इजरायल के साथ जंग खत्‍म, अब ईरान में हो क्‍या रहा है? बाहर होंगे खामेनई या तेज होगा दमन का 'दौर'!

ईरान इजरायल के बीच सीजफायर तो लागू हो गया , लेकिन वहां के लोगों को अब युद्ध या युद्धविराम से ज्यादा इस्लामिक गणराज्य का डर सताने लगा है. चूंकि, सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई अमेरिका पर हावी नहीं हो सके, इसलिए अब ईरानी लोग उनकी पहुंच में हैं, वे उन्हीं को फांसी पर लटकाएंगे और दमन चक्र चलाएंगे.;

Curated By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 26 Jun 2025 1:38 PM IST

वैश्विक स्तर पर मई और जून 2025 में दो बड़ी घटनाएं हुईं, जिसने पूरी दुनिया के भू-राजनीतिक परिदृश्य को कई मायनों में बदल कर रख दिया. पहली घटना पहलगाम आतंकी हमले के बाद 'ऑपरेशन सिंदूर' तो उसके कुछ दिन बाद ईरान इजरायल युद्ध है. फिलहाल, इस स्टोरी में हम केवल बात करेंगे ईरान और इजरायल वार की. ऐसा इसलिए कि ईरान इजरायल वार में अमेरिका जो चाहता था, उसने वैसा ही किया भी. उसे कोई रोक नहीं पाया. इसके बावजूद पाकिस्तान से भी दो कदम आगे बढ़कर ईरान में सत्ता के समर्थकों द्वारा 'सीजफायर' को इजरायल पर जीत के रूप में पेश किया जा रहा है. जबकि जमीनी हालात इसके उलट हैं.

खामेनेई और आतंकी समर्थक मना रहे जीत का जश्न

ईरान में पाकिस्तान की तरह भारी सैन्य व आर्थिक नुकसान के बावजूद कथित जीत को प्रचारित किया जा रहा है. सत्ता समर्थक तेहरान में जश्न मना रहे हैं. ईरान के प्रॉक्सी संगठनों हिज्बुल्लाह, हौती ने इसे इजरायल की हार और ईरान की जीत के रूप में प्रचारित किया. ईरान ने इजरायल के खिलाफ अपने मिसाइल हमलों को 'ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3' के रूप में पेश कर अपने ही वतन के लोगों को पाकिस्तान की तरह बरगलाने लगे हैं.

दरअसल, ईरान में यह जश्न मुख्य रूप से वहां के शासन द्वारा प्रचार का हिस्सा है. ताकि जनता का मनोबल बनाए रखा जाए और सरकार की छवि को मजबूत किया जाए.

बंकर से कब बाहर आएंगे खामेनेई

सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ईरान इजरायल वार के शुरुआती दिनों से लेकर अब तक बंकर में छिपे हैं. अब सवाल ये पूछे जा रहे हैं कि खामेनेई आखिर कब बंकर से बाहर निकलेंगे? तेहरान से लेकर इजराइल की राजधानी तेल-अवीव तक यह सवाल सुर्खियों में है.

अब चर्चा यह है कि 28 जून (शनिवार) को खामेनेई बंकर से बाहर निकल सकते हैं. ऐसा इसलिए कि ईरान ने ऐलान किया है कि 28 जून को इजराइली हमले में मारे गए कमांडर और वैज्ञानिकों का वो अंतिम संस्कार करेगा. ऐसे में इस बात की संभावनाएं है कि ईरान के इन शहीद सैनिकों के जनाजा-ए-नमाज में खामेनेई भी शामिल हो.

यह संभावना इसलिए भी जताई जारी है कि खामेनेई ईरान सत्ता प्रमुख के साथ धार्मिक प्रमुख भी हैं. पहले भी बड़े कमांडर या अधिकारियों के जनाजे में वे शरीक होते रहे हैं. हिजबुल्लाह के चीफ जब नसरुल्लाह का अंतिम संस्कार लेबनान के बेरुत में हुआ था. खामेनेई इसमें शामिल होने के लिए बेरुत पहुंचे थे. नसरुल्लाह को खामेनेई का करीबी माना जाता था. साज 2020 में जनरल कासिम सुलेमानी का जब इराक में जनाजा निकलान तो खामेनेई रो पड़े थे. उन्होंने सुलेमानी की मौत को कभी ना भूलाने वाला बताया था.

पुराने ट्रैक रिकॉर्ड के मुताबिक खामेनेई इस बार भी बंकर से जनाजा में शामिल होने के लिए 28 जून को बंकर से बाहर आएंगे. उस दिन सुबह 8 बजे कमांडर और वैज्ञानिकों को दफनाया जाएगा. दफन की प्रक्रिया पूरी करने से पहले तेहरान में आखिरी नमाज पढ़ा जाएगा. कहा जा रहा है कि खामेनेई खुद इसका नेतृत्व कर सकते हैं.

इन्हें सता रहा दमन, फांसी और जेल यातना का डर

13 जून को इजरायली हमले के बाद ईरान और इजरायल के बीच वार शुरू हुआ था, उस समय अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पीएम बेंजामिन नेतान्याहू ने हमले के पीछे दो मकसद बताए थे. एक ईरान के परमाणु कार्यक्रम को खत्म करना. दूसरा ईरान में सत्ता परिवर्तन. इसके बाद खामेनेई के फ्रांस में निर्वासित जीवन जी रहे उनके भतीजे और राज वशं के रजा शाह ने ईरान में सत्ता परिवर्तन की आवाज को बुलंद करने की कोशिश की थी, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा सोमवार को ईरान में सत्ता परिवर्तन को लेकर अपने बयान से पलट गए.

अब उन्होंने कहा कि वह तख्ता पलट नहीं चाहते और अशांति नहीं देखना चाहते, क्योंकि तख्ता पलट से अशांति फैलती है और वह इतनी अशांति नहीं देखना चाहते. इसके बाद ईरान के उन लोगों में मायूसी का महौल है, जो खामेनेई को सत्ता से बाहर देखने का सपना देखने लगे थे.

नुकसान की भरपाई कैसे करेगा ईरान?

ईरान इजरायल माहौल ईरान में हैं. 12 दिनों तक चले इजरायल-ईरान युद्ध में ईरान को भारी नुकसान हुआ. उसके 8 से 10 परमाणु वैज्ञानिकों को इजरायल ने मार डाला. ईरान का पूरा सैन्य नेतृत्व की इजरायल ने साफ कर दिया. इसके बाद ईरान को जो सबसे अहम नुकसान हुआ वो था उसके तीन परमाणु ठिकाने (नतांज, फोर्डो, इस्फहान) इस हमले में बर्बाद हो गए. अमेरिकी बी-2 विमानों से इन तीन परमाणु केंद्रों पर हमले के बाद ईरान की परमाणु महात्वाकांक्षा ध्वस्त हो गई. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 650 लोगों की मौत हुई, लेकिन मानवाधिकार संगठन ईरान के मृतकों का आंकड़ा 1000 तक बताते हैं.

चेहरे पर भय, निराशा और भविष्य की चिंता हावी

बीबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में लोगों से बातचीत के आधार पर बताया है कि जमीनी सच्चाई कुछ और ही है. इजरायल और अमेरिका के हमले ने ईरानियों के भीतर भय, निराशा के बीच आशा की कुछ किरणें जगाई हैं. कुछ लोग को अपनी सुरक्षा और अपने देश के भविष्य को लेकर चिंतित हैं. जबकि अन्य लोग सवाल पूछ रहे हैं कि क्या संघर्ष वास्तविक राजनीतिक परिवर्तन की शुरुआत कर सकता है?

लोगों को अब युद्ध या युद्धविराम से ज्यादा इस्लामिक गणराज्य से डर है. खामेनेई अमेरिका पर हावी नहीं हो सके, इसलिए अब ईरानी लोग उनकी पहुंच में हैं, वे उन्हीं को फांसी पर लटकाएंगे और दमन चक्र चलाएंगे.

ईरान में असहमति पर नकेल कसने का इतिहास

ईरानी अधिकारियों ने असहमति पर लंबे समय से नकेल कसी है. साल 2022 में हिजाब के विरोध में महिलाओं के विरोध प्रदर्शनों खामेनेई सरकार क्रूरता के साथ कुचल दिया था. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के मुताबिाक पिछले साल ईरान में कम से कम 901 लोगों को मौत की सजा दी गई थी. खामेनेई सरकार विकास के बदले अपनी सैन्य और परमाणु क्षमताओं के पुनर्निर्माण को प्राथमिकता देगी. सरकार मृत्यु का उपयोग असहमति को दबाने के लिए करेगी.

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