TRF नहीं, लश्कर है असली चेहरा... UNSC की रिपोर्ट से हिल गया अंतरराष्ट्रीय मंच, पाक की साजिश बेनकाब
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ने पहलगाम हमले को लेकर बड़ा खुलासा किया है. रिपोर्ट में TRF को लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा बताया गया है. हमले की जिम्मेदारी TRF ने ली थी, लेकिन इसके पीछे पाकिस्तान आधारित आतंकी नेटवर्क सक्रिय था. भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के ज़रिए जवाब दिया. अमेरिका ने TRF को आतंकी संगठन घोषित किया, लेकिन पाकिस्तान UNSC में TRF का नाम दबाने में सफल रहा.;
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की प्रतिबंध निगरानी टीम की हालिया रिपोर्ट ने पहलगाम आतंकी हमले पर भारत के आरोपों को वैश्विक पुष्टि दी है. यूएन ने स्पष्ट कहा कि द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने इस जघन्य हमले की जिम्मेदारी दो बार ली और एक तस्वीर भी जारी की, लेकिन यह हमला लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के समर्थन के बिना संभव नहीं था. रिपोर्ट में लश्कर और TRF के गहरे संबंधों को रेखांकित किया गया है.
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था. यूएन की रिपोर्ट में बताया गया कि हमले को अंजाम देने वाले पांच आतंकवादी थे, जिन्होंने पीड़ितों की धार्मिक पहचान पूछकर उनकी बेरहमी से हत्या कर दी. यह सुनियोजित नरसंहार आतंक की नई और खतरनाक परिभाषा लेकर आया.
रणनीति या दबाव का नतीजा?
हमले के ठीक बाद TRF ने जिम्मेदारी लेते हुए घटनास्थल की तस्वीर साझा की, लेकिन 26 अप्रैल को उन्होंने चौंकाते हुए अपना दावा वापस ले लिया. यह बदलाव यूएन रिपोर्ट में भी दर्ज है. माना जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय दबाव और पाकिस्तान की रणनीतिक छवि के कारण TRF को पीछे हटना पड़ा, हालांकि इसने उनकी भूमिका को संदिग्ध बना दिया.
TRF बस एक नाम, असली संचालन लश्कर के पास
यूएन की रिपोर्ट में सदस्य देशों की ओर से यह कहा गया कि TRF दरअसल लश्कर-ए-तैयबा का ही दूसरा नाम है. यह एक नकाब के रूप में इस्तेमाल हो रहा है ताकि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंच पर आतंक के आरोपों से बच सके. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि क्षेत्रीय हालात इतने नाजुक हैं कि आतंकी गुट इसका फायदा उठा सकते हैं.
पाकिस्तान की कूटनीति हावी?
हमले के बाद अमेरिका ने TRF को अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन घोषित किया, लेकिन संयुक्त राष्ट्र की ओर से आए बयान में TRF का नाम शामिल नहीं किया गया. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संसद में बताया कि पाकिस्तान के दबाव के चलते यह नाम हटाया गया. यह घटना इस बात का संकेत है कि कैसे अंतरराष्ट्रीय निर्णयों पर भी राजनीतिक प्रभाव हावी हो सकते हैं.
भारत का करारा जवाब
भारत ने इस बर्बर हमले का जवाब बेहद सटीक और निर्णायक ढंग से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत दिया. पीओके और पाकिस्तान में मौजूद आतंक के ढांचों को नष्ट किया गया. यूएन की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इस्लामिक स्टेट-खुरासान जैसे गुट अब भी वैश्विक स्तर पर गंभीर खतरे हैं, लेकिन भारत का यह जवाब बाकी देशों के लिए आतंकवाद से निपटने का एक स्पष्ट संदेश है.