विकासशील देशों की जरूरतें लगातार दबाई जा रही हैं: संयुक्त राष्ट्र में बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर; पढ़ें 10 बड़ी बातें
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में वैश्विक दक्षिण देशों को संबोधित करते हुए कोविड-19, यूक्रेन और गाजा युद्ध, जलवायु परिवर्तन और आर्थिक अस्थिरता जैसी चुनौतियों पर जोर दिया. उन्होंने बहुपक्षवाद की कमजोरियों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की अप्रभाविता पर चिंता व्यक्त की. जयशंकर ने विकासशील देशों के लिए निष्पक्ष आर्थिक प्रथाओं और एकजुटता की अपील की.;
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र के दौरान वैश्विक दक्षिण देशों की बैठक में भाग लिया और इन देशों के सामने आ रही गंभीर चुनौतियों पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी, यूक्रेन और गाजा में संघर्ष, जलवायु परिवर्तन, व्यापार और निवेश में अस्थिरता ने विकासशील देशों को अभूतपूर्व संकट में डाल दिया है. जयशंकर ने स्पष्ट किया कि इन देशों की आवाज़ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्याप्त महत्व नहीं दिया जा रहा और इसे नजरअंदाज करना सही नहीं है.
उन्होंने कहा कि वैश्विक दक्षिण को इन कठिनाइयों का सामना करने के लिए एकजुट होकर काम करना होगा और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से अपेक्षा है कि वे इन देशों के हितों की रक्षा और सतत विकास लक्ष्यों (SDG) की प्रगति में मदद करें. जयशंकर ने बहुपक्षवाद के कमजोर पड़ने और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के अप्रभावी बनने पर भी चिंता व्यक्त की, जो वैश्विक स्थिरता के लिए गंभीर चुनौती बन रहा है.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर के भाषण की 10 बड़ी बातें
- वैश्विक दक्षिण को चुनौतियां: जयशंकर ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में वैश्विक दक्षिण को कोविड-19, यूक्रेन और गाजा युद्ध, चरम जलवायु घटनाएं, व्यापार और निवेश में अस्थिरता जैसी अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना करना पड़ा है.
- SDG प्रगति में कमी: उन्होंने चेताया कि सतत विकास लक्ष्यों की प्रगति धीमी हुई है और विकासशील देशों के लिए ये लक्ष्य अब खतरे में हैं.
- अंतरराष्ट्रीय संगठनों का अप्रभावी होना: जयशंकर ने कहा कि कई अंतरराष्ट्रीय संगठन संसाधनों की कमी और नेतृत्व की कमजोरियों के कारण प्रभावहीन हो गए हैं.
- बहुपक्षवाद पर हमला: उन्होंने चेताया कि बहुपक्षवाद की अवधारणा पर लगातार हमला हो रहा है और इसके कमजोर होने से वैश्विक समस्याओं के समाधान में बाधा आ रही है.
- ग्लोबल साउथ की एकजुटता: जयशंकर ने समान विचारधारा वाले विकासशील देशों को एकजुट होकर आर्थिक और राजनीतिक मामलों में सहयोग करने का आह्वान किया.
- पारदर्शी आर्थिक प्रथाएं: उन्होंने कहा कि वैश्विक दक्षिण देशों को निष्पक्ष और पारदर्शी आर्थिक प्रथाओं को अपनाना चाहिए, जिससे उत्पादन का लोकतंत्रीकरण और आर्थिक सुरक्षा बढ़े.
- अंतरराष्ट्रीय मंच पर ध्यान: जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वे विकासशील देशों की आवाज़ को नजरअंदाज न करें और उनके हितों की रक्षा करें.
- विश्वास के लिए सुधार आवश्यक: उन्होंने कहा कि आज की वैश्विक व्यवस्था की बुनियाद कमजोर हो रही है और आवश्यक सुधारों में देरी वैश्विक स्थिरता को नुकसान पहुंचा रही है.
- संघर्ष और आपदा का सामना: जयशंकर ने बताया कि कोविड, युद्ध और जलवायु संकट जैसी चुनौतियों के बावजूद ग्लोबल साउथ देशों को सहमत और रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाना होगा.
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूती: जयशंकर ने वैश्विक दक्षिण देशों के बीच आर्थिक और नीतिगत सहयोग को बढ़ाने के लिए उपाय प्रस्तावित किए, जिससे वैश्विक स्तर पर विकासशील देशों की स्थिति मजबूत हो.