आखिर वो दिन आ ही गया...ट्रंप ने निभाया वादा! ब्लैक सी में सीजफायर से रुक गई बारुदी जंग
सऊदी अरब में मंगलवार को संपन्न हुई वार्ता में रूस और यूक्रेन ने अलग-अलग समझौतों पर सहमति जताई, जिसमें ब्लैक सी (काला सागर) में सैन्य हमले न करने का निर्णय शामिल है. व्हाइट हाउस ने बताया कि दोनों देशों ने यह सुनिश्चित करने पर सहमति जताई कि नौवहन (नेविगेशन) सुरक्षित रहेगा, बल प्रयोग नहीं किया जाएगा.;
सऊदी अरब में मंगलवार को संपन्न हुई वार्ता में रूस और यूक्रेन ने अलग-अलग समझौतों पर सहमति जताई, जिसमें ब्लैक सी (काला सागर) में सैन्य हमले न करने का निर्णय शामिल है. व्हाइट हाउस ने बताया कि दोनों देशों ने यह सुनिश्चित करने पर सहमति जताई कि नौवहन (नेविगेशन) सुरक्षित रहेगा, बल प्रयोग नहीं किया जाएगा, और व्यावसायिक जहाजों का सैन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग नहीं होगा.
क्रेनी अधिकारियों ने चेतावनी दी कि यदि रूसी युद्धपोत पूर्वी ब्लैक सी से आगे बढ़ते हैं, तो यह समझौते का उल्लंघन होगा. रक्षा मंत्री रुसतेम उमेरोव ने फेसबुक पर कहा कि यदि ऐसा होता है, तो यूक्रेन को आत्मरक्षा का पूरा अधिकार होगा. उन्होंने यह भी कहा कि समझौते को लागू करने, निगरानी और नियंत्रण के लिए जल्द से जल्द अतिरिक्त तकनीकी वार्ताओं की आवश्यकता है.
रियाद वार्ता के बाद हुए प्रमुख समझौते-
ब्लैक सी में सुरक्षित नौवहन सुनिश्चित किया जाएगा, किसी भी प्रकार की सैन्य कार्रवाई नहीं होगी, और व्यावसायिक जहाजों का सैन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग नहीं होगा. अमेरिका युद्धबंदियों (PoW) की अदला-बदली, नागरिकों की रिहाई और जबरन निर्वासित किए गए यूक्रेनी बच्चों की वापसी में मदद करेगा.
ब्लैक सी इस संघर्ष में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जिससे सैन्य अभियानों, व्यापार और वैश्विक सुरक्षा पर असर पड़ा है.युद्ध की शुरुआत में, रूस ने यूक्रेनी बंदरगाहों की नाकेबंदी कर अनाज के निर्यात को रोकने की कोशिश की, जिससे यूक्रेन की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा.
इसके जवाब में, यूक्रेन ने रूस के युद्धपोतों और नौसैनिक ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए, विशेष रूप से क्रीमिया में, जहां रूस ने अपनी नौसेना की ताकत तैनात की थी. इन हमलों के बाद रूस ने अपने कई जहाज सेवस्तोपोल से हटाकर नोवोरोसिस्क जैसे सुरक्षित बंदरगाहों में भेज दिए.
यूक्रेन ने रूसी नाकेबंदी से बचने के लिए ब्लैक सी के पश्चिमी हिस्से में एक नया व्यापार मार्ग खोला, जिससे अनाज निर्यात फिर से शुरू हो सके. इस संघर्ष ने नाटो (NATO) देशों का ध्यान भी खींचा, जिससे रोमानिया और बुल्गारिया ने इस क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा दी.