लॉरेंस और हाशिम बाबा के इशारे पर राशिद केबलवाला करता था मर्डर, पढ़ें कुख्यात गैंगस्टर की क्राइम कुंडली
दिल्ली पुलिस ने कुख्यात गैंगस्टर राशिद केबलवाला को अज़रबैजान से गिरफ्तार कर लिया है. यह खूंखार गैंगस्टर लॉरेंस और हाशिम बाबा के इशारे पर लोगों की हत्या करता था. कई सालों से पुलिस की नजरों से भागते-भागते अब आखिरकार वह जेल की सलाखों के पीछे जाएगा.;
अजरबैजान के मुसाफिर टर्मिनल में जब एक भारतीय युवक को इमिग्रेशन अधिकारियों ने घेरा, तो किसी ने नहीं सोचा था कि यह वही नाम होगा जिसकी तलाश दिल्ली पुलिस, इंटरपोल और भारतीय खुफिया एजेंसियां महीनों से कर रही थीं. यह था राशिद उर्फ राशिद केबलवाला, भारत की अपराध दुनिया का वह चेहरा जिसने दिल्ली की सड़कों से लेकर अंतरराष्ट्रीय अपराध सिंडिकेट तक अपनी पैठ बना ली.
कागज़ों में मामूली गड़बड़ी के चलते पकड़ा गया यह भगोड़ा दरअसल हत्याओं, गैंगवार और जबरन वसूली जैसे संगीन मामलों में मोस्ट वांटेड अपराधी है. लेकिन सवाल है कि आखिर कौन है राशिद केबलवाला और कैसे बना वह अपराध की दुनिया का बड़ा नाम?
कैसे पड़ी अंडरवर्ल्ड में पहली कड़ी
राशिद का शुरुआती जीवन बेहद साधारण था. दिल्ली की तंग गलियों और आम परिवार के बीच उसका बचपन गुजरा. पैसे की कमी और गलत संगत ने उसे अपराध की राह पर धकेला. छोटे-मोटे झगड़ों और अवैध वसूली से शुरुआत करने वाला राशिद जल्द ही स्थानीय गैंगों की निगाह में आ गया. सत्ता और पैसे की लालच ने उसे आगे बढ़ाया और 2013 आते-आते उसका नाम दिल्ली पुलिस की अपराध सूची में शामिल हो गया. इसी दौरान उसकी मुलाकात हुई हाशिम बाबा से. यह मुलाकात उसके अपराधी करियर की दिशा तय कर गई. दोनों ने मिलकर एक ऐसा गैंग बनाया, जो जल्द ही दिल्ली और NCR में तेजी से उभरने लगा.
मामा की हत्या से बना अपराधी
साल 2013 में अकील मामा की हत्या ने राशिद और हाशिम बाबा को अपराध जगत की सुर्खियों में ला दिया. यह हत्या एक अंतिम संस्कार के दौरान की गई थी, जिसने पूरे दिल्ली-एनसीआर में सनसनी फैला दी. यह पहली बार था जब पुलिस ने राशिद को एक खतरनाक शूटर और साजिशकर्ता के रूप में पहचाना. इसके बाद दोनों अपराध की दुनिया में गहराई तक उतर गए.
ऐसे अलग हुए राशिद और हाशिम
उनके गैंग में हत्या, रंगदारी, धमकी और गिरोहबाजी आम बात बन गई. जल्द ही दोनों ने अपना नेटवर्क बढ़ाना शुरू किया, लेकिन बढ़ते अपराध और पैसों की लड़ाई ने दोनों के रास्ते अलग कर दिए. यहीं से राशिद ने अपना गैंग अलग बनाकर स्वतंत्र रूप से काम करना शुरू किया.
2018 में विदेश भागने की पहली कोशिश
अपने बढ़ते आपराधिक रिकॉर्ड और पुलिस की गर्माहट से बचने के लिए राशिद ने 2018 में सऊदी अरब भागने की कोशिश की. हालांकि वह पकड़ा गया, लेकिन कुछ ही समय बाद छूटकर फिर विदेश निकल गया. उसने रियाद में गारमेंट्स का बिजनेस शुरू किया और फिर थाईलैंड तक अपना नेटवर्क फैलाने लगा. जांचकर्ताओं का मानना है कि यह बिजनेस उसकी अवैध कमाई को सफेद करने का तरीका था.
ऐसे बना हाई-प्रोफाइल अपराधी
2019 में दिल्ली क्राइम ब्रांच ने राशिद पर MCOCA लगाया. 2020 में स्पेशल सेल के हत्थे चढ़ा, लेकिन 2022 में जाली पासपोर्ट बनवाकर फरार हो गया. इसके बाद उसका अपराधिक सफर और खतरनाक मोड़ लेने लगा. वह अब सिर्फ राशिद नहीं रहा, वह राशिद केबलवाला बन चुका था, ऐसा गैंगस्टर जिसके तार लॉरेंस बिश्नोई सिंडिकेट तक जुड़े माने जाते हैं.
हत्याओं की कड़ी जिसने बनाया मोस्ट वांटेड
2024 उसके लिए दुश्मनों से बदला और गैंगवार का साल बनकर आया. उसके नाम कई हाई-प्रोफाइल हत्याओं से जुड़े. इनमें सितंबर 2024 ग्रेटर कैलाश में व्यवसायी नादिर शाह की हत्या, अक्टूबर 2024 पूर्वी दिल्ली में दिवाली की रात दोहरा हत्याकांड और दिसंबर 2024 कृष्णा नगर में बिजनेसमैन सुनील जैन की हत्या शामिल है. इन वारदातों ने दिल्ली पुलिस और एजेंसियों को सतर्क कर दिया. उसके सिर पर 1 लाख रुपये का इनाम रखा गया और उसे दिल्ली पुलिस की मोस्ट वांटेड लिस्ट में डाल दिया गया.
सुनील जैन मर्डर केस: बदले की कहानी या गैंग की चाल?
दिसंबर 2024 में राशिद ने टाइम्स ऑफ इंडिया को फोन इंटरव्यू दिया था. उसने दावा किया था कि 'सुनील जैन टारगेट नहीं था, असली निशाना विराट था. यह हत्या अक्टूबर के दोहरे हत्याकांड का बदला थी. असली शूटिंग साहिल उर्फ गोलू ने की, जो अभी भी फरार है. उसका यह बयान अपराध की कहानी का नया पहलू सामने लाया, पर सत्य अभी भी रहस्य है.
अजरबैजान में गिरफ़्तारी: अंत की शुरुआत?
राशिद को आखिरकार इस्तांबुल से बाकू पहुंचते ही हवाई अड्डे पर पकड़ लिया गया. उसके पास दस्तावेजों में गड़बड़ी थी. अब भारतीय एजेंसियां उसकी देश वापसी के लिए प्रत्यर्पण प्रक्रिया में जुट गई हैं.
अपराध, पैसा और अंतरराष्ट्रीय खेल
राशिद केबलवाला की कहानी सिर्फ एक गैंगस्टर की नहीं, बल्कि अपराध में महत्वाकांक्षा की खतरनाक यात्रा है. दिल्ली की गलियों से निकलकर उसने अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट तक पहुंच बनाई, फर्जी पासपोर्ट बनाया, विदेश भागा, बिजनेस का मुखौटा खड़ा किया और फिर भी अपने अपराधी अतीत से नहीं बच सका. अब देखना यह है कि क्या उसकी गिरफ्तारी दिल्ली-एनसीआर में चल रहे अपराध और गैंगवार के काले नेटवर्क को खत्म करेगी, या यह कहानी अभी आगे और बढ़ेगी?