उम्र केवल 14 साल, बना डाला दिल की बीमारी पता लगाने वाला ऐप; कौन है Siddharth Nandyala?
Siddharth Nandyala: सिद्धार्थ नंदयाला डलास में टेक्सास यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस प्रोग्राम में ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे हैं. उनकी उम्र 14 साल है और उन्होंने इतनी सी उम्र में सर्कैडियन एआई ऐप बनाया है, जो कि कुछ सेकंड में दिल से जुड़ी बीमारी का पता लगा लेता है. यह मेडिकल ब्रेकथ्रू हैं जो सेकंड में हार्ट से जुड़ी बीमारी का पता लगाने में मदद करता है.;
Who Is Siddharth Nandyala: सबसे युवा इंटरप्रेन्योर सिद्धार्थ नंदयाला (14 साल) ने हाल ही में अपना मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च किया. यह दिल से जुड़ी बीमारियों का पता लगाने में सक्षम है. इस ऐप को लेकर नंदयाला चर्चा में आ गए. हर कोई उनके टैलेंट को सलाम कर रहा है और तारीफ कर रहा है कि इतनी छोटी से उम्र में उन्होंने कमाल करके दिखा दिया. हर कोई उनकी तारीफ हो रही है.
सिद्धार्थ नंदयाला ने सर्कैडियन एआई ऐप बनाया है. यह कुछ सेकंड में दिल से जुड़ी समस्याओं का पता लगाया जा सकता है. जिससे सही वक्त पर इलाज कराने में मदद मिलेगी. वह मूल रूप से आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं. इसलिए सीएम एन चंद्रबाबू नायडू और डिप्टी सीएम पवन कल्याण ने उनसे मुलाकात कर उनकी तारीफ की है.
कौन है सिद्धार्थ नंदयाला?
सिद्धार्थ नंदयाला डलास में टेक्सास यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस प्रोग्राम में ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे हैं. उन्होंने टेक्सास स्थित लॉलर मिडिल स्कूल में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की. साल 2023 में नंदयाला ने STEM IT की स्थापना की, जिसमें छात्रों को नई टेक्नोलॉजी के बारे में सिखाया जाता है. वह कई टेक्नोलॉजी बेस्ड प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं.
सिद्धार्थ नंदयाला को फ्रिस्को चैंबर कॉमर्स ने इनोवेटर ऑफ द ईयर (2023) और नेशनल STEM चैंपियन से सम्मानित किया. नंदयाला STEM IT के माध्यम से छात्रों को कोडिंग, रोबोटिक्स और एआई के बारे में ट्रेनिंग देते हैं. यह उन्हें इनोवेशन के लिए टेक्नोलॉजी का यूज करने के लिए प्रेरित किया जाता है.
क्या है सर्कैडियन ऐप?
सिद्धार्थ नंदयाला ने सर्कैडियन एआई ऐप (Circadian AI App) बनाया है. यह मेडिकल ब्रेकथ्रू हैं जो सेकंड में हार्ट से जुड़ी बीमारी का पता लगाने में मदद करता है. इसे स्मार्टफोन पर हार्ट साउंड रिकॉर्डिंग का उपयोग करके फर्स्ट स्टेज पर ही बीमारी के बारे में पता लगाता है. ऐप की टेस्ट्रिंग के दौरान 96 फीसदी से ज्यादा सही रिजल्ट सामने आया है. अमेरिका के 15 हजार से ज्यादा और भारत के 700 मरीजों पर इसका टेस्ट किया गया.
जानकारी के अनुसार, ऐप को कोई भी व्यक्ति इस्तेमाल कर सकता है. बच्चे से लेकर बूढ़े तक ऐप की मदद से अपनी दिल की सेहत का पता लगा सकते हैं. इसका उद्देश्य हार्ट डिजीज के बारे में समय रहते लोगों को जागरूक करना है, जिससे वक्त रहते इलाज कर लिया जाए.