से धार्मिक शिक्षा हासिल की है.

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अपने पिता के प्रभाव और तालिबान की कट्टरपंथी विचारधारा के साथ बड़े होने के बावजूद, याकूब ने एक ऐसा मार्ग चुना जो तालिबान की शक्ति को बनाए रखने के साथ-साथ उसे आधुनिक भी बनाता है. उन्होंने तालिबान की सेना को आधुनिक हथियारों और तकनीकों से लैस करने की दिशा में कदम उठाए और अफगानिस्तान की सैन्य और राजनीतिक स्ट्रैटेजी को बनाया.

पिता की मौत के बाद संभाली विरासत

2015 में अपने पिता की मृत्यु के बाद, याकूब ने संगठन में अपनी स्थिति को मजबूत करने का प्रयास किया और धीरे-धीरे तालिबान के वरिष्ठ नेताओं में शामिल हो गए. मुल्ला याकूब के नेतृत्व में तालिबान ने अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूत किया है और नए समय के हिसाब से रणनीतियां अपनाई.

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हालांकि, उनकी विचारधारा अभी भी तालिबान की पारंपरिक धारा के साथ जुड़ी हुई है और वे संगठन के कड़े इस्लामी कानूनों को बनाए रखने का समर्थन करते हैं. उनके नेतृत्व को तालिबान के भीतर स्थिरता लाने और अफगानिस्तान में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है.

नर्म रवैये वाला नेता

लोगों का कहना है मुल्ला उमर का बड़ा बेटा याकूब तालिबान की मौजूदा लीडरशिप में सबसे नरमपंथी रवैये वाला नेता है. वह अलकायदा की तरह अमेरिका और दूसरे पश्चिम देशों का दुश्मन नहीं है. अपने पिता की मौत के बाद उसने शांत शब्दों में कहा तह कि उसके पिता की मौत के पीछे कोई साजिश नहीं थी. साथ ही तालिबानी नेताओं से एकता बनाए रखने की गुजारिश की थी. 

तालिबान में दिखा नया एंगल

मुल्ला याकूब की कहानी इस बात का उदाहरण है कि किस तरह एक कट्टरपंथी माहौल में पैदा होने के बावजूद व्यक्ति अपने समय के हिसाब से खुद को और अपनी विचारधारा को ढाल सकता है. तालिबान के दुर्दांत आतंकी मुल्ला उमर के बेटे होने के कारण याकूब का चरित्र भी कठोर माना जाता है. लेकिन उनके नेतृत्व में तालिबान में एक नया दृष्टिकोण देखा गया. याकूब ने न केवल तालिबान की ताकत को बढ़ाया, बल्कि सही ढंग से अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी पेश करने का प्रयास किया.

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भारत ने मुल्ला याकूब के पास भेजा दूत

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल को काबुल भेजा. इस दौरान उनकी मुलाकात मुल्‍ला उमर के बेटे मुल्ला याकूब से हुई. इसे विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव जेपी सिंह ने लीड किया. भारतीय डेलिगेशन ने पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई से भी मुलाकात की. माना जाता है कि स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर दोनों देशों के बीच कोई डील हो सकती है.

साथ ही जम्मू कश्मीर में तबाही मचा रहे आतंकी संगठनों से अच्छे संबंध है. माना जा रहा है कि इस मुलाकात के बाद जम्मू कश्मीर में आतंकी घटनाओं में कमी देखने को मिल सकती है. इसके अलावा भारत-अफगानिस्तान के बीच नए सिरे से रिश्ते की शुरुआत होगी.

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