गाजा में थमा खूनी संघर्ष! ट्रंप के नेतृत्व में इजराइल-हमास ने किया पहला शांति करार, लोग मनाने लगे जश्न

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता से इजराइल और हमास ने गाजा युद्ध को रोकने के लिए ऐतिहासिक शांति समझौते के पहले चरण पर हस्ताक्षर किए. गाजा में जश्न का माहौल! ट्रंप की पहल पर इजराइल और हमास ने हथियार छोड़ शांति समझौते पर सहमति जताई, बंदियों की रिहाई और राहत का रास्ता खुला. ट्रंप की कूटनीतिक जीत- गाजा युद्ध थमने की उम्मीद, मिस्र में साइन होगा इजराइल-हमास शांति समझौता; दुनिया ने किया स्वागत.;

( Image Source:  sora ai )
Curated By :  नवनीत कुमार
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गाजा की धरती पर महीनों से जारी खूनखराबे और तबाही के बीच आखिरकार एक उम्मीद की किरण दिखाई दी है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता में इजराइल और हमास ने एक ऐतिहासिक समझौते के पहले चरण पर सहमति जताई है. इस समझौते को दोनों देशों के बीच लंबे समय से चली आ रही हिंसा को थामने की दिशा में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है.

अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर इस समझौते की घोषणा करते हुए कहा, “मुझे गर्व है कि इजराइल और हमास दोनों ने हमारी शांति योजना के पहले चरण पर हस्ताक्षर किए हैं.” ट्रंप ने इसे गाजा में युद्ध समाप्त करने की दिशा में “ऐतिहासिक और अभूतपूर्व घटना” बताया. उनके बयान के बाद पूरी दुनिया की निगाहें इस समझौते पर टिक गई हैं.

गाजा में जश्न और राहत की सांस

जैसे ही यह खबर गाजा पहुंची, वहां के लोगों ने सड़कों पर उतरकर खुशी जाहिर की. लंबे समय से युद्ध और बमबारी झेल रही आम जनता ने राहत की सांस ली. लोग एक-दूसरे को गले लगाकर कह रहे थे, “अब शायद हमारे बच्चों को डर के साये में नहीं जीना पड़ेगा.” मस्जिदों में प्रार्थनाएं दी जा रही हैं और कई परिवार शांति की दुआएं मांग रहे हैं.

समझौते की शर्तें

इस समझौते का सबसे बड़ा उद्देश्य गाजा में मानवीय संकट को खत्म करना है. इसके तहत पांच प्रमुख क्रॉसिंग पॉइंट्स को तत्काल खोलने पर सहमति बनी है ताकि खाद्य पदार्थ, दवाइयां और अन्य जरूरी सामान लोगों तक पहुंच सके. इसके अलावा, पहले चरण में हमास ने 20 इजराइली बंदियों को जीवित रिहा करने का वादा किया है. दूसरी ओर, इजराइल अपने सैनिकों को कुछ सीमित क्षेत्रों से पीछे बुलाएगा.

मिस्र बनेगा शांति का गवाह

यह ऐतिहासिक समझौता 9 अक्टूबर को मिस्र की राजधानी काहिरा में होगा. मिस्र पिछले कई दशकों से इजराइल और फिलिस्तीन के बीच वार्ताओं का केंद्र रहा है. इस बार भी मिस्र ने न केवल बातचीत को आगे बढ़ाने में मदद की बल्कि दोनों पक्षों को भरोसे की बुनियाद पर एकजुट करने में निर्णायक भूमिका निभाई.

ट्रंप की कूटनीतिक चाल

ट्रंप ने इस मौके पर कहा, “यह शांति समझौता सिर्फ गाजा और इजराइल के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक सबक है कि संवाद से हर युद्ध समाप्त हो सकता है.” उन्होंने कतर, मिस्र और तुर्की को भी उनकी सक्रिय भूमिका के लिए धन्यवाद दिया. ट्रंप ने अपने बयान में यह भी कहा कि अमेरिका अब ‘मध्यस्थ’ के रूप में नहीं बल्कि ‘संतुलनकारी शक्ति’ के रूप में काम करेगा.

नेतन्याहू बोले – यह इजराइल के लिए गौरवशाली दिन

इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस समझौते को देश के इतिहास का “गौरवशाली दिन” बताया. उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही इस समझौते को मंजूरी देगी और हर बंदी को सुरक्षित वापस लाया जाएगा. उन्होंने अपने सैनिकों को धन्यवाद देते हुए कहा, “इजराइल के वीरों के साहस और बलिदान ने यह संभव बनाया है.”

नेतन्याहू ने ट्रंप को बताया सच्चा मित्र

प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति ट्रंप की सराहना करते हुए कहा, “ट्रंप ने दिखाया है कि सच्चे मित्र सिर्फ शब्दों से नहीं, कर्मों से साथ देते हैं.” उन्होंने लिखा, “ईश्वर अमेरिका का भला करे, ईश्वर इजराइल का भला करे, और हमारी इस महान साझेदारी को सदा सुरक्षित रखे.” यह बयान दोनों देशों के बीच रिश्तों की मजबूती का संकेत देता है.

हम चाहते हैं शांति, सम्मान का साथ: हमास

हमास के राजनीतिक ब्यूरो ने भी बयान जारी कर कहा कि यह समझौता ‘सम्मानजनक शांति’ की दिशा में पहला कदम है. हमास प्रवक्ता ने कहा कि उनका उद्देश्य गाजा के नागरिकों को राहत दिलाना है, और अगर इजराइल अपने वादों पर कायम रहा तो वे आगे के चरणों पर भी बातचीत को तैयार हैं.

पर्दे के पीछे थे ये देश

कतर और तुर्की जैसे देशों ने इस वार्ता को संभव बनाने में पर्दे के पीछे अहम भूमिका निभाई. कतर ने आर्थिक सहायता और हमास के साथ संवाद की जिम्मेदारी संभाली, जबकि तुर्की ने राजनीतिक मध्यस्थता की. इससे अरब देशों में एकता की झलक भी देखने को मिली, जो कई वर्षों से आंतरिक मतभेदों से जूझ रहे थे.

क्या बोला अंतरराष्ट्रीय समुदाय?

संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन ने इस समझौते का स्वागत किया है. यूएन महासचिव ने कहा कि अगर यह योजना लागू होती है, तो यह पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र में स्थायी शांति की दिशा में बड़ा कदम होगा. वहीं फ्रांस और जर्मनी ने इसे “अमेरिकी कूटनीति की सफलता” बताया है.

युद्ध की राख में उम्मीद का फूल

गाजा की गलियों में अब बंदूक की आवाज़ की जगह बच्चों की हंसी सुनाई देने लगी है. कई महीनों बाद लोग अपने घरों से बाहर निकले हैं. एक स्थानीय महिला फातिमा ने कहा, “हमने अपने बच्चों को सिर्फ डर में जीते देखा है. अगर यह समझौता सच में काम करता है, तो यह हमारी जिंदगी का सबसे बड़ा तोहफा होगा.” राजनयिक विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह कदम सिर्फ मानवीय नहीं बल्कि राजनीतिक भी है. अमेरिकी चुनावों से पहले उन्होंने खुद को एक “वैश्विक शांति निर्माता” के रूप में पेश किया है. वहीं कुछ आलोचकों का कहना है कि यह समझौता तभी टिकेगा जब दोनों पक्ष जमीन पर भरोसे का माहौल बना पाएंगे. गाजा में यह समझौता निस्संदेह उम्मीद का प्रतीक है, लेकिन यह मंज़िल नहीं, एक शुरुआत है. अभी भी चुनौतियां बाकी हैं — सीमाओं की सुरक्षा, राजनीतिक अविश्वास और मानवाधिकार के सवाल. फिर भी, ट्रंप की मध्यस्थता ने यह साबित कर दिया है कि जब संवाद की इच्छा सच्ची हो, तो जंग की आग भी ठंडी पड़ सकती है.

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