भारतीय कलपुर्जों से उड़ रहे रूस के ड्रोन! यूक्रेन ने भारत पर उठाए सवाल; कौन सी कंपनी 'शाहिद' को करती है असेंबल?

यूक्रेन ने दावा किया है कि रूस द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे ईरानी डिज़ाइन वाले शाहिद-136 ड्रोनों में भारत में बने या असेंबल किए गए इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जे पाए गए हैं. इस मुद्दे को उसने भारत सरकार और यूरोपीय संघ के सामने औपचारिक रूप से दो बार उठाया है. भारत सरकार ने सभी निर्यात अंतर्राष्ट्रीय नियमों के तहत होने का दावा किया है.;

( Image Source:  X/IranSpec )
Edited By :  नवनीत कुमार
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रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अब एक नया विवाद खड़ा हो गया है. यूक्रेन ने आरोप लगाया है कि रूसी सेना द्वारा अपने खिलाफ चलाए जा रहे युद्ध में जिन ईरानी डिज़ाइन वाले 'शाहिद' ड्रोन का इस्तेमाल हो रहा है, उनमें भारत में बने या असेंबल किए गए इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जे पाए गए हैं. यूक्रेन का कहना है कि उसने इस मामले को भारत और यूरोपीय संघ के समक्ष दो बार औपचारिक रूप से उठाया है.

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेनी अधिकारियों ने पिछले साल से अब तक कम से कम दो बार भारतीय विदेश मंत्रालय को औपचारिक पत्र भेजकर यह चिंता जताई है. इन पत्रों में ड्रोन में प्रयुक्त पुर्जों की तकनीकी जानकारी और भारत निर्मित या भारत में असेंबल किए गए हिस्सों का उल्लेख किया गया है.

यूरोपीय संघ की भागीदारी

मामले को और अधिक गंभीरता तब मिली जब यूरोपीय संघ के प्रतिबंध दूत डेविड ओ'सुलिवन ने जुलाई के मध्य में भारत का दौरा किया. इस दौरान यूक्रेनी राजनयिकों ने उनसे मुलाकात कर ड्रोन में भारतीय कलपुर्जों के उपयोग की जानकारी साझा की. ओ'सुलिवन की यात्रा का उद्देश्य भारत को रूसी ऊर्जा कंपनियों पर लगे प्रतिबंधों की जानकारी देना भी था.

किन कंपनियों पर सवाल उठे

यूक्रेनी जांच में यह सामने आया है कि भारत की दो प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियां विशाय इंटरटेक्नोलॉजी और ऑरा सेमीकंडक्टर उन पुर्जों की निर्माता या असेंबलर हैं जिनका इस्तेमाल शाहिद-136 ड्रोनों में हुआ. इन ड्रोनों को रूस द्वारा यूक्रेन में सैन्य हमलों के लिए तैनात किया जा रहा है.

कौन से पुर्जे किसमें इस्तेमाल हुए

दस्तावेजों के मुताबिक, विशाय इंटरटेक्नोलॉजी द्वारा निर्मित "ब्रिज रेक्टिफायर E300359" को ड्रोन की वोल्टेज यूनिट में और ऑरा सेमीकंडक्टर द्वारा बनाई गई AU5426A चिप को सैटेलाइट नेविगेशन जैमर-प्रूफ एंटीना में उपयोग किया गया. हालांकि इन कंपनियों पर किसी भारतीय कानून के उल्लंघन का स्पष्ट आरोप नहीं है.

भारत सरकार का स्पष्ट रुख

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत द्वारा दोहरे उपयोग वाले सामानों का निर्यात पूरी तरह अंतर्राष्ट्रीय नियमों और भारत के सख्त घरेलू नियंत्रण तंत्र के अनुसार किया जाता है. उन्होंने कहा कि हर निर्यात को लेकर पूरी जांच-पड़ताल की जाती है ताकि कानून का उल्लंघन न हो.

यूक्रेन की सोशल मीडिया पर सक्रियता

हालांकि नई दिल्ली स्थित यूक्रेनी दूतावास ने इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन यूक्रेन के रक्षा खुफिया निदेशालय (HUR) ने अपने फेसबुक और टेलीग्राम चैनल्स पर यह दावा किया है कि ड्रोन में भारतीय मूल के पुर्जे पाए गए हैं. इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह मुद्दा सुर्खियों में आ गया है.

कूटनीतिक संतुलन की चुनौती

इस पूरे मामले ने भारत के सामने एक नई कूटनीतिक चुनौती खड़ी कर दी है. एक तरफ वह रूस के साथ ऊर्जा और रक्षा सहयोग को बनाए रखना चाहता है, दूसरी ओर पश्चिमी देशों और यूक्रेन का भरोसा भी नहीं खोना चाहता. ऐसे में भारत को अब अपने रणनीतिक साझेदारों के साथ संवाद को और पारदर्शी बनाना होगा ताकि भविष्य में इस तरह की आशंकाएं न उठें.

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