कहानी 4,000 साल पुरानी; जब 37 लोगों को मारकर खा लिया गया! रिसर्च में अब खुले रहे 'राज'

ब्रिटेन में प्रारंभिक कांस्य युग की हड्डियों की स्टडी से चौंकाने वाली बात पता चली है. जिसमें बताया गया है कि कांस्य युग के प्रारंभ की हड्डियों के एनालिसिस से पता चला है कि उस समय के इंग्लैंड में लोग अपने दुश्‍मनों की हत्या करने क बाद उनका मांस खा जाते थे.;

Edited By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 31 Dec 2024 10:31 AM IST

ब्रिटेन में प्रारंभिक कांस्य युग की हड्डियों की एक स्टडी से चौंकाने वाले सबूत सामने आए हैं. चार्टरहाउस वारेन साइट से निकाले गए अवशेषों में नजदीकी हमलों, अंग काटने और नरभक्षण के संकेत मिले हैं. ये सब कुछ उन शवों को 15 मीटर (49 फीट) गहरी खाई में फेंकने से पहले किया गया था. Antiquity जर्नल में प्रकाशित इस स्टडी के शोधकर्ताओं ने कहा कि यह हिंसा का स्तर और पैमाना ब्रिटिश इतिहास में अभूतपूर्व है. इस खोज ने कई सवाल उठाए हैं कि वहां वास्तव में क्या हुआ था?

नरभक्षी थे अंग्रेज!

बरामद खोपड़ियों में से करीब आधी खोपड़ियों पर लकड़ी के डंडों से किए गए वार के कारण गंभीर चोटें पाई गईं. पैरों की हड्डियों पर औजारों के निशान मिले, जो यह संकेत देते हैं कि मांस को छीला गया था. लंबी हड्डियों पर फ्रैक्चर से यह पता चलता है कि मज्जा निकालने की प्रथा नरभक्षण से जुड़ी हुई थी. इसके अलावा, अपराधियों ने मानव हड्डियों के साथ-साथ कटे हुए जानवरों के अवशेष भी खाई में फेंक दिए थे.

37 कंकालों की 3000 से ज्यादा हड्डियों पर रिसर्च

वहीं रिसर्च में पाया गया कि कुल 3,000 से अधिक हड्डी के टुकड़ों की पड़ताल की जो कम से कम 37 लोगों के कंकाल का हिस्सा था. ऐसा माना जा रहा है कि ये सभी हड्डियां एक ही घटना की हैं जो 2210 से 2010 ईसा पूर्व से घटी. रिसर्चर्स को खोपडियों में दरारें और छेद दिखने के साथ- साथ, मौत के समय किए गए कट और टूटे हुए निशान भी मिले. इनमें से वैसे कट्स से भी पता चलता है कि हत्यारों ने शरीर के कुछ अंगों खाया होगा.

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने पुरातत्व के प्रोफेसर और मुख्य लेखक रिक शुल्टिंग के मुताबिक, हैरान कर दिया है कि यह पूरी तरह से अप्रत्याशित था. उस समय और करीब ब्रिटिश प्रागैतिहासिक काल के लिए बिल्कुल असामान्य था. ये वैसे शव नहीं थे जिन्हें सम्मान के साथ मिट्टी में दफनाया गया था. केमिकल एनालिसिस बताता है कि ये सभी स्थानीय लोग थे. बाहर से नहीं आए थे. इस बात के सबूत कम हैं कि ये लोग किसी लड़ाई में शामिल थे जो इशारा करता है कि शायद के किसी वीभत्स नरसंहार का शिकार बने होंगे.

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