ठुकरा के मेरा प्यार... पुतिन से मिला धोखा तो शी जिनपिंग की ओर बढ़े ट्रंप, ग्योंगजू में बैठ सकती है कूटनीतिक महफिल
डोनाल्ड ट्रंप की दक्षिण कोरिया यात्रा अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई हलचल पैदा कर रही है. पुतिन से असफल वार्ता के बाद अब ट्रंप शी जिनपिंग और किम जोंग उन से संभावित मुलाकात की तैयारी कर रहे हैं. ग्योंगजू में होने वाला APEC शिखर सम्मेलन न सिर्फ़ अमेरिका-चीन व्यापारिक तनाव को कम कर सकता है, बल्कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र की कूटनीति को भी नया मोड़ दे सकता है.;
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अगस्त में अलास्का में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ हुई बैठक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी. इस वार्ता का मकसद रूस-अमेरिका युद्ध की आशंकाओं को रोकना था, लेकिन असफलता के बाद ट्रंप ने पुतिन की कड़ी आलोचना की. यही वजह है कि अब ट्रंप अपनी विदेश नीति का रुख बदलते हुए चीन और दक्षिण कोरिया की ओर झुकते नज़र आ रहे हैं.
ट्रंप अक्टूबर के अंत से नवंबर की शुरुआत तक दक्षिण कोरिया के ग्योंगजू में होने वाले एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले हैं. अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस यात्रा के दौरान ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की द्विपक्षीय मुलाकात पर गंभीर चर्चा चल रही है. हालांकि इस पर अंतिम सहमति अभी नहीं बनी है, लेकिन दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव को देखते हुए यह बैठक बेहद अहम मानी जा रही है.
जिनपिंग से रिश्तों की मजबूती की कोशिश
पिछले महीने शी जिनपिंग ने ट्रंप और उनकी पत्नी को चीन आने का निमंत्रण दिया था, जिसे ट्रंप ने स्वीकार भी कर लिया है. व्हाइट हाउस अधिकारियों का मानना है कि यह यात्रा न सिर्फ़ व्यापारिक सहयोग बल्कि रक्षा साझेदारी और अमेरिका में चीनी निवेश को लेकर भी नई संभावनाएं खोलेगी. इससे पहले ट्रंप सऊदी अरब, क़तर और यूएई की यात्राओं में भी विदेशी निवेश आकर्षित करने पर ज़ोर दे चुके हैं.
किम जोंग उन से मुलाकात की संभावना
इस दौरे का सबसे बड़ा आकर्षण उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन से संभावित मुलाकात हो सकता है. दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे म्यंग ने ट्रंप को APEC सम्मेलन के दौरान किम से बातचीत का मौका लेने की सलाह दी थी. ट्रंप ने भी इस प्रस्ताव का स्वागत किया और कहा कि वे किम से मिलने के लिए तैयार हैं. यदि ऐसा होता है तो यह बैठक एशिया की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकती है.
बदलते वैश्विक समीकरण
हाल ही में बीजिंग में शी जिनपिंग ने एक सैन्य परेड का आयोजन किया था, जिसमें किम जोंग उन, व्लादिमीर पुतिन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए. इस कार्यक्रम को देखकर ट्रंप ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी और कहा था कि "भारत और रूस अब चीन के साथ खड़े हो गए हैं." हालांकि बाद में उन्होंने इसे “एक शानदार और प्रभावशाली समारोह” भी बताया.
व्यापारिक तनातनी के बीच दौरा
ट्रंप की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर जारी है. अप्रैल में ट्रंप प्रशासन ने चीनी सामान पर 145% टैरिफ लगाया था, जिसके जवाब में चीन ने अमेरिकी उत्पादों पर 125% शुल्क लगाया. हालांकि हाल ही में ट्रंप ने नवंबर तक टैरिफ बढ़ोतरी टालने का आदेश दिया है ताकि बातचीत का रास्ता खुला रहे.
अमेरिका-चीन रिश्तों के लिए अहम मोड़
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप और जिनपिंग की यह मुलाकात अमेरिका-चीन संबंधों में नया अध्याय लिख सकती है. अगर दोनों देश व्यापारिक तनाव कम करने और रक्षा सहयोग पर सहमति बना लेते हैं तो यह वैश्विक आर्थिक स्थिरता के लिए भी सकारात्मक संकेत होगा.
क्या किम जोंग से मुलाकात बदल देगी एशिया का समीकरण?
अब सबकी नज़र इस बात पर है कि क्या ग्योंगजू में ट्रंप, शी जिनपिंग और किम जोंग उन की तिकड़ी एक साथ बैठकर बातचीत करेगी. यदि ऐसा हुआ तो यह न सिर्फ़ अमेरिका और कोरियाई प्रायद्वीप के रिश्तों में नई शुरुआत होगी, बल्कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र की कूटनीति में बड़ा भूचाल ला सकती है.