क्‍या ब्‍लड मनी बचा पाएगी निमिषा प्रिया की जान? 'नर्स के हाथो' मरने वाले के भाई ने कहा- 'माफी नहीं फांसी हो'

2017 में यमन में केरल की नर्स निमिषा प्रिया पर अपने बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो मेहदी की हत्या का आरोप लगा और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई. अब भारत सरकार और सामाजिक संगठनों की ओर से ब्लड मनी के जरिए फांसी टालने की कोशिशें जारी हैं. लेकिन मृतक के भाई अब्देलफत्ताह मेहदी ने साफ कहा है कि उन्हें कोई माफी मंजूर नहीं, सिर्फ फांसी चाहिए.;

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By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 16 July 2025 5:58 PM IST

2017 में यमन में एक यमनी नागरिक की हत्या के आरोप में दोषी ठहराई गई केरल की नर्स निमिषा प्रिया को लेकर राहत की खबर सामने आई थी कि फिलहाल फांसी टाल दी गई है. लेकिन मृतक तलाल अब्दो मेहदी के भाई अब्देलफत्ताह मेहदी ने साफ कह दिया है कि उनकी ओर से किसी भी प्रकार की माफी या ब्लड मनी (खून का मुआवजा) को मंजूरी नहीं दी जाएगी.

उन्होंने 'बीबीसी' से बातचीत में कहा कि 'हम केवल 'क़िसास’ चाहते हैं यानी शरीयत के मुताबिक बदला, निमिषा को फांसी होनी चाहिए. अब्देलफत्ताह ने भारतीय मीडिया पर भी जमकर निशाना साधा और कहा कि 'भारत में मीडिया एक क़ातिल को पीड़िता बनाकर पेश कर रहा है, जो पूरी तरह से झूठ और गुमराह करने वाला है.'

'कोई माफी नहीं, सिर्फ फांसी चाहिए'

अब्देलफत्ताह मेहदी ने अपने भाई तलाल की मौत को ‘नृशंस हत्या’ बताया और कहा, सिर्फ हत्या नहीं, उसके शव के अंग भी काटे गए और उसे पानी की टंकी में फेंक दिया गया. ऐसे अमानवीय कृत्य के लिए कोई भी बहाना स्वीकार्य नहीं हो सकता. उन्होंने इस बात को खारिज कर दिया कि तलाल ने निमिषा का पासपोर्ट जब्त किया था या उसका उत्पीड़न किया गया था. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि निमिषा और तलाल के बीच व्यावसायिक रिश्ता था, जो बाद में संक्षिप्त विवाह में बदला, लेकिन यह विवाद हत्या का कारण नहीं हो सकता.

भारतीय प्रयासों के बावजूद परिवार नहीं माने

यमन की अदालतों ने निमिषा को 2020 में मौत की सज़ा सुनाई थी और नवंबर 2023 में यमनी सुप्रीम कोर्ट ने इसे बरकरार रखा. हालांकि, शरीया कानून के अंतर्गत 'ब्लड मनी' देकर माफी पाने का विकल्प मौजूद है, लेकिन तलाल का परिवार इसे सिरे से खारिज कर रहा है. अब्देलफत्ताह ने कहा कि, हमने न केवल अपने भाई को खोया, बल्कि वर्षों तक न्याय की लंबी लड़ाई भी झेली. अब हम कोई समझौता नहीं चाहते.'

भारत सरकार और धार्मिक नेता जुटे प्रयास में

निमिषा की फांसी बुधवार को तय थी, लेकिन भारतीय सरकार, ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम ए पी अबूबकर मुसलियार और यमन के प्रभावशाली धार्मिक नेताओं के हस्तक्षेप के बाद इसे स्थगित कर दिया गया है. ग्रैंड मुफ्ती के करीबी सूत्रों के अनुसार, "यमन की शूरा काउंसिल के सदस्य और कई प्रभावशाली लोग बातचीत के लिए आगे आए हैं. उम्मीद है कि अंतिम समय में समाधान निकल आए.

खून का मुआवजा बना अंतिम उम्मीद

फिलहाल सभी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या तलाल का परिवार 'ब्लड मनी' (दिया) स्वीकार करेगा या नहीं. केरल के उद्योगपति एम ए यूसुफ अली ने आर्थिक सहायता देने की पेशकश की है, लेकिन परिवार के रुख को देखते हुए मामला बेहद संवेदनशील हो चुका है.

कौन है निमिषा प्रिया?

केरल की 36 वर्षीय नर्स, 2008 में बेहतर कमाई के लिए यमन गई थीं. 2017 में अपने बिजनेस पार्टनर तलाल को नींद की दवा देकर पासपोर्ट लेने की कोशिश में उसकी मौत हो गई. इसके बाद शव को काटकर पानी की टंकी में छिपाने का आरोप लगा. 2018 में उन्हें यमन पुलिस ने गिरफ्तार किया और 2020 में फांसी की सज़ा सुनाई गई.

केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी टलने की उम्मीद शरिया कानून के उस प्रावधान पर टिकी है, जिसे 'क़िसास' कहा जाता है. यह कानून मृतक के परिवार को यह अधिकार देता है कि वे चाहें तो हत्यारे को माफ कर सकते हैं या मुआवजे के बदले उसकी मौत की सजा टाल सकते हैं. इस मुआवजे को दिया या ब्लड मनी कहा जाता है. भारत सरकार, धार्मिक संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से इस दिशा में प्रयास तेज़ हैं, लेकिन इस राहत के रास्ते में अब भी कई कानूनी और पारिवारिक बाधाएं बनी हुई हैं.

क्या है ‘क़िसास’ और ब्लड मनी?

शरिया कानून के तहत, अगर किसी की हत्या हो जाती है तो मृतक के परिजनों को न्याय की दो राहें दी जाती हैं. या तो दोषी को सजा दिलवाएं या वित्तीय मुआवज़ा लेकर उसे क्षमा कर दें. अगर परिवार ब्लड मनी स्वीकार करता है, तो फांसी की सजा को रोका जा सकता है.

निमिषा प्रिया के मामले में क्या चल रही है बातचीत?

2017 में यमन में अपने बिज़नेस पार्टनर तलाल अब्दो मेहदी की हत्या के मामले में दोषी ठहराई गई निमिषा को नवंबर 2023 में यमन की सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने मौत की सज़ा सुनाई थी. अब भारत सरकार की कोशिश है कि पीड़ित परिवार को ब्लड मनी के लिए राजी किया जाए, जिससे फांसी टाली जा सके. हालांकि, तलाल के भाई अब्देलफत्ताह मेहदी पहले ही कह चुके हैं कि हमें किसी भी कीमत पर माफ़ी मंज़ूर नहीं है. हम चाहते हैं कि उसे फांसी दी जाए.

ब्लड मनी का मतलब पूरी माफी नहीं

बहुत से लोग मानते हैं कि ब्लड मनी देने से अपराधी पूरी तरह छूट जाता है, लेकिन ऐसा हर देश में जरूरी नहीं है. सऊदी अरब का उदाहरण लें, केरल के अब्दुल रहीम ने ब्लड मनी देकर फांसी से तो राहत पा ली, लेकिन फिर भी उन्हें 20 साल की जेल की सजा हुई, जिसे उन्होंने काटा भी. यमन में क्या होगा, यह वहां के स्थानीय न्याय और कानूनों पर निर्भर करेगा. वहां भी ब्लड मनी के बाद दोषी को कुछ सजा भुगतनी पड़ सकती है.

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