ढाका में लहराए हिज्ब उत-तहरीर के झंडे, क्या भारत की पूर्वी सीमा पर मंडरा रहा है नया खतरा?
बांग्लादेश की सड़कों पर 'हिज्ब उत-तहरीर' के झंडे लहराए गए. एक ऐसा आतंकी संगठन जिसे भारत और बांग्लादेश के अलावा 13 देशों ने बैन किया हुआ है. इसके बावजूद यह संगठन सरेआम अपनी मौजूदगी दिखा रहा है.;
भारत अपने पश्चिमी पड़ोसी पाकिस्तान के साथ गहराते टकराव में उलझा हुआ है. ऐसे में दूसरी तरफ पूर्वी पड़ोसी बांग्लादेश से भी चिंता की एक नई लहर उठने लगी है. ढाका के शाहबाग़ के इलाके में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक विरोध प्रदर्शन के दौरान झंडे लहराए गए.
यह कोई आम झंडे नहीं थे. ये झंडे 'हिज्ब उत-तहरीर' के थे. एक ऐसा आतंकी संगठन जिसे भारत ने पहले ही बैन कर रखा है. इस भीड़ में कई लोग बिना किसी डर या आपत्ति के खुलेआम इन झंडों को लहरा रहे थे. ये वही संगठन है, जो कट्टरपंथी इस्लामी शासन की वकालत करता है और दक्षिण एशिया में लोकतंत्र के खिलाफ साजिशें रचता रहा है.
भारत के लिए चिंता क्यों?
जब अभी भारत-पाक के बीच लड़ाई चल रही है. इस दौरान बांग्लादेश में सरेआम सड़कों पर विरोध प्रदर्शन के दौरान जब अचानक भीड़ से उर्दू में धार्मिक नारे गूंजने लगे, तो यह सिर्फ एक पड़ोसी देश की राजनीतिक उठापटक नहीं रह गई. यह एक गहरी, वैचारिक चुनौती का संकेत बन गई.
हिज्ब उत-तहरीर का मकसद
हिज्ब उत-तहरीर एक ऐसा संगठन है, जो दुनिया भर में शरिया आधारित इस्लामी खिलाफत की स्थापना को अपना मकसद मानता है. इसकी सोच वैसी ही है जैसी ISIS की.इनके लिए लोकतंत्र, पूंजीवाद और धर्मनिरपेक्षता केवल इस्लामी शासन पर हमले हैं, जिन्हें खत्म करना उनका धार्मिक कर्तव्य है.
बांग्लादेश में है बैन
हिज्ब उत-तहरीर एक अखिल-इस्लामी संगठन है और बांग्लादेश में इसे आधिकारिक रूप से प्रतिबंधित किया जा चुका है. इसके बावजूद यह सगंठन खुलेआम गतिविधियां चलाता है. शेख हसीना की सत्ता के प्रति कट्टर विरोध के चलते इस संगठन की गतिविधियां और अधिक मुखर हो गई हैं. हैरानी की बात यह है कि ढाका जैसे शहर में भी यह संगठन अब राजनीतिक प्रदर्शन का रूप लेने लगा है.
अल कायदा जैसे संगठनों से संबंध
यही नहीं, इस संगठन के अल कायदा और ISIS जैसे वैश्विक आतंकी संगठनों से गहरे संबंध हैं, और यही वजह है कि दुनिया के 13 देशों ने इसे बैन कर रखा है.