देश जल रहा है, सड़कों पर खून है… लेकिन यूनुस को दिख रहा सिर्फ चुनाव, 12 फरवरी की तारीख पर अड़े मुख्य सलाहकार

बांग्लादेश में राजनीतिक हिंसा और अस्थिरता के माहौल के बीच अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने साफ किया है कि आम चुनाव 12 फरवरी को तय समय पर ही होंगे. उन्होंने अमेरिका के विशेष दूत सर्जियो गोर से बातचीत में कहा कि जनता अपने वोट के अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए तैयार है, जिसे पहले तानाशाही शासन में छीना गया था. उस्मान हादी की हत्या, देशव्यापी विरोध प्रदर्शन, सांप्रदायिक हिंसा और छात्र नेताओं पर हमलों के बावजूद यूनुस ने भरोसा दिलाया कि सरकार निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए पूरी तरह तैयार है.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 23 Dec 2025 8:21 AM IST

बांग्लादेश इस समय गहरे राजनीतिक तनाव और हिंसा के दौर से गुजर रहा है. 2024 के जनउभार के नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद देश के कई हिस्सों में उग्र प्रदर्शन, तोड़फोड़ और सांप्रदायिक घटनाएं सामने आई हैं. ऐसे हालात में सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि क्या तय समय पर आम चुनाव कराना संभव होगा या नहीं.

इसी पृष्ठभूमि में अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार Muhammad Yunus ने अमेरिका को स्पष्ट संदेश दिया है कि हालात कितने भी चुनौतीपूर्ण क्यों न हों, 12 फरवरी को आम चुनाव तय समय पर ही होंगे. उन्होंने यह भरोसा उस वक्त दिलाया, जब देश हिंसा, राजनीतिक हत्याओं और कानून-व्यवस्था की गंभीर चुनौतियों से जूझ रहा है.

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चुनाव समय पर होंगे

सोमवार को अमेरिका के दक्षिण और मध्य एशिया के विशेष दूत Sergio Gor से फोन पर बातचीत में मुहम्मद यूनुस ने दो टूक कहा कि बांग्लादेश में आम चुनाव 12 फरवरी को ही कराए जाएंगे. उन्होंने कहा कि देश की जनता अपने वोट के अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए बेचैन है, जिसे पहले “तानाशाही शासन” में छीन लिया गया था.

‘चुराए गए वोट’ और शेख हसीना पर आरोप

यूनुस ने इस बातचीत में पूर्व प्रधानमंत्री Sheikh Hasina के शासन पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचल दिया था. साथ ही आरोप लगाया कि हसीना समर्थक अब भी चुनाव प्रक्रिया को पटरी से उतारने के लिए मिलियन डॉलर खर्च कर रहे हैं और उनकी फरार नेता हिंसा भड़काने की कोशिश कर रही हैं.

50 दिन बचे हैं, चुनाव ऐतिहासिक बनाना चाहते हैं

मुख्य सलाहकार ने कहा, “हमारे पास चुनाव तक लगभग 50 दिन हैं. हम एक स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराना चाहते हैं और इसे यादगार बनाना चाहते हैं.” उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि अंतरिम सरकार किसी भी साजिश या हिंसा से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है.

उस्मान हादी की हत्या और देशव्यापी आक्रोश

फोन कॉल में शरीफ उस्मान हादी की हत्या पर भी चर्चा हुई. हादी को 12 दिसंबर को ढाका में अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी थी और 18 दिसंबर को सिंगापुर के अस्पताल में उनकी मौत हो गई. हादी 12 फरवरी के चुनाव के उम्मीदवार भी थे. उनकी मौत के बाद हुए विशाल जनाजे और प्रदर्शनों ने सरकार पर भारी दबाव बना दिया है.

चुनाव बहिष्कार की धमकी और बढ़ता तनाव

हादी के समर्थकों ने चेतावनी दी है कि अगर चुनाव से पहले न्याय नहीं मिला तो वे 12 फरवरी के चुनाव को पटरी से उतार देंगे. इसके बाद देशभर में मीडिया दफ्तरों में तोड़फोड़, आगजनी और हिंसक प्रदर्शन सामने आए, जिससे हालात और बिगड़ गए.

हिंसा की घटनाएं और सांप्रदायिक तनाव

हादी की मौत के बाद ढाका के 32 धनमंडी इलाके में जहां बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान का घर था तोड़फोड़ की गई. चटगांव में भारतीय सहायक उच्चायुक्त के आवास पर पथराव हुआ. वहीं, मयमनसिंह के बलुका में दीपू चंद्र दास नामक एक हिंदू युवक की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या और शव जलाने की घटना ने अंतरराष्ट्रीय चिंता बढ़ा दी.

एक और छात्र नेता पर हमला

राजनीतिक हिंसा यहीं नहीं रुकी. 22 दिसंबर को दक्षिण-पश्चिमी शहर खुलना में National Citizen Party (NCP) के छात्र नेता और खुलना डिविजन प्रमुख मोतालेब शिखदर को गोली मार दी गई. इससे यह साफ हो गया कि उस्मान हादी की हत्या कोई अलग घटना नहीं, बल्कि व्यापक अस्थिरता का हिस्सा है.

अमेरिका–बांग्लादेश संबंध और चुनावी दांव

करीब आधे घंटे चली इस फोन बातचीत में यूनुस और सर्जियो गोर ने चुनाव के अलावा व्यापार, टैरिफ और लोकतांत्रिक संक्रमण पर भी चर्चा की. गोर ने हालिया टैरिफ वार्ता में बांग्लादेश की सफलता अमेरिकी शुल्क को 20% तक घटाने पर यूनुस को बधाई दी. बैठक में वाणिज्य सलाहकार शेख बशीरुद्दीन, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डॉ. खलीलुर रहमान और SDG समन्वयक लामिया मोर्शेद भी मौजूद रहीं. कुल मिलाकर, बांग्लादेश एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है, जहां एक ओर हिंसा और अराजकता है, वहीं दूसरी ओर अंतरिम सरकार अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह भरोसा दिलाने की कोशिश कर रही है कि लोकतंत्र की वापसी तय समय पर होगी, चाहे चुनौतियां कितनी भी बड़ी क्यों न हों.

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