कश्मीर हमारा था, है और रहेगा... UN में पाकिस्तान बनाना चाहता था ISSUE, बातों-बातों में भारत ने दिया मुंहतोड़ जवाब | Video

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओपन डिबेट में भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया. भारत के स्थायी प्रतिनिधि परवथनेनी हरीश ने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और रहेगा. पाकिस्तान पर मानवाधिकार उल्लंघन और अवैध कब्जे का आरोप लगाते हुए भारत ने UN सुधार और “वसुधैव कुटुम्बकम्” के सिद्धांत की बात की. भारत ने कहा कि UN को विभाजन की राजनीति का मंच नहीं, बल्कि वैश्विक सहयोग का प्रतीक बनाना होगा.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 25 Oct 2025 9:32 AM IST

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की ओपन डिबेट “The United Nations Organization: Looking into the Future” में भारत ने पाकिस्तान को कड़े शब्दों में जवाब दिया. भारत के स्थायी प्रतिनिधि (PR) परवथनेनी हरीश ने दो टूक कहा, “जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और रहेगा.” उन्होंने पाकिस्तान को मानवाधिकार उल्लंघन और अवैध कब्जे यानी POK को लेकर  कठघरे में खड़ा किया. यह बयान न केवल पाकिस्तान की पुरानी प्रोपेगेंडा नीति को ध्वस्त करता है बल्कि भारत की वैश्विक स्थिति को एक आत्मविश्वासी शक्ति के रूप में स्थापित करता है.

हरीश ने पाकिस्तान के भ्रामक दावों पर सख्त लहजे में कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग भारत के संविधान और लोकतांत्रिक परंपराओं के अनुसार अपने अधिकारों का प्रयोग करते हैं, “ये सब पाकिस्तान के लिए अजनबी अवधारणाएं हैं.” उन्होंने पाक-अधिकृत कश्मीर में चल रहे अत्याचार, मानवाधिकार हनन और संसाधनों के अवैध दोहन पर भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचा. यह बयान भारत की ओर से एक स्पष्ट संदेश था कि “अब कश्मीर पर झूठ नहीं, सच्चाई बोलेगी.”

‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की दिलाई याद

पाकिस्तान को जवाब देने के साथ भारत ने दुनिया को भी अपनी ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की सभ्यतागत सोच की याद दिलाई. परवथनेनी हरीश ने कहा कि भारत हमेशा न्याय, समानता और वैश्विक समृद्धि के लिए खड़ा रहा है. यही कारण है कि भारत ग्लोबल साउथ के देशों के साथ साझेदारी, तकनीकी सहयोग और विकास में मदद का मजबूत स्तंभ बना हुआ है. उन्होंने कहा, “भारत हर समाज के लिए गरिमा और अवसर सुनिश्चित करने में विश्वास रखता है.”

UN को सुधारने का वक्त आ गया है

भारत ने UNSC में संयुक्त राष्ट्र प्रणाली की जड़ता और सीमाओं पर भी गंभीर सवाल उठाए. हरीश ने कहा कि “UN80” के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र को सिर्फ बजटीय या प्रशासनिक सुधार तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि इसे व्यापक संरचनात्मक सुधार की दिशा में ले जाना चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया कि शांति अभियानों (Peacekeeping Missions) को वास्तविक परिस्थितियों के अनुरूप तकनीकी और संसाधन समर्थन मिलना चाहिए, जिससे वैश्विक शांति सुनिश्चित की जा सके.

जनरल असेंबली को और सशक्त बनाने की जरूरत

भारत के प्रतिनिधि ने कहा कि “जनरल असेंबली” संयुक्त राष्ट्र की आत्मा है. एक लोकतांत्रिक मंच जहां हर सदस्य की आवाज़ समान महत्व रखती है. उन्होंने इस संस्था को और प्रभावी, निर्णायक और समन्वित बनाने का आग्रह किया. उनका मानना था कि जनरल असेंबली और सुरक्षा परिषद के बीच बेहतर सहयोग से ही UN चार्टर के मूल उद्देश्यों शांति, समानता और विकास को साकार किया जा सकता है.

संयुक्त राष्ट्र को नई सदी के अनुरूप बनाना होगा

अपने संबोधन के समापन में परवथनेनी हरीश ने सभी सदस्य देशों से अपील की कि वे संकीर्ण राजनीति से ऊपर उठकर वैश्विक हितों के लिए साथ आएं. उन्होंने कहा, “UN को विभाजन की राजनीति का मंच नहीं, बल्कि सामूहिक ऊर्जा का प्रतीक बनाना होगा.” भारत ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया कि वह न केवल अपने हितों की रक्षा में सक्षम है, बल्कि दुनिया के लिए भी स्थायी शांति और साझी प्रगति का नेतृत्व करने को तैयार है.

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