मंगल और बृहस्पति के बीच अगर सुपर-अर्थ आ जाए तो? धरती का हो जाता ऐसा हाल, वैज्ञानिकों ने किया खुलासा
Super-Earth In Solar System: रिसर्च से पता चलता है कि मंगल के निकट एक सुपर-अर्थ किस प्रकार पृथ्वी की कक्षा और जलवायु को अस्थिर कर सकता है, जिससे जीवन खतरे में पड़ सकता है.;
Super-Earth In Solar System: सौर मंडल को लेकर हमारे साइंटिस्ट कई बार चौंका देते हैं. अब इसमें एक नया खुलासा सामने आया है. अगर हमारे सौर मंडल में मंगल और बृहस्पति की कक्षाओं के बीच स्थित एक सुपर-अर्थ मौजूद होगा, तो पृथ्वी पर इसका क्या असर पड़ेगा? इसे लेकर साइंटिस्ट ने रिसर्च में कई खुलासे किए हैं. ये सुपर-अर्थ पृथ्वी सहित पड़ोसी ग्रहों की जलवायु और कक्षाओं को काफी हद तक अस्थिर कर दिया होगा.
इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के ग्रह वैज्ञानिक एमिली सिम्पसन और हॉवर्ड चेन की रिसर्च ने इसका खुलासा किया है. स्पेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक , निष्कर्ष बताते हैं कि सुपर-अर्थ आज भले ही हमारे सौरमंडल में नहीं हैं, लेकिन जब ये पृथ्वी के बेहद करीब मौजूद होगा तो इसे काफी नुकसान पहुंचा सकता है.
'सुपर-अर्थ' है पृथ्वी की बहन
सुपर-अर्थ आमतौर पर एक्सप्लेनेटरी सिस्टम में देखे जाते हैं. ये ग्रह पृथ्वी से बड़े लेकिन नेपच्यून से छोटे हैं, जो आकाशगंगा में अक्सर पाए जाते हैं. अध्ययन से पता चला है कि सुपर-अर्थ की उपस्थिति, विशेष रूप से पृथ्वी के द्रव्यमान से 10 से 20 गुना अधिक द्रव्यमान वाली, महत्वपूर्ण व्यवधान पैदा कर सकती है.
चेन ने स्पेस डॉट कॉम के साथ अपने इंटरव्यू में कहा कि ऐसे ग्रह का गुरुत्वाकर्षण खिंचाव छोटे चट्टानी ग्रहों को तरंगी कक्षाओं में धकेल सकता है या उनके ट्रेजेक्टरी को झुका सकता है. ये अस्थिर कक्षाएं जलवायु के अलग परिस्थितियों को जन्म देगी, जिसमें हिम युगों के बीच अनियमित संक्रमण और तीव्र गर्मी की अवधि शामिल है.
सुपर-अर्थ से दूसरे ग्रह को नुकसान
चेन ने बताया कि हमारे सौरमंडल में हम जो विन्यास देखते हैं वह सामान्य नहीं है, लेकिन इस क्षेत्र में सुपर-अर्थ की उपस्थिति के कारण पृथ्वी की कक्षा अत्यधिक अस्थिर हो सकती है, जिससे इसकी जीवन-क्षमता खतरे में पड़ सकती है. रिसर्च में सामने आया है कि अगर दूसरे ग्रह किसी भी तरह से अपने क्षेत्र को विशाल सुपर-अर्थ के साथ शेयर करते हैं, तो उन्हें महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.
मंगल के पास थोड़ा बड़ा ग्रह होने से पृथ्वी पर मौसमी बदलाव हो सकते हैं, लेकिन जीवन के लिए परिस्थितियां अभी भी बनी रह सकती है. हालांकि, शोधकर्ताओं ने इस बात पर ज़ोर दिया कि मंगल और बृहस्पति के पास सुपर-अर्थ की अनुपस्थिति पृथ्वी के वर्तमान अनुकूल वातावरण को सक्षम करने में महत्वपूर्ण रही होगी.