OpenAI का अगला बड़ा कदम! क्या होने जा रहा है स्मार्टफोन का अंत? जाने डिजिटल दुनिया का नया चैप्टर

जॉनी आइव का कहना है कि उन्हें अब लग रहा है कि पिछले 30 सालों का अनुभव उन्हें इसी मोड़ पर लाया है. जहां वो फिर से डिजिटल डिवाइस को नई सोच से डिजाइन करना चाहते हैं.;

Edited By :  रूपाली राय
Updated On : 22 Jun 2025 1:26 PM IST

पिछले महीने एक ऐसी खबर आई जिसने तकनीक की दुनिया को चौंका दिया। OpenAI ने जॉनी आइव की कंपनी 'LoveFrom IO' को लगभग $6.5 बिलियन (करीब 54,000 करोड़ रुपये) में खरीद लिया. जॉनी आइव वही शख्स हैं जिन्होंने Apple के iPhone, iPod और MacBook जैसे आइकॉनिक प्रोडक्ट डिज़ाइन किए थे. अब सवाल ये है कि आखिर इस डील का मतलब क्या है? और इससे हमारी रोज़ की जिंदगी पर क्या असर पड़ेगा? आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं. 

OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि हम यह दोबारा सोचें कि कंप्यूटर का इस्तेमाल करना असल में क्या होता है. यानी, हमें उन डिवाइस के बारे में दोबारा सोचना चाहिए जिनसे हम आज डिजिटल दुनिया से जुड़ते हैं. आज भी हम ज्यादातर काम स्मार्टफोन, लैपटॉप, या डेस्कटॉप के जरिए करते हैं टचस्क्रीन पर टैप करना, स्वाइप करना, टाइप करना. लेकिन AI जैसी नई तकनीकों के साथ अब यह तरीका पुराना लगने लगा है. 

सीधे डिजिटल दुनिया से बात

आज की जनरेशन चाहती है कि वह डिजिटल दुनिया से ऐसे जुड़े जैसे वह उसका हिस्सा हो टाइपिंग से नहीं, बोलकर, महसूस करके, या सुनकर. AR/VR (Augmented/Virtual Reality), स्मार्ट ग्लासेस, वियरेबल्स (जैसे स्मार्टवॉच), न्यूरल डिवाइस और AI gadgets जैसे डिवाइस पर अब तेजी से काम हो रहा है ताकि हम स्क्रीन पर न जाकर सीधे डिजिटल दुनिया से बात कर सकें. 

बिना फोन टच किए होगी बात 

OpenAI अब ऐसे डिवाइस पर काम कर रहा है जिसमें हो सकता है कोई स्क्रीन न हो, लेकिन उसमें माइक्रोफोन और कैमरा होंगे. यानी आप उससे बोलकर बातचीत कर सकते हैं- जैसे अभी ChatGPT से करते हैं लेकिन बिना फोन छुए. इसका मतलब है कि आने वाले सालों में हम ऐसे डिवाइस इस्तेमाल कर सकते हैं जो हमारी आवाज़ समझेंगे, सवालों का जवाब देंगे और बिना स्क्रोल या टैप किए ही हमें कनेक्टेड रखेंगे. 

क्यों ज़रूरी है यह बदलाव?

-हम हर समय फोन स्क्रीन पर हैं — इसका बुरा असर आंखों और हाथों पर पड़ रहा है.

-स्क्रीन टाइम बढ़ने से मानसिक थकान और डिप्रेशन जैसे मुद्दे भी सामने आ रहे हैं.

-लोग अब ऐसे समाधान चाहते हैं जो डिजिटल दुनिया से जोड़े, लेकिन थकाएं नहीं.

थोड़ा इतिहास भी जान लें

-1990s: स्मार्टफोन जैसा पहला प्रयास IBM का Simon था – जिसमें ईमेल और फैक्स की सुविधा थी.

-2000s: BlackBerry आया – QWERTY कीबोर्ड और बिजनेस ईमेल वाला फोन.

-2007: Apple ने iPhone लॉन्च किया – टचस्क्रीन के साथ स्मार्टफोन का असली जन्म.

-उसके बाद से स्मार्टफोन बेहतर हुए, लेकिन तरीका वही रहा – एक स्क्रीन, कुछ ऐप्स, और लगातार स्वाइप करना. 

जॉनी आइव और OpenAI का मिशन क्या है?

जॉनी आइव का कहना है कि उन्हें अब लग रहा है कि पिछले 30 सालों का अनुभव उन्हें इसी मोड़ पर लाया है. जहां वो फिर से डिजिटल डिवाइस को नई सोच से डिजाइन करना चाहते हैं. वहीं OpenAI चाहती है कि AI की ताकत को लोगों तक पहुंचाने के लिए एक ऐसा डिवाइस बने, जो स्मार्टफोन की तरह स्क्रॉलिंग और टैपिंग पर निर्भर न हो, बल्कि बोलने और सुनने जैसी प्राकृतिक क्षमताओं पर आधारित हो. 

क्या हम तैयार हैं?

हम अपने स्मार्टफोन से बहुत कुछ करते हैं चैट, वीडियो, पेमेंट, गेमिंग। पर क्या अब हम उस दौर में पहुँच गए हैं जहाँ हमें एक 'स्क्रीनलेस भविष्य' की ज़रूरत है? शायद हां, क्योंकि अब वक्त है कि हमारी उंगलियां आराम करें और हमारी आवाज़ हमारी नई टच बन जाए.

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