बांग्लादेश में चुनाव की घंटी: 12 फरवरी को वोट… पर शेख हसीना क्या मैदान में दिखेंगी?

बांग्लादेश में सियासी हलचल एक बार फिर तेज़ हो गई है. तख्तापलट के बाद डेढ़ साल तक अस्थिरता झेल चुके देश में अब लोकतंत्र की नई पारी शुरू होने जा रही है. मुख्य चुनाव आयुक्त ए.एम.एम. नसीरुद्दीन ने गुरुवार शाम बड़े ऐलान में बताया कि राष्ट्रीय चुनाव 12 फरवरी को होंगे.;

( Image Source:  Social Media )
By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 11 Dec 2025 6:34 PM IST

बांग्लादेश में लंबे राजनीतिक उथल-पुथल और सत्ता परिवर्तन के बाद आखिरकार चुनाव की तारीख तय हो गई है. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से हटाए जाने के लगभग डेढ़ साल बाद देश एक बार फिर आम चुनाव की ओर बढ़ रहा है. मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने गुरुवार को घोषणा की कि बांग्लादेश में 12 फरवरी 2026 को मतदान होगा.

स्‍टेट मिरर अब WhatsApp पर भी, सब्‍सक्राइब करने के लिए क्लिक करें

यह चुनाव इसलिए भी खास है क्योंकि देश में पिछले डेढ़ साल से राजनीतिक अस्थिरता, छात्र आंदोलन, अंतरिम सरकार और पार्टी प्रतिबंध जैसे अभूतपूर्व हालात बने हुए थे. ऐसे में ये चुनाव बांग्लादेश की लोकतांत्रिक दिशा और सत्ता के नए समीकरण तय करेगा.

जनवरी 2024 का चुनाव और बढ़ता विवाद

जनवरी 2024 में हुए आम चुनाव में शेख हसीना लगातार चौथी बार सत्ता में लौटी थीं. लेकिन यह चुनाव विवादों में घिर गया. विपक्षी दलों ने चुनाव का बहिष्कार किया और प्रशासन पर धांधली का आरोप लगाया था. यही तनाव आगे चलकर बड़े प्रदर्शनों और सत्ता परिवर्तन की वजह बना.

हसीना की पार्टी आवामी लीग चुनाव से बाहर

पिछले वर्ष छात्रों के हफ्तों चले व्यापक प्रदर्शनों के बाद शेख हसीना को 5 अगस्त 2024 को देश छोड़कर भागना पड़ा. इसके बाद नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद युनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी. अंतरिम सरकार ने हसीना की पार्टी आवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया, जिसके चलते यह पार्टी आगामी चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकेगी. यह बांग्लादेश के इतिहास में एक बड़ा राजनीतिक मोड़ माना जा रहा है.

बीएनपी बनी सबसे मजबूत दावेदार

इन बदलते हालात में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) चुनावी दौड़ में सबसे आगे मानी जा रही है. पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की यह पार्टी अमेरिकी इंटरनेशनल रिपब्लिकन इंस्टीट्यूट के सर्वे में भी सबसे अधिक सीटें जीतने की दावेदार बताई गई है. बीएनपी की विचारधारा बांग्लादेशी राष्ट्रवाद, आर्थिक उदारीकरण और भ्रष्टाचार-विरोधी सुधारों पर आधारित है. हालांकि चुनौतियां भी कम नहीं, पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान का लंदन में निर्वासन. रहमान ने चुनाव से पहले देश लौटने का वादा किया है, जिससे पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश देखा जा रहा है.

जमात-ए-इस्लामी का फिर उभरता दबदबा

हसीना सरकार के दौरान प्रतिबंधित की गई इस्लामवादी पार्टी जमात-ए-इस्लामी छात्रों के विद्रोह के बाद एक बार फिर सक्रिय हो गई है. पार्टी के प्रमुख शफीकुर रहमान के नेतृत्व में जमात इस बार दूसरे सबसे बड़े दल के रूप में उभर सकती है.

जमात का एजेंडा- शरीयत आधारित शासन, माफिया-मुक्त समाजसख्त भ्रष्टाचार विरोधी कदम. यह पार्टी 2001–2006 में बीएनपी के साथ सत्ता में भी रह चुकी है और अब अपना प्रभाव परंपरागत रूढ़िवादी वोटरों से आगे बढ़ाना चाहती है.

बांग्लादेश का भविष्य किसके हाथ?

आवामी लीग पर प्रतिबंध, अंतरिम सरकार, विपक्ष की मजबूती और जनता में बदलाव की मांग- यह सब मिलकर बांग्लादेश को एक नए राजनीतिक अध्याय की ओर ले जा रहे हैं, 12 फरवरी 2026 का चुनाव देश की लोकतांत्रिक दिशा, सत्ता संतुलन और राजनीतिक भविष्य को पूरी तरह बदल सकता है.

Similar News