टॉप जनरल्स, वैज्ञानिक और बंकर उड़ाए… एक साल से पक रही थी तबाही की स्क्रिप्ट, ईरान में मोसाद ने ऐसे खोला 'मौत का गोदाम'!

इज़रायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने ईरान में एक साल पहले से कोवर्ट ऑपरेशन की तैयारी शुरू कर दी थी. एजेंटों ने अज़रबैजान और इराक के रास्ते हथियारों की तस्करी की, उन्हें नकली गाड़ियों में छिपाकर देशभर में फैला दिया. तेहरान के पास एक गुप्त ड्रोन बेस बनाया गया, जिससे ईरान के एयर डिफेंस सिस्टम को नष्ट किया गया. इस ग्राउंडवर्क के बाद 200 इज़रायली फाइटर जेट्स ने हमला कर ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों को ध्वस्त कर दिया.;

By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 14 Jun 2025 1:11 PM IST

जब तुम ये सोच रहे थे कि जंग सिर्फ बॉर्डर से लड़ी जाती है… उसी वक्त मोसाद ईरान के दिल में घुसकर, उसके सीने पर ड्रोन अड्डा बनाकर, हथियार छिपाकर, उसकी सैन्य ताकत की जड़ें काट रहा था. ये कोई हॉलीवुड मूवी नहीं है… ये Operation Rising Lion है. इज़रायल का वो सीक्रेट मिशन, जो एक साल पहले शुरू हुआ, और अब ईरान के टॉप जनरल, न्यूक्लियर वैज्ञानिक और मिसाइल साइलो खाक हो चुके हैं.

तेल अवीव में जिस वक्त मिशन का आखिरी बटन दबाया गया. उसी वक्त ईरान के सैटेलाइट, एयर डिफेंस और टॉप लेवल लीडरशिप अंधेरे में डूब चुकी थी. अब सवाल सिर्फ इतना है- क्या ये वाकई तीसरे महायुद्ध की शुरुआत है, क्या ईरान बदला लेगा, क्या डर्टी बम चलेगा? लेकिन उससे पहले… जानिए कैसे मोसाद ने अपने दुश्मन के घर में घुसकर उसकी रग-रग की जानकारी जुटाई और फिर ईरान को उसके ही घर में चित कर दिया.

ईरान पर इज़रायल का 'ऑपरेशन राइजिंग लॉयन'

इज़रायल में एक ऐसा ऑपरेशन शुरू हो चुका था, जिसने पूरी दुनिया की धड़कनें तेज़ कर दी थी जिसका नाम था 'ऑपरेशन राइजिंग लॉयन", और असली मैदान था ईरान की राजधानी तेहरान और आसपास के सैन्य व परमाणु ठिकाने. इज़रायल ने इस ऑपरेशन के तहत ईरान के करीब 100 मिलिट्री और न्यूक्लियर लोकेशनों पर हमला किया. 200 से ज्यादा फाइटर जेट्स, 330 बम, और ग्राउंड-बेस्ड ड्रोन अटैक्स के ज़रिए इतना सुनियोजित हमला हुआ कि ईरान की आधी कमान ध्वस्त हो गई.

मोसाद की जासूसी नहीं, सर्जरी थी ये...

इस पूरे ऑपरेशन की सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि यह सिर्फ एयरस्ट्राइक नहीं था. मोसाद (इज़रायल की खुफिया एजेंसी) ने ईरान के अंदर ही अपना एक ड्रोन बेस तैयार किया. इतना ही नहीं, अज़रबैजान और इराक़ के रास्ते हथियारों को ईरान के अंदर ट्रकों, एंबुलेंस और टैक्सियों के ज़रिए भेजा गया.

रात के अंधेरे का फायदा उठाकर, मोसाद के कमांडो ईरान के मध्य क्षेत्र में चुपचाप दाखिल हुए. उनके पास थे बेहद खुफिया हथियार, जिन्हें ईरान की सीमा में महीनों पहले तस्करी के ज़रिए भेजा गया था. इन हथियारों की मदद से उन्होंने ईरान के हाई-टेक रडार सिस्टम और रूसी S-300 एयर डिफेंस को निष्क्रिय कर दिया. यानी इज़रायली फाइटर जेट्स के लिए आसमान पूरी तरह साफ़ कर दिया गया. ऑनलाइन वायरल हुए एक वीडियो में दिख रहा है कि तेहरान के पास स्थित मिलिट्री ठिकानों पर इज़रायल के ड्रोन बम बरसा रहे हैं. ये वही ड्रोन थे जिन्हें मोसाद ने पहले से ही ईरानी धरती पर छुपाकर रखा था.

सुरक्षा सूत्रों के अनुसार, इस गुप्त ऑपरेशन ने इज़रायल की वायुसेना को एकसाथ 200 से ज्यादा विमान उड़ाने और शुक्रवार तड़के ईरान के भीतर घुसकर अचूक हमले करने का रास्ता दिया. खास बात ये रही कि ड्रोन न सिर्फ निगरानी के लिए, बल्कि बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्चर्स को नष्ट करने के लिए भी इस्तेमाल किए गए.

पांच प्वाइट्स में जानिए कैसे चला पूरा मिशन?

  1. हथियारों की ईरान में तस्करी- छोटे-छोटे हिस्सों में तोड़कर मिसाइल, ड्रोन, रॉकेट लॉन्चर पहुंचाए गए.
  2. लोकल विद्रोही गुटों से गठजोड़- मुजाहिदीन-ए-खल्क और बलोच विद्रोही बने मोसाद के ‘फ्रेंड इनसाइड’.
  3. ड्रोन बेस की स्थापना- ईरान के ही एयर डिफेंस के पास बनाए गए सीक्रेट बेस, जिससे सीधे मिसाइल दागी गई.
  4. टॉप लीडरशिप पर हमला- तेहरान के अपार्टमेंट में IRGC चीफ हुसैन सलामी को टारगेट किया गया.
  5. सैटेलाइट+साइबर+डबल एजेंट्स का ट्राएंगल- हर टारगेट का पूरा रूटीन, सिक्योरिटी और मूवमेंट पहले ही रिकॉर्ड.

मारे गए ईरान के टॉप मास्टरमाइंड?

  1. हुसैन सलामी, इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर (IRGC) के चीफ.
  2. जनरल मोहम्मद बाघेरी, ईरानी आर्मी चीफ.
  3. जनरल घोलम अली राशिद, ज्वाइंट चीफ ऑपरेशंस कमांडर.
  4. डॉ. फेरेदून अब्बासी और डॉ. मोहम्मद मेहदी तेहरांची, प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक.
  5. अली शमखानी, सुप्रीम लीडर खामेनेई के सुरक्षा सलाहकार.
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