व्हाट्सऐप नहीं, ‘सिग्नल’ ने उड़ाया अमेरिका की सुरक्षा का फ्यूज़! पीट हेगसेथ ने शेयर किया पूरा सीक्रेट डॉक्यूमेंट
अमेरिका के रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ की एक डिजिटल लापरवाही ने राष्ट्रीय सुरक्षा को सवालों के घेरे में ला दिया है. हूती विद्रोहियों पर हमले की संवेदनशील जानकारी उन्होंने Signal ऐप पर एक प्राइवेट ग्रुप में शेयर कर दी, जो गलती से एक पत्रकार तक पहुंच गई. इस घटना ने अमेरिकी सैन्य रणनीति में डिजिटली अनडिसिप्लिन की गंभीरता को उजागर कर दिया है.;
डिजिटल युग में सुरक्षा से जुड़ी सूचनाएं सिर्फ साइबर अटैक से ही नहीं, इंसानी लापरवाही से भी लीक हो सकती है. इसका ताज़ा उदाहरण अमेरिका में तब देखने को मिला जब ट्रंप प्रशासन के रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने यमन में हूती विद्रोहियों पर संभावित सैन्य हमले की संवेदनशील जानकारी एक निजी मैसेजिंग ऐप ‘Signal’ के ग्रुप में शेयर कर दी.
यह चैट ‘Defense Team Huddle’ नामक एक निजी ग्रुप में की गई थी, जिसमें हेगसेथ की पत्नी, भाई और निजी वकील सहित लगभग दर्जन भर लोग शामिल थे. चौंकाने वाली बात यह है कि इस चैट के लिए कोई आधिकारिक सरकारी डिवाइस नहीं, बल्कि उनका निजी फोन इस्तेमाल किया गया.
पत्रकार तक पहुंची प्लानिंग की जानकारी
यह सिर्फ एक तकनीकी गलती नहीं थी, बल्कि एक ऐसी चूक बन गई जिसने अमेरिकी रक्षा रणनीति को सार्वजनिक कर दिया. मार्च में इसी प्रकार की गलती के चलते ‘The Atlantic’ के एडिटर जेफ्री गोल्डबर्ग को गलती से एक सैन्य योजना से जुड़े चैट ग्रुप में शामिल कर लिया गया था. वहां से उन्हें हूती विद्रोहियों पर हमले की जानकारी पहले ही मिल गई थी.
एनएसए की चूक या सिस्टम की खामी?
विश्लेषकों का मानना है कि यह गलती सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं बल्कि व्यापक स्तर पर सुरक्षा प्रोटोकॉल की विफलता को दर्शाती है. जब अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वॉल्ट्ज ने गलती से पत्रकार को चैट में ऐड किया, तब सवाल उठा कि क्या डिजिटल संचार के लिए उपयुक्त नियंत्रण और प्रशिक्षण मौजूद हैं?
'हमें कुछ नहीं पता': व्हाइट हाउस
जब राष्ट्रपति ट्रंप से इस मामले पर सवाल किया गया, तो उन्होंने जानकारी होने से इनकार कर दिया और 'The Atlantic' पर ही कटाक्ष कर डाला. उन्होंने इस पूरी घटना को मीडिया की एक "ओवरहाइप" कहानी बताया और पत्रिका की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े किए.
डिजिटल अनडिसिप्लिन
हूती विद्रोहियों पर हमले का लीक हुआ प्लान सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि यह भविष्य की उन चुनौतियों की चेतावनी है जो अनधिकृत डिजिटल संचार और लापरवाहियों के चलते देश की सुरक्षा को खतरे में डाल सकती है. अब यह देखना बाकी है कि क्या इस घटना से अमेरिका सबक लेगा और संचार नीति में कड़ा सुधार करेगा.