कौन हैं हसीम सैफीद्दीन जो होंगे हिजबुल्लाह के नए चीफ? तेहरान से हैं अच्छे संबंध
इजराइल के हमले में हिजबुल्लाह चीफ नसरल्ला की मौत हो गई है। इस घटना के बाद पूरे मुस्लिम देश में हलचल मची हुई है। इसके बाद ईरान के सुप्रीम लीडर खुद अंडर ग्राउंड हो गए हैं। साथ ही उन्होंने OIC की बैठक भी बुलाई है जिसमें 57 देश शामिल हैं। इन सबके बाद अब सवाल उठता है कि 32 साल तक राज करने वाले नसरल्ला की मौत के बाद आखिर हिजबुल्लाह का नया चीफ कौन होगा?;
इजराइल के हमले में हिजबुल्लाह चीफ नसरल्ला की मौत हो गई है। इस घटना के बाद पूरे मुस्लिम देश में हलचल मची हुई है। इसके बाद ईरान के सुप्रीम लीडर खुद अंडर ग्राउंड हो गए हैं। साथ ही उन्होंने OIC की बैठक भी बुलाई है जिसमें 57 देश शामिल हैं। इस घटना के बाद लेबनान की राजधानी बेरुत में भी काफी उथल पुथल मचा हुआ है। ईरान ने बेरुत की सभी फ्लाइटों को कैंसल कर दिया है। इन सबके बाद अब सवाल उठता है कि 32 साल तक राज करने वाले नसरल्ला की मौत के बाद आखिर हिजबुल्लाह का नया चीफ कौन होगा?
बता दें कि हिजबुल्लाह के लिए अभी काफी संकट का समय चल रहा है। वह अपने शीर्ष नेता की हत्या के बाद नए नेता की तलाश में जुटा हुआ है। हिजबुल्लाह का जो नया चेहरा होगा वो संगठन को संभाले और ईरान भी उसका समर्थन करे। अब नए चेहरे के तौर पर हसीम सैफीद्दीन को देखा जा रहा है।
कौन है हसीम सैफीद्दीन?
सैफीद्दीन वर्तमान में हिजबुल्लाह के राजनीतिक मामलों को देख रहा है। वह समूह की जिहाद परिषद का अध्यक्ष भी है। उन्हें पहले से ही नसरल्लाह के संभावित उत्तराधिकारी के रूप में देखा ही जा रहा था। क्योंकि वह इन पदों के साथ हिजबुल्लाह का चचेरा भाई भी है। हसीम को 2017 में अमेरिका ने आतंकवादी घोषित किया था। नसरल्लाह उसे उत्तराधिकारी घोषित करने के लिए कई पदों की जिम्मेदारी देकर इसे तैयार कर रहा था।
सैफीद्दीन का तेहरान से बेहतर संबंध
सैफीद्दीन का तेहरान के साथ बहुत ही मजबूत संबंध है। उन्होंने हिजबुल्लाह में कई पदों को संभालने के लिए नसरल्लाह की ओर से बेरूत बुलाए जाने से पहले कई सालों तक यहीं पढ़ाई की थी। उसके बेटे रिदा ने 2020 में सुलेमानी की बेटी ज़ैनब सुलेमानी से शादी की है। सुलेमानी बगदाद में अमेरिकी द्वारा किए गए हवाई हमले में मारे गए थे।
16 साल पहले ही एक ईरानी अख़बार ने सैफीद्दीन को नसरल्लाह के संभावित उत्तराधिकारी बताया था। लेकिन सूत्रों से पता चला कि यह फैसला बहुत पहले ही ले लिया गया था। जब इजरायल ने अब्बास अल-मौसावी की हत्या कर दी थी तभी सैफीद्दीन को तेहरान से बेरुत बुलाया गया था।