कौन हैं दुर्गा परसाई, जो नेपाल में हुए विरोध प्रदर्शन के हैं मास्टमाइंड? गृह मंत्रालय ने सजा देने का किया एलान

नेपाल के तिनकुने इलाके में 28 मार्च को मेडिकल उद्यमी दुर्गा परसाई के नेतृत्व में राजशाही की बहाली की मांग को लेकर एक प्रदर्शन हुआ, जिसमें गोली लगने से एक व्यक्ति की मौत हो गई. इसके अलावा, लोगों के घरों, मीडिया हाउस और सरकारी और निजी वाहनों को निशाना बनाकर आगजनी की घटनाएं भी सामने आईं. गृह मंत्रालय ने परसाई पर प्रदर्शन का नेतृत्व करने और पुलिस की घेराबंदी में वाहन चलाकर पुलिस कर्मियों को मारने का प्रयास करने का आरोप लगाया है. आइए, जानते हैं कि कौन हैं दुर्गा परसाई...;

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By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 29 March 2025 12:23 AM IST

Nepal Protests Durga Prasai: नेपाल की राजधानी काठमांडू में 28 मार्च को राजशाही की बहाली की मांग को लेकर हुए प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए. प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें तब शुरू हुईं,जब प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बैरिकेड्स को तोड़ने का प्रयास किया, जिसके जवाब में पुलिस ने आंसू गैस, रबर की गोलियां और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया.

प्रदर्शनकारियों ने कुछ इमारतों, जिनमें राजनीतिक दलों के कार्यालय और मीडिया हाउस शामिल हैं, में तोड़फोड़ और आगजनी की. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने कर्फ्यू लागू किया और सुरक्षा बलों को तैनात किया. गृह मंत्रालय ने प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले दुर्गा परसाई के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की घोषणा की है, क्योंकि उनके नेतृत्व में प्रदर्शन हिंसक हो गया था.

गृह मंत्रालय ने क्या कहा?

गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव छबीलाल रिजाल ने पुष्टि की कि परसाई को सजा दी जाएगी. तिनकुने में हुए प्रदर्शन के दौरान 15 सुरक्षाकर्मी और 15 प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं. शुक्रवार को तिनकुने इलाके में परसाई के नेतृत्व में हुए प्रदर्शन में गोली लगने से एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि घरों, मीडिया हाउस और सरकारी और निजी वाहनों को निशाना बनाकर आगजनी की घटनाएं सामने आईं. गृह मंत्रालय ने परसाई पर प्रदर्शन का नेतृत्व करने और पुलिस की घेराबंदी में वाहन चला रहे पुलिसकर्मियों को मारने का प्रयास करने का आरोप लगाया है.

कौन है दुर्गा परसाई?

दुर्गा परसाई का जन्म 5 मई 1971 को हुआ. वे नेपाल के एक दक्षिणपंथी राजनीतिक कार्यकर्ता और चिकित्सा उद्यमी हैं. वह झापा जिले के बिर्तामोड में स्थित बी एंड सी टीचिंग हॉस्पिटल के मालिक हैं. परसाई का राजनीतिक सफर विविधतापूर्ण रहा है. उन्होंने नेपाली कांग्रेस से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की, बाद में माओवादी पार्टी में शामिल हुए, और आखिर में सीपीएन (यूएमएल) के सदस्य बने. 2023 में, उन्हें सीपीएन (यूएमएल) से निष्कासित कर दिया गया, जिसके बाद उन्होंने नेपाल में संवैधानिक राजशाही और हिंदू राष्ट्र की बहाली के लिए अभियान चलाना शुरू किया.

परसाई पर विभिन्न बैंकों से 5.57 अरब नेपाली रुपये के ऋण डिफॉल्ट का आरोप है, जो उन्होंने झापा में बी एंड सी मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए लिया था. वह दावा करते हैं कि सरकार द्वारा उनके कॉलेज को संबद्धता प्रदान करने के बाद वे इन ऋणों का भुगतान करेंगे. मौजूदा समय में परसाई नेपाल में राजशाही की बहाली के लिए आंदोलनों का नेतृत्व कर रहे हैं. उनके समर्थकों का मानना है कि राजशाही की वापसी से देश में स्थिरता और विकास आएगा, जबकि आलोचकों का कहना है कि यह नेपाल की लोकतांत्रिक प्रगति के खिलाफ है. 

पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह के समर्थक कर रहे प्रदर्शन

नेपाल में 2008 में राजशाही को समाप्त कर गणराज्य घोषित किया गया था, लेकिन हाल के वर्षों में राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक चुनौतियों के कारण राजशाही की बहाली की मांग फिर से जोर पकड़ रही है. पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह के समर्थक वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था से असंतुष्ट हैं और उनका मानना है कि राजशाही की वापसी से देश में स्थिरता और विकास आएगा.

हालांकि, हालिया चुनावों में राजशाही समर्थक दलों को व्यापक समर्थन नहीं मिला है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह भावना व्यापक रूप से फैली हुई नहीं है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह आंदोलन परिवर्तन की इच्छा को दर्शाता है, लेकिन नेपाल की राजनीतिक व्यवस्था में बड़े बदलाव की संभावना फिलहाल कम है.

सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कर्फ्यू लागू किया है और सुरक्षा बलों को तैनात किया है. प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने आपातकालीन कैबिनेट बैठक बुलाई है ताकि सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की जा सके.

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