फ्रांस की सत्ता से बाहर हुए मिशेल बार्नियर, 90 दिनों में कैसे गिर गई सरकार?
फ्रांस में प्रधानमंत्री मिशेल बार्नियर को सत्ता से बाहर कर दिया और सरकार गिर गई. बजट को लेकर सत्ताधारी सरकार और विपक्ष में विवाद खड़ा हो गया था. जिसके बाद अविश्वास प्रस्ताव लाया गया और पीएम बार्नियर व उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों को इस्तीफा देना पड़ा. फ्रांस में 1962 के बाद ऐसा पहला बार हुआ है, जब देश में कोई सफल अविश्वास प्रस्ताव लाया गया.;
France Government: फ्रांस की राजनीति में पिछले कुछ दिनों से हंगामा मचा हुआ है. बुधवार को दक्षिणपंथी और वामपंथी सांसदों ने एक साथ मिलकर ऐतिहासिक अविश्वास प्रस्ताव पेश किया. फिर प्रधानमंत्री मिशेल बार्नियर को सत्ता से बाहर कर दिया और फ्रांस में सरकार गिर गई.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बजट को लेकर सत्ताधारी सरकार और विपक्ष में विवाद खड़ा हो गया था. जिसके बाद अविश्वास प्रस्ताव लाया गया और पीएम बार्नियर व उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों को इस्तीफा देना पड़ा. फ्रांस में 1962 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब देश में कोई सफल अविश्वास प्रस्ताव लाया गया.
राष्ट्रपति के इस्तीफा की मांग?
रिपोर्ट में बताया गया कि सरकार गिरने के बाद अब फ्रांस के राष्ट्रपति इमैवुएल मैक्रो पर इस्तीफा देने का दवाब है. हालांकि उनका कार्यालय 2027 तक पूरा होगा. बुधवार (4 दिसंबर) को नेशनल असेंबली ने 331 वोटों से प्रस्ताव को मंजूरी दी. इसके लिए कम से कम 288 वोटों की जरूरत थी. जून-जुलाई में संसदीय चुनाव हुए थे, इसके बाद फ्रांस की संसद तीन प्रमुख हिस्सों में बंट गई थी. जानकारी के अनुसार किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था. बंटवारे के बाद इमैनुएल मैक्रों को दूसरी बार प्रधानमंत्री चुना गया.
सबसे कम कार्यकाल वाले पीएम बने बार्नियर
जानकारी के अनुसार इमैनुएल मैक्रों गुरुवार की शाम को देश को संबोधित करेंगे. वहीं बार्नियर औपचारिक रूप से इस्तीफा दे देंगे. बार्नियर फ्रांस में सबसे कम समय तक पद पर रहने वाले प्रधानमंत्री बन गए हैं. उन्होंने प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले भाषणा दिया और कहा, मैं आपको बता सकता हूं कि फ्रांस और फ्रांसीसी लोगों की सेवा करना मेरे लिए सम्मान की बात रहेगी. यह अविश्वास प्रस्ताव चीजों को और अधिक कठिन बना देगा. बार्नियर बहुमत न होने पर भी गठबंधन में सरकार चलाने का प्रयास कर रहे थे.
क्या है सरकार गिरने का कारण?
फ्रांस में मिशले बार्नियर सरकार को अभी तीन महीने ही हुए थे, लेकिन उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया गया. जिसका कारण सामाजिक सुरक्षा बजट रहा. इसमें टैक्स बढ़ाने और खर्चों में कटौती का फैसला लिया गया, जिसका वामपंथी और दक्षिणपंथी दलों ने विरोध करना शुरू किया. फिर सरकार ने बजट को संसद की वोटिंग के बिना पास कराने का फैसला लिया, जिसने स्थिति को और खराब कर दिया. इसके बाद विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया और बार्नियर सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया.