IPL 2025 में बांग्लादेशी खिलाड़ी रहे अनसोल्ड: क्या हिंदू विरोधी हिंसा बनी वजह?

आईपीएल 2025 में बांग्लादेशी क्रिकेटरों की अनदेखी ने न सिर्फ खेल जगत बल्कि भारत-बांग्लादेश रिश्तों में भी सवाल खड़े कर दिए हैं. हिंदू विरोधी हिंसा के बीच बांग्लादेशी खिलाड़ियों का न बिकना क्रिकेट और राजनीति के आपसी संबंधों को उजागर करता है.;

By :  अमन बिरेंद्र जायसवाल
Updated On : 27 Nov 2024 5:54 PM IST

आईपीएल 2025 की नीलामी में बांग्लादेशी क्रिकेटर्स के लिए यह साल किसी बुरे सपने जैसा साबित हुआ. शाकिब अल हसन, मुस्तफिजुर रहमान जैसे बड़े खिलाड़ी न तो बिके और न ही किसी टीम ने इनसे जुड़ने में रुचि दिखाई. यह खबर न केवल क्रिकेट प्रेमियों के लिए चौंकाने वाली थी, बल्कि बांग्लादेश और भारत के रिश्तों पर भी सवाल उठने लगे. क्या सिर्फ खेल से जुड़ा यह मामला है, या फिर इसके पीछे कुछ और है?

बांग्लादेशी क्रिकेट फैंस भी इसे लेकर काफी निराश हैं. आईपीएल जैसे बड़े मंच पर शाकिब और मुस्तफिजुर जैसे खिलाड़ी जिन्हें पहले बड़े सौदों में खरीदा गया हो, अब बिना खरीदार के रह गए. इस नतीजे के बाद से कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि बीसीसीआई ने बांग्लादेशी खिलाड़ियों को खरीदने से टीमों को रोकने का अप्रत्यक्ष दबाव डाला. वहीं, बांग्लादेश में हाल ही में हुए हिंदू विरोधी हमलों ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है. तो क्या यह सिर्फ एक आईपीएल का मुद्दा है या फिर इसके राजनीतिक कारण भी हो सकते हैं?

बांग्लादेशी क्रिकेटर्स की नीलामी में विफलता

इस बार आईपीएल 2025 की नीलामी में 12 बांग्लादेशी खिलाड़ी शामिल थे, जिनमें शाकिब, मुस्तफिजुर, और लिटन दास जैसे नामी खिलाड़ी भी थे. इनकी नीलामी 1 करोड़ रुपये से लेकर 2 करोड़ रुपये तक की कीमत पर की गई थी, लेकिन कोई भी खरीदार सामने नहीं आया. शाकिब, जो आईपीएल के इतिहास में सबसे प्रभावशाली खिलाड़ियों में से एक रहे हैं, उन्हें इस बार टीम में जगह नहीं मिल पाई. इससे क्रिकेट जगत में एक बड़ा सवाल उठता है—क्या यह सिर्फ खेल का मामला है या इसके पीछे कुछ और कारण छुपे हुए हैं?

बीसीसीआई ने डाला दबाव?

बांग्लादेश में हाल ही में हिंदू विरोधी हिंसा की घटनाएं सामने आईं, जिनकी दुनियाभर में निंदा की गई. भारत में इसपर चिंता जताई जा रही है कि क्या इस हिंसा का असर क्रिकेट जैसे खेल पर भी पड़ा है. कुछ अफवाहें सामने आई हैं कि बीसीसीआई ने आईपीएल टीमों को बांग्लादेशी खिलाड़ियों को न खरीदने के लिए दबाव डाला है, हालांकि बीसीसीआई ने इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया. यह स्थिति सिर्फ क्रिकेट को ही नहीं, बल्कि भारत-बांग्लादेश के रिश्तों को भी प्रभावित कर रही है.

क्या राजनीति का असर क्रिकेट पर?

क्रिकेट और राजनीति हमेशा एक-दूसरे से जुड़े रहे हैं. पहले पाकिस्तान के खिलाड़ियों को आईपीएल से बाहर किया गया था, अब बांग्लादेशी खिलाड़ियों का न बिकना कुछ सवाल खड़ा करता है. क्या इस बार बांग्लादेशी क्रिकेटर्स के न बिकने के पीछे कोई राजनीतिक दबाव है? यह मामला इतना सीधा नहीं लगता, क्योंकि इसमें सिर्फ क्रिकेट ही नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक कारण भी जुड़ते दिख रहे हैं. 
आईपीएल 2025 में बांग्लादेशी खिलाड़ियों का न बिकना एक अपवाद हो सकता है, लेकिन यह एक संकेत जरूर है. आने वाले सालों में क्या बांग्लादेशी क्रिकेटर्स को फिर से आईपीएल में मौका मिलेगा, या फिर उनका रास्ता बंद हो जाएगा? यह देखना होगा कि आने वाली नीलामियों में इन खिलाड़ियों के लिए क्या अवसर बनते हैं. फिलहाल तो आईपीएल 2025 की नीलामी में बांग्लादेशी क्रिकेटर्स का न बिकना एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है, और इसके राजनीतिक पहलू पर भी चर्चा हो रही है.

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