अमेरिका में भी नहीं मिल रही नौकरी, बेबी सिटिंग करने को मजबूर भारतीय छात्र

अमेरिका में भारत से पढ़ने गए बच्चों के लिए वहां जिंदगी बिताना दिनों दिन मुश्किल होता जा रहा है. कहा जा सकता है कि अमेरिका में बेरोजगारी का आलम बढ़ता ही जा रहा है, जिसके कारण बच्चे अब बेबी सिटिंग की नौकरी करने के लिए मजबूर हैं.;

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Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 22 Nov 2024 12:59 PM IST

अमेरिका में अब स्टूडेंट्स के हालात खराब होते जा रहे हैं. अमेरिका के रूल के हिसाब से स्टूडेंट्स सिर्फ कैंपस में ही काम करने की परमिशन थी, लेकिन अब छात्रों के खर्चें बढ़ रहे हैं. इसके लिए पार्ट-टाइम काम कर रहे हैं, लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं कि मार्केट में ये काम मिलना भी मुश्किल हो गया है. अब ऐसे में बहुत से स्टूडेंट्स अपना खर्चा पूरा करने के लिए बेबी सीटर की नौकरी कर रहे हैं. अमेरिका में तेलंगाना, आंध्र और राज्यों के छात्र हैं, जो फाइनेंशियल क्रासिस से बाहर निकलने के लिए वहां बसे वहां रह रहे भारतीयों को कॉन्टैक्ट कर रहे हैं. 

गैस स्टेशन में काम करने से बेहतर ऑप्शन

बता दें कि अमेरिका में यह कई लड़कियों के लिए पसंदीदा ऑप्शन बन गया है, क्योंकि यह एक सेफ वर्क एनवायरमेंट देता है. इतना ही नहीं, इस काम के लिए उन्हें प्रति घंटे $13 से $18 के बीच पैसे दिए जाते हैं. इसमें कई वर्कर्स को खाने और रहने की जगह भी दी जाती है. ओहियो में पढ़ने वाली हैदराबाद की एक छात्रा ने बताया कि वह एक छह साल के लड़के की रोजाना लगभग आठ घंटे देखभाल करती हूं. इसके लिए उन्हें प्रति घंटे $13 मिलते हैं. इसके अलावा, लड़के की देखभाल करने के लिए उसे खाना भी मिलता है. इतना ही नहीं, छात्र ने कहा कि यह लोकल स्टोर या गैस स्टेशन में काम करने से कहीं बेहतर है.

बेबी सीटर की नौकरी से हैं खुश

वहीं कनेक्टिकट में एक और तेलुगु के 23 साल की छात्रा ने कहा कि उसे अपने मालिक से खाने और रहने दोनों की सुविधा दी जाती है. इसके आगे उन्होंने बताया कि मुझे एक हफ्ते में छह दिन ढाई साल की बच्ची की देखभाल करनी होती है. इन छह दिनों में खाने और रहने का बच्ची के माता-पिता करते हैं. वहीं रविवार के दिन मैं अपने दोस्त के कमरे में रहती हूं. उसने कहा कि उसे प्रति घंटे केवल लगभग 10 डॉलर दिए जाते हैं, लेकिन वह नौकरी करने से बहुत खुश है, क्योंकि उसका किराया कवर हो जाता है.

इतना खर्च करते हैं स्टूडेंट

अमेरिका में एवरेज एक छात्र किराए पर हर महीने लगभग 300 डॉलर खर्च करता है. ओपन डोर्स 2024 की रिपोर्ट के अनुसार टेक्सास में लगभग 39,000 इंडियन स्टूडेंट्स हैं. वहीं,  इलिनोइस में 20,000, ओहियो में 13,500 और कनेक्टीकट में 7,000 छात्र हैं. इनमें से लगभग 50% तेलुगु छात्र हैं. इन स्टूडेंट्स ने बताया कि कैलिफोर्निया, टेक्सास, न्यू जर्सी, न्यूयॉर्क और इलिनोइस जैसे राज्यों में जहां भारतीय आबादी ज्यादा है, वहां बच्चों की देखभाल के लिए कम पैसे दिए जाते हैं है, क्योंकि सप्लाई डिमांड से ज्यादा है.

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