पोर्न वेबसाइट को लेकर इस देश के कोर्ट ने लगा दिया बैन, किया ये दावा

पेरिस कोर्ट ऑफ अपील ने फ्रेंच आईएसपी को चार पोर्नोग्राफिक वेबसाइट ब्लॉक करने का आदेश दिया है, क्योंकि इनमें सही आयु सत्यापन प्रणालीएज वेरिफिकेशन सिस्टम नहीं है. हालांकि, एक तकनीकी एरर के कारण xHamster की मेन साइट ब्लॉक नहीं हो पाई, क्योंकि केवल इसका फ्रेंच सबडोमेन ही ब्लॉक किया गया था. अधिकारी अब इस फैसले को पूरी तरह से लागू करने के लिए काम कर रहे हैं.;

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Edited By :  संस्कृति जयपुरिया
Updated On : 29 Nov 2024 9:51 AM IST

फ्रांस से एक खबर आई है, जहां नाबालिगों की सुरक्षा को नजर रखते हुए पेरिस कोर्ट ऑफ अपील ने चार बड़ी पोर्नोग्राफिक वेबसाइटों को ब्लॉक करने का आदेश दिया. कोर्ट ने यह आदेश इन वेबसाइटों में स्ट्रांग एज वेरिफिकेशन सिस्टम की कमी को लेकर दिया, ताकि नाबालिगों की इन साइट्स तक पहुंच को रोका जा सके. यह कदम न केवल ऑनलाइन सेफटी को बढ़ाने के लिए लिया गया है, बल्कि इंटरनेट पर बच्चों को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से जरूरी माना जा रहा है.

पेरिस कोर्ट ऑफ अपील का यह फैसला न केवल फ्रांस, बल्कि पूरे यूरोप में इंटरनेट पर नाबालिगों की सेफटी को लेकर एक जरूरी मिसाल पेश करता है. कोर्ट ने खासकर उन पोर्नोग्राफिक साइट्स के खिलाफ कार्रवाई की, जिनमें एज वेरिफिकेशन के लिए कोई ढंग का सिस्टम नहीं था. इनमें जो नाम शामिल थे वे हैं – Iciporno, Mrsexe, Tukif और xHamster. यह फैसला इस बात को लेकर लिया गया था कि बच्चों की सेफटी को अन्य अधिकारों से ऊपर रखा जाना चाहिए, जैसे फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन.

तकनीकी खामी: ब्लॉक की कोशिश रही अधूरी

हालांकि, इस आदेश के बावजूद, एक तकनीकी कारण से ब्लॉक करने की कोशिश अधूरी रही. कोर्ट के आदेश में सभी चार वेबसाइटों को ब्लॉक करने की बात की गई थी, लेकिन xHamster के मामले में गलती से केवल फ्रांसीसी उपडोमेन को लिस्ट किया गया था. लेकिन, xHamster की मेन वेबसाइट फ्रांस में उपलब्ध रही, जबकि केवल इसका फ्रांसीसी वरजन ब्लॉक किया गया. इस तकनीकी खामी ने नाबालिगों की सेफटी के उद्देश्य से उठाए गए कदम में एक अंतर छोड़ दिया. अब फ्रांसीसी अधिकारियों को इस खामी को दूर करने और न्यायालय के आदेश को पूरी तरह से लागू करने की जिम्मेदारी दी गई है.

पेरिस कोर्ट ऑफ अपील ने अपने आदेश में कहा था कि बच्चों का सामान्य हित और उनकी सुरक्षा फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन और संचार के अन्य अधिकारों से ऊपर है. अदालत ने स्पष्ट रूप से यह कहा कि यदि एज वेरिफिकेशन को नकारा किया जाता है, तो यह अडल्ट की प्राइवेट लाइफ की सेफटी को प्राथमिकता देने से ज्यादा जरूरी नाबालिग के लिए है. कोर्ट ने माना कि नाबालिगों को इन वेबसाइटों तक पहुंच से बचाने के लिए यह कदम जरूरी था.

आगे की कार्रवाई और कानूनी प्रयास

इस फैसले के बाद, फ्रांसीसी नियामक एरकॉम (Arcom) को यह कार्य सौंपा गया है कि वह इस तकनीकी खामी को ठीक करें और सुनिश्चित करें कि पूरे आदेश को पूरी तरह से लागू किया जाए. इस कदम को लेकर इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को निर्देश दिया गया है कि वे इन वेबसाइटों को पूरी तरह से ब्लॉक करें, ताकि नाबालिगों तक इन साइट्स की पहुंच पूरी तरह से बंद हो जाए.

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