क्यों जल रहा नेपाल, सोशल मीडिया पर बैन है वजह या फिर विदेशी ताकतों का हाथ? जानिए डिटेल में
नेपाल में सोशल मीडिया बैन के कारण व्यापक विरोध प्रदर्शन और हिंसा भड़क गई है. अब तक 18 लोगों की मौत होने की खबर सामने आई है. युवाओं और विपक्षी समूहों ने काठमांडू और अन्य शहरों में सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. वहीं, सरकार ने सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए कर्फ्यू लगाते हुए सुरक्षा बल को तैनात किया है. इस विवाद में सोशल मीडिया के साथ-साथ विदेशी प्रभाव और राजनीतिक तनाव को भी जिम्मेदार बताया जा रहा है.;
Nepal Youth Protest Violence: भारत के पड़ोसी राज्य नेपाल में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और हिंसा देखने को मिल रही है. काठमांडू समेत कई शहरों में हजारों युवा सड़कों पर उतर आए हैं. विरोध की मुख्य वजह सरकार द्वारा लगाए गए सोशल मीडिया प्रतिबंध को बताया जा रहा है. 3 सितंबर, 2025 को नेपाल सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, ट्विटर, व्हाट्सएप समेत कुल 26 प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा दिया.
नेपाल के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, विरोध प्रदर्शन में अब तक 18 लोगों की मौत हो गई, जबकि 250 लोग घायल हैं. नेपाल सरकार का कहना है कि कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने आवश्यक रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी नहीं की, जिससे फेक आईडी, नफरत फैलाने वाली भाषाई सामग्री और साइबर अपराध बढ़ रहे थे.
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हुआ हमला
सरकारी अधिकारियों का तर्क है कि यह कदम डिजिटल सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए उठाया गया. वहीं प्रदर्शनकारी इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मान रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि सरकार भ्रष्टाचार और असंतोष को दबाने के लिए इस तरह के प्रतिबंधों का सहारा ले रही है.
विरोध प्रदर्शन और हिंसा का सिलसिला
सोशल मीडिया बैन के विरोध में हजारों युवाओं ने सड़कों पर प्रदर्शन किया. पुलिस ने आंसू गैस, रबर बुलेट और पानी की बौछार का इस्तेमाल किया. रिपोर्टों के अनुसार, गोलीबारी भी हुई, जिससे कम से कम 16 लोगों की मौत और सैकड़ों घायल हुए, प्रदर्शनकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को डिजिटल अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रतीक मानते हैं. वे इस प्रतिबंध को अत्यधिक दमनकारी कदम के रूप में देखते हैं.
क्या विदेशी ताकतों का हाथ है?
हालांकि, कुछ सोशल मीडिया थ्योरीज़ और सोशल मीडिया यूजर्स ने विदेशी दखल के संकेत दिए हैं, लेकिन फिलहाल कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया है. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह मुख्य रूप से नेपाल के आंतरिक राजनीतिक संकट, युवाओं की बढ़ती नाराजगी और डिजिटल नियंत्रण की नीति के कारण भड़की हिंसा है.
सरकार ने लगाया कर्फ्यू
सरकार ने कर्फ्यू लगा दिया है. सेना को भी तैनात किया गया है. हालांकि, विरोध प्रदर्शन जारी हैं. इस घटनाक्रम ने नेपाल में लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और डिजिटल अधिकारों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सरकार और युवाओं के बीच संवाद ही इस संकट का समाधान हो सकता है.
नेपाल की वर्तमान स्थिति युवाओं और सरकार के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाती है. सोशल मीडिया पर बैन ने केवल डिजिटल नियंत्रण की बहस ही नहीं छेड़ी, बल्कि देश में राजनीतिक असंतोष और युवा नाराजगी को हिंसक रूप दे दिया. सरकार के अगले कदम और विपक्ष की रणनीति इस संकट को नियंत्रित करने में निर्णायक साबित होंगे.