पाकिस्तान के अरमानों पर फिरा पानी, ऐसा क्या इशारों में शी जिनपिंग को कह गए मोदी की पाक को फिर नहीं मिली ब्रिक्स में एंट्री
रूसी शहर कजान में आयोजित ब्रिक्स समिट के बाद पाकिस्तान की सदस्यता की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है. पिछले साल पाकिस्तान ने ब्रिक्स की सदस्यता के लिए औपचारिक आवेदन किया था, लेकिन इस बार भी उसे सदस्यता नहीं मिली. समिट में तुर्की को नए पार्टनर देशों में शामिल किया गया, जबकि पाकिस्तान का नाम नहीं है.;
रूस के कजान में हुई ब्रिक्स समिट ने पाकिस्तान की उम्मीदों को एक बार फिर से बड़ा झटका दिया है. पिछले साल पाकिस्तान ने ब्रिक्स की सदस्यता के लिए औपचारिक आवेदन किया था, जिसके बाद चीन ने इस्लामाबाद को भरोसा दिया था. लेकिन हाल ही में शी जिनपिंग और पीएम मोदी की मुलाकात के बाद पाकिस्तान की सदस्यता की अरमानों पर पानी फिर गया है.
समिट में नए पार्टनर देशों को शामिल किया गया, लेकिन पाकिस्तान का नाम उसमें नहीं है. इस बीच, तुर्की को नए पार्टनर देशों में शामिल किया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चीनी राष्ट्रपति की पीएम मोदी से मुलाकात को पाकिस्तान अपने लिए एक धोखे के रूप में देख रहा है.
भारत के बिना पाकिस्तान की ब्रिक्स में एट्री संभव नहीं
पीएम मोदी ने कहा कि भारत ब्रिक्स में अधिक भागीदार देशों का स्वागत करने के लिए तैयार है लेकिन इस संबंध में फैसले सर्वसम्मति से मिल जाएं. 16वें ब्रिक्स समिट के बंद सत्र में पीएम मोदी ने 9 सदस्यीय ग्रुपों में पाकिस्तान के प्रवेश के लिए रूस और चीन के मौन सर्मथक का परोक्ष उल्लेख किया और कहा कि ब्रिक्स के संस्थापक सदस्यों के विचारों का सम्मान किया जाना चाहिए. जिसके बाद से यह स्पष्ट हो गया कि भारत के बिना पाकिस्तान की ब्रिक्स में प्रवेश मिला संभव नहीं है.
चीन ने पाकिस्तान को दिया था ब्रिक्स में एंट्री दिलाने का भरोसा
जैसा कि आपको मालूम होगा कि पहले इसका नाम BRIC ब्रिक था लेकिन साल 2011 में दक्षिण अफ्रीका को शामिल कर लिया जिसके बाद से चार सदस्यों के जुड़ने के साथ इसका विस्तार हो गया है. इस संगठन में शामिल होने लिए 30 से अधिक देशों में इच्छा जाहिर की थी जिसमें जिनमें श्रीलंका, पाकिस्तान, तुर्की और कोलंबिया शामिल हैं. रूस और चीन पाकिस्तान के लिए समर्थन कर रहे थे. रूसी उप प्रधानमंत्री एलेक्सी ओवरचुक ने सितंबर में सार्वजनिक रूप से पाकिस्तान की बोली का समर्थन किया था.
पाकिस्तान के साथ हुआ धोखा!
इस बार पाकिस्तान को पूरी उम्मीद थी कि भारत के विरोध होने के बावजूद रूस और चीन का समर्थन उसके लिए आसान करेगा. कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत ने पाकिस्तान की ब्रिक्स सदस्यता पर समर्थन का मन बनाया ह लेकिन बीते दिन जब जब पीएम मोदी और जिनपिंग आपसे में जमी बर्फ पिघलाने के लिए साथ बैठे तो पाकिस्तान की उम्मीदें भी रखी की रखी रह गई और उसे सदस्यता नहीं मिली.