UN से अमेरिका तक ‘असामान्य’ सक्रियता, बांग्लादेश हत्या कांड में किसका एजेंडा? भारत विरोधी रुख पर उठे सवाल

बांग्लादेश में छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या पर संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, यूरोपीय संघ, जर्मनी और फ्रांस जैसे पश्चिमी देशों की असामान्य सक्रियता ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहस छेड़ दी है. भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने इन शोक संदेशों को कूटनीतिक मानकों से हटकर बताया है. उन्होंने हादी के कथित भारत-विरोधी रुख, उसके संगठन ‘इंक़िलाब मंच’ की गतिविधियों और शरिया समर्थक एजेंडे की ओर इशारा करते हुए पश्चिमी देशों के दोहरे मानदंडों पर सवाल उठाए हैं.;

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By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 21 Dec 2025 11:08 PM IST

बांग्लादेश में छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत पर संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, यूरोपीय संघ, जर्मनी और फ्रांस जैसे पश्चिमी देशों के राजनयिक मिशनों द्वारा जारी शोक संदेशों ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल पैदा कर दी है. इन 'असामान्य' संवेदनाओं पर भारत के पूर्व विदेश सचिव और वरिष्ठ राजनयिक कंवल सिब्बल ने कड़ी आपत्ति जताई है और इसे कूटनीतिक मानकों से परे बताया है.

कंवल सिब्बल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक के बाद एक पोस्ट करते हुए कहा कि आमतौर पर इस तरह के आधिकारिक शोक संदेश उन्हीं व्यक्तियों के लिए जारी किए जाते हैं, जिनकी द्विपक्षीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्पष्ट और व्यापक भूमिका होती है. ऐसे में एक छात्र नेता की हत्या पर पश्चिमी मिशनों की सक्रियता कई सवाल खड़े करती है.

कूटनीतिक हलकों में 'असामान्य' प्रतिक्रिया

कंवल सिब्बल ने लिखा कि उस्मान हादी की हत्या. कूटनीतिक तौर पर यह असामान्य है कि अमेरिका, यूरोपीय संघ, जर्मनी और फ्रांस के बांग्लादेश स्थित मिशन एक ऐसे छात्र नेता की हत्या को इतना राजनीतिक महत्व दे रहे हैं, जिसकी द्विपक्षीय या अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में कोई स्पष्ट अहमियत नजर नहीं आती.” उनका कहना है कि यह प्रतिक्रिया सामान्य कूटनीतिक व्यवहार से मेल नहीं खाती और इसके पीछे किसी खास एजेंडे की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.

भारत विरोधी रुख और ‘इंक़िलाब मंच’ का जिक्र

पूर्व राजनयिक ने शरीफ उस्मान हादी के भारत विरोधी रुख को भी रेखांकित किया. सिब्बल के अनुसार, हादी और उसका संगठन ‘इंक़िलाब मंच’ लगातार भारत के खिलाफ बयानबाज़ी करता रहा है और यहां तक कि भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्रों पर दावे भी करता रहा है. उन्होंने लिखा कि “वह भारत के प्रति गहरी शत्रुता रखता था और भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र पर दावा कर रहा था. ऐसे में क्षेत्रीय संदर्भ में भारत को एक खास संदेश दिया जा रहा है.”

अमेरिका की पोस्ट पर विशेष सवाल

सिब्बल ने खासतौर पर अमेरिकी प्रतिक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे भारत विरोधी समूहों में पश्चिमी देशों की “दिलचस्पी” झलकती है. उन्होंने हादी की मौत के बाद उसके संगठन द्वारा किए गए बयान का हवाला देते हुए लिखा कि भारतीय वर्चस्व के खिलाफ संघर्ष में अल्लाह ने महान क्रांतिकारी उस्मान हादी को शहीद के रूप में स्वीकार किया है. सिब्बल के मुताबिक कि “इस पोस्ट को देखकर लगता है कि अमेरिका की इस खुले तौर पर भारत-विरोधी समूह में निहित रुचि थी.”

शरिया समर्थक संगठन पर शोक, पश्चिमी दोहरे मानदंड?

पूर्व विदेश सचिव ने यह सवाल भी उठाया कि क्या शरिया कानून लागू करने की बात करने वाले संगठन से जुड़े व्यक्ति पर शोक जताना, लोकतंत्र और अल्पसंख्यक अधिकारों की पश्चिमी दावों से मेल खाता है. उन्होंने लिखा कि जिस व्यक्ति का संगठन बांग्लादेश में शरिया लागू करने की बात करता हो, उसके लिए शोक जताना बांग्लादेश में लोकतंत्र और अल्पसंख्यक अधिकारों के दावों के बिल्कुल विपरीत है.”

सिब्बल ने आगे आरोप लगाया कि हादी के समर्थकों ने बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान से जुड़े भवनों को जलाया और देश के स्वतंत्रता संग्राम को नकारने की कोशिश की. 'क्या पश्चिमी दूतावास इन सब बातों को मंजूरी देते हैं? क्या यह पश्चिम के दोहरे मानदंड और पाखंड का एक और उदाहरण नहीं है?” उन्होंने सवाल उठाया.

UN की पोस्ट पर कम्युनिटी नोट, गंभीर आरोप

संयुक्त राष्ट्र की पोस्ट पर X द्वारा जोड़ा गया कम्युनिटी नोट भी चर्चा में है. इसमें शरीफ उस्मान हादी को “कट्टर इस्लामी” बताया गया और उसके समर्थकों पर अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा में शामिल होने के आरोप लगाए गए. नोट में कहा गया कि उसके अनुयायी नागरिकों की लिंचिंग कर रहे हैं और जिंदा जला रहे हैं. कम्युनिटी नोट में सवाल किया गया कि संयुक्त राष्ट्र ऐसे “आतंकवादी” पर ध्यान क्यों दे रहा है, जबकि आम नागरिकों पर हो रहे हमलों पर उसकी चुप्पी बनी हुई है.

कैसे हुई थी हत्या?

शरीफ उस्मान हादी को 12 दिसंबर को ढाका के बिजयनगर इलाके में चुनाव प्रचार के दौरान नकाबपोश हमलावरों ने सिर में गोली मार दी थी. बाद में इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई. हादी पिछले साल हुए छात्र आंदोलनों का प्रमुख चेहरा था, जिनके चलते शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार सत्ता से बाहर हुई थी. वह 12 फरवरी को प्रस्तावित आम चुनावों में उम्मीदवार भी था.

मौत के बाद हिंसा, भारत भी निशाने पर

हादी की मौत के बाद बांग्लादेश के कई हिस्सों में हिंसा और तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आईं. चटगांव में भारतीय सहायक उच्चायुक्त के आवास पर पथराव किया गया. वहीं मयमनसिंह शहर में कथित ईशनिंदा के आरोप में 25 वर्षीय हिंदू युवक दीपु चंद्र दास की लिंचिंग कर उसकी लाश जला दी गई.

अंतरराष्ट्रीय राजनीति में गूंजता सवाल

इस पूरे घटनाक्रम ने पश्चिमी देशों की नीतियों, बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति और भारत-बांग्लादेश संबंधों को लेकर नई बहस छेड़ दी है. कंवल सिब्बल के सवालों ने यह मुद्दा और तीखा कर दिया है कि क्या यह मानवीय संवेदना है या फिर क्षेत्रीय राजनीति में दिया गया एक रणनीतिक संदेश.

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